17 मिनट पहले
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अभी हिन्दी पंचांग का नवां महीना अगहन यानी मार्गशीर्ष चल रहा है, ये महीना धर्म-कर्म के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी बहुत खास है। इस महीने से शीत ऋतु का असर शुरू हो जाता है। बढ़ती ठंड में जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव करने से मौसमी बीमारियों से बचाव हो सकता है। इसी महीने में रोज सुबह पूजा-पाठ के साथ ही मंत्र जप करते हुए ध्यान करेंगे तो नकारात्मक विचार दूर हो सकते हैं।
मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण के पौराणिक मंदिरों और तीर्थों में दर्शन-पूजन करने की परंपरा है, इन दिनों में पूजा-पाठ के साथ ही श्रीकृष्ण के ग्रंथ और उनकी कथाएं भी पढ़ी-सुनी जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा है कि मासानां मार्गशीर्षोऽहम् यानी मार्गशीर्ष मास मेरा ही स्वरूप है। हिन्दी पंचांग में महीने की अंतिम तिथि पूर्णिमा पर जो नक्षत्र रहता है, उस नक्षत्र के नाम पर ही महीने का नाम रखा जाता है। इस महीने की पूर्णिमा पर मृगशिरा नक्षत्र रहता है, इस कारण हिन्दी पंचांग के नवें महीने का नाम मार्गशीर्ष पड़ा है।
श्रीकृष्ण पूजा के साथ ही ध्यान भी करें
अगहन मास में रोज सुबह श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करने की परंपरा है। पूजा करते समय भगवान के मंत्रों के साथ ध्यान भी करेंगे तो विचार पॉजिटिव बनेंगे। विचार पॉजिटिव रहेंगे तो काम करते समय उत्साह बना रहेगा और काम में सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
ध्यान करने के लिए किसी ऐसी जगह का चयन करें, जहां साफ-सफाई हो। ध्यान करते समय अगर इधर-उधर से आवाजें सुनाई देती हैं तो मन एकाग्र नहीं हो पाता है और हम ध्यान नहीं कर पाते हैं। इसलिए ध्यान करने के लिए किसी शांत जगह का चयन करें। आसान बिछाकर अपनी सुविधा के अनुसार पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
आंखें बंद करके अपना पूरा ध्यान दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र पर लगाएं। ध्यान करते समय सोच-विचार करने से बचें। मन में कोई विचार न रखें। मन शांत रहेगा, ध्यान ठीक से कर पाएंगे। इस दौरान मंत्र जप भी कर सकते हैं। आप चाहें तो श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जप कर सकते हैं। ध्यान करने का समय अपनी सुविधा के अनुसार तय कर सकते हैं। आप जितनी देर चाहें, ध्यान कर सकते हैं।
ध्यान करते समय सांस लेने और छोड़ने की क्रिया सामान्य रखनी चाहिए। ध्यान की अवस्था में बैठते समय हमें अपनी रीढ़ हड्डी को सीधा रखना चाहिए। इस महीने में रोज ध्यान करें और इस महीने के बाद भी ध्यान को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बना लें। लंबे समय तक ध्यान करते रहेंगे तो मन शांत बना रहेगा।
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ऐसे कर सकते हैं बाल गोपाल की पूजा
श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी बाल गोपाल की पूजा की शुरुआत गणेश पूजन के साथ करनी चाहिए, क्योंकि गणेश जी प्रथम पूज्य हैं और हर शुभ काम इनका ध्यान करने के साथ ही शुरू होता है।
गणेश पूजन के बाद बाल गोपाल को दक्षिणावर्ती शंख में जल-दूध भरकर स्नान कराएं। आप चाहें तो पंचामृत से भी अभिषेक कर सकते हैं।
स्नान कराने के बाद हार-फूल और वस्त्रों से भगवान का श्रृंगार करें। इत्र, गुलाल, अबीर, चंदन आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
अगहन मास में श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा की यात्रा करने की परंपरा भी है। मथुरा के साथ ही गोकुल, वृंदावन, गोवर्धन पर्वत के भी दर्शन कर सकते हैं, यमुना में स्नान कर सकते हैं।