Market Cap of 8 Out of Top 10 Indian Companies Surges by ₹1.94 Lakh Crore: TCS Leads, LIC & HUL Decline | Oct 2025 | टॉप-10 कंपनियों में 8 की वैल्यू ₹1.94 लाख करोड़ बढ़ी: TCS टॉप गेनर रही, वैल्यू ₹45,678 करोड़ बढ़ी; LIC और HUL का मार्केट कैप गिरा

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मुंबई45 मिनट पहले

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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 8 की वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में 1,94,149 करोड़ रुपए बढ़ गई। इस दौरान टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) टॉप गेनर रही। कंपनी की वैल्यू ₹45,678 करोड़ बढ़कर ₹10.96 लाख करोड़ हो गई है।

वहीं, बिकवाली के चलते हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड 3,571 रुपए कम होकर ₹5.94 लाख करोड़ पर और लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) का मार्केट कैप इस दौरान 4,649 करोड़ रुपए गिरकर ₹5.68 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है।

कल बाजार में 328 अंक की तेजी रही

शेयर बाजार में कल यानी शुक्रवार 10 अक्टूबर को तेजी रही। सेंसेक्स 328 अंक चढ़कर 82,501 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 103 अंक की तेजी रही, ये 25,285 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 22 में तेजी और 8 में गिरावट रही। PSU बैंक, रियल्टी और फार्मा सेक्टर के शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली। वहीं हफ्तेभर के कारोबार में सेंसेक्स 1,294 अंक चढ़कर बंद हुआ।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।

इसे एक उदाहरण से समझें…

मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।

कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं…

बढ़ने का क्या मतलब घटने का क्या मतलब
शेयर की कीमत में बढ़ोतरी शेयर प्राइस में गिरावट
मजबूत वित्तीय प्रदर्शन खराब नतीजे
पॉजिटीव न्यूज या इवेंट नेगेटिव न्यूज या इवेंट
पॉजिटीव मार्केट सेंटिमेंट इकोनॉमी या मार्केट में गिरावट
हाई प्राइस पर शेयर जारी करना शेयर बायबैक या डीलिस्टिंग

मार्केट कैप के उतार-चढ़ाव का कंपनी और निवेशकों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कंपनी पर असर : बड़ा मार्केट कैप कंपनी को मार्केट से फंड जुटाने, लोन लेने या अन्य कंपनी एक्वायर करने में मदद करता है। वहीं, छोटे या कम मार्केट कैप से कंपनी की फाइनेंशियल डिसीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है।

निवेशकों पर असर : मार्केट कैप बढ़ने से निवेशकों को डायरेक्ट फायदा होता है। क्योंकि उनके शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। वही, गिरावट से नुकसान हो सकता है, जिससे निवेशक शेयर बेचने का फैसला ले सकते हैं।

उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से बढ़ता है, तो निवेशकों की संपत्ति बढ़ेगी, और कंपनी को भविष्य में निवेश के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकती है। लेकिन अगर मार्केट कैप गिरता है तो इसका नुकसान हो सकता है।

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