Margashirsha month significance in hindi, agahan month rituals, krishna puja in margshirsh month, | 14 दिसंबर तक रहेगा मार्गशीर्ष मास: श्रीकृष्ण का स्वरूप है मार्गशीर्ष, इस मास में पूजा-पाठ के साथ करें श्रीमद् भगवद् गीता का पाठ

10 मिनट पहले

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आज हिन्दी पंचांग ते नवें महीने अगहन यानी मार्गशीर्ष का दूसरा दिन है। ये महीना 14 दिसंबर तक रहेगा। अगहन मास में पूजा-पाठ के साथ ही श्रीकृष्ण के मंत्रों का जप करना चाहिए और श्रीमद् भगवद् गीता का पाठ करना चाहिए।

ज्योतिषियों के मुताबिक, मार्गशीर्ष मास धर्म-कर्म के साथ ही सेहत के लिए भी बहुत खास है। इस महीने से ठंड का असर शुरू हो जाता है। इन दिनों में खान-पान और जीवन शैली में की गई लापरवाही की वजह से मौसमी बीमारियां बहुत जल्दी हो जाती हैं। इसलिए मार्गशीर्ष मास में भोजन और जीवन शैली को लेकर सतर्क रहना चाहिए। जानिए इस माह से जुड़ी खास बातें…

  • श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते समय कहा था कि मासानां मार्गशीर्षोऽहम् यानी महीनों में मार्गशीर्ष मैं ही हूं। इसलिए ये महीना श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए बहुत खास है। इन दिनों में श्रीकृष्ण से जुड़ी पौराणिक तीर्थों की यात्रा की जाती है। इस महीने में मथुरा, वृंदावन, गोकुल और गोवर्धन पर्वत के दर्शन करने काफी लोग पहुंचते हैं।
  • अगहन मास में रोज सुबह सूर्योदय से पहले जागना चाहिए और स्नान के बाद उगते सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। सुबह-सुबह के समय कुछ देर सूर्य की रोशनी में रहेंगे तो सेहत को भी लाभ मिलेंगे। ठंड के दिनों में सुबह की धूप शरीर में विटामिन डी की पूर्ति करती है। विटामिन डी की वजह से हमारा इम्यून सिस्टम ठीक से काम करता है। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।
  • सूर्य को अर्घ्य चढ़ाने के बाद घर के मंदिर भगवान गणेश की पूजा करें। इसके बाद श्रीकृष्ण पूजा करें। दक्षिणावर्ती शंख में जल-दूध भरकर श्रीकृष्ण का अभिषेक करना चाहिए। कृं कृष्णाय नम: का जप करते हुए धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं।
  • अच्छी सेहत के लिए अगहन मास में रोज सुबह कुछ देर सैर जरूर करनी चाहिए। सुबह का वातावरण स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है। सुबह की ताजी हवा सेहत को लाभ पहुंचाती है। सुबह की सैर से हमारा इम्यून सिस्टम भी एक्टिव रहता है और हमारा शरीर मौसमी बीमारियों का सामना करने के लिए सक्षम होता है।
  • अगहन में श्रीकृष्ण की पूजा के साथ ही शंख की भी पूजा करते हैं। पाञ्चजन्य शंख श्रीकृष्ण को विशेष प्रिय है। इसलिए श्रीकृष्ण के साथ शंख की पूजा की जाती है। पूजा में बांसुरी, गौमाता, मोर पंख, पीले वस्त्रों भी रख सकते हैं।
  • शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है, क्योंकि शंख और देवी लक्ष्मी दोनों की उत्पत्ति समुद्र से हुई है। इस कारण लक्ष्मी पूजा में शंख विशेष रूप से रखते हैं।
  • इस माह में जरूरतमंद लोगों को ऊनी वस्त्र, जूते-चप्पल, धन, अनाज और भोजन का दान करना चाहिए। किसी गौ शाला में गायों की देखभाल के लिए भी धन का दान करें।
  • भगवान शिव का जल और दूध से अभिषेक करें। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब से शिवलिंग का श्रृंगार करें। जनेऊ चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

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