Malegaon Blast Case; Pragya Singh Thakur Yogi Adityanath | BJP | ‘योगी को मालेगांव ब्लास्ट केस में फंसाने की साजिश थी’: साध्वी प्रज्ञा बोलीं- नाम लेने के लिए मुझे टॉर्चर किया था, मैं नहीं झुकी – Uttar Pradesh News

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शनिवार को मुंबई में बड़ा दावा किया।

महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने शनिवार को मुंबई में बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा, योगी आदित्यनाथ का नाम जबरन लेने के लिए दबाव बनाया गया था।

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साध्वी प्रज्ञा ने जेल में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए कहा, ATS अधिकारियों ने मुझे 13 दिनों तक अवैध रूप से रखा। इस हिरासत के दौरान मुझे जितनी यातनाएं दी गईं, ऐसे अत्याचार किए गए जिसके लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। शब्‍दों की भी अपनी मर्यादा होती है।

मुझे नरेंद्र मोदी, योगी आदित्‍यनाथ, मोहन भागवत, सुदर्शन, इंद्रेश, रामजी माधव जैसे लोगों के नाम लेने के लिए मजबूर किया जाता था। वे कहते रहे कि इन लोगों के नाम लो तो हम तुम्हें नहीं मारेंगे। उनका मुख्य उद्देश्य मुझे प्रताड़ित करना था। मुझसे सब कुछ असत्‍य बोलने के लिए कहा जा रहा था। इसलिए मैंने किसी का नाम नहीं लिया।

मालेगांव केस में एक प्रमुख गवाह मिलिंग जोशीराव ने भी यही दावा किया। मिलिंद ने बताया, ATS ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य RSS पदाधिकारियों का नाम लेने के लिए दबाव बनाया था। इसके लिए हिरासत में प्रताड़ित किया था।

साध्वी प्रज्ञा ने दावा किया कि उन्हें ATS ने योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए प्रताड़ित किया था, लेकिन उन्होंने नाम नहीं लिया।

साध्वी प्रज्ञा ने दावा किया कि उन्हें ATS ने योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए प्रताड़ित किया था, लेकिन उन्होंने नाम नहीं लिया।

अब विस्तार से पढ़िए…

साध्वी प्रज्ञा की 3 बड़ी बातें बहुत कुछ कहलवाना चाहा, लेकिन हमने असत्य नहीं बोला साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, कई एटीएस अधिकारियों ने कानून के नाम पर गैर कानूनी काम किए हैं। जेल में मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इन लोगों ने प्रताड़ित करके बहुत कुछ कहलवाना चाहा, लेकिन हम असत्‍य बोलेंगे नहीं। राष्ट्र को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। देशभक्‍त अपने देश के लिए जीता और मरता है।

हिंदू धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया साध्वी प्रज्ञा ने कोर्ट के फैसले पर कहा, धर्म की, सत्य की जीत होती ही है और सत्य की जीत हुई है। मैंने कहा था ‘सत्यमेव जयते’, सत्य कभी भी पराजित नहीं होता। जो सत्य था वो मेरे साथ था। भगवा की विजय हुई, सनातन की विजय हुई, राष्ट्र की विजय हुई। विधर्मियों का नाश हुआ है। इन लोगों में इतना दम नहीं कि पराजित कर सकें। इन लोगों ने प्रताड़ित कर भगवा और हिंदू धर्म को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास किया है। ऐसे लोगों को दंड दिलवाने का हम प्रयास करेंगे। यह पूरा केस गढ़ा गया था, इसका कोई आधार नहीं था। सत्‍य प्रकट और सिद्ध होता है, इस केस में भी ऐसा हुआ।

पूरा कांग्रेस ने अपने षडयंत्रों के लिए बनाया था पूर्व सांसद ने कहा, ये पूरा केस कांग्रेस ने अपने षड्यंत्रों के लिए बनाया था और अगर कोई चीज बनावटी होती है तो उसका कोई आधार नहीं होता इसलिए इस केस का भी कोई आधार नहीं था। कांग्रेस न कभी देशभक्त पार्टी बन पाई है और न कभी बन पाएगी। जो हुआ है वह होना सुनिश्चित था, बहुत कुछ झेला, कष्ट सहे, बहुत कुछ किया, लेकिन देश के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं करूंगी, किया है और आगे भी करती रहूंगी।

अब केस के गवाह मिलिंद जोशी की बात

मालेगांव केस में अदालत ने बीते गुरुवार को सभी सात आरोपियों को बरी किया था। शुक्रवार को उपलब्ध कराए गए एक हजार से अधिक पन्नों के फैसले में अदालत ने कहा,

ATS ने अक्टूबर 2008 में अभियोजन पक्ष के गवाह मिलिंद जोशीराव से दक्षिणपंथी समूह अभिनव भारत की कार्यप्रणाली के बारे में पूछताछ की थी। उससे रायगढ़ किले में हुई एक बैठक के बारे में पूछा गया, जहां आरोपियों ने कथित तौर पर एक अलग हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ ली थी।

जोशीराव ने अदालत में अपनी गवाही के दौरान दावा किया कि एटीएस ने उसके साथ ऐसे व्यवहार किया, जैसे वह एक आरोपी हो। वे (ATS अधिकारी) उससे अपने बयान में योगी आदित्यनाथ, असीमानंद, इंद्रेश कुमार, देवधर, प्रज्ञा और काकाजी के नाम लेने के लिए कह रहे थे।

अदालत ने कहा, ATS अधिकारियों ने उसे आश्वासन दिया कि यदि वह इन लोगों के नाम लेगा, तो वे उसे छोड़ देंगे। गवाह ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था और इसलिए तत्कालीन पुलिस उपायुक्त श्रीराव और सहायक पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने उसे यातना देने का डर दिखाया और धमकियां दीं।

अदालत ने यह भी माना कि गवाह ने बयान में लिखी बातें कभी नहीं कही थीं, बल्कि यह एटीएस अधिकारियों द्वारा लिखा गया था। जज ने कहा कि वह गवाह के एटीएस को दिए गए बयान पर भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि गवाह ने अदालत में बताया था कि वह बयान उसने अपनी मर्जी से नहीं दिया था।

अदालत ने कहा कि जब कोई बयान बिना वास्तविक जानकारी के जबरदस्ती दिया जाता है, तो उसकी विश्वसनीयता खत्म हो जाती है, और ऐसे बयान को अविश्वसनीय माना जाता है।

मालेगांव केस और फैसले को जानिए…

महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को साध्वी प्रज्ञा समेत सातों आरोपियों को बरी किया। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल थे।

मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को धमाका हुआ था। इसमें 6 लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हुए थे। करीब 17 साल बाद आए फैसले में जज एके लाहोटी ने कहा कि जांच एजेंसी आरोप साबित नहीं कर पाई है, ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।

जज लाहोटी ने कहा कि धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि बम मोटरसाइकिल में रखा था। यह भी साबित नहीं हुआ कि मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम थी। यह भी साबित नहीं हो सका कि लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने बम बनाया।

इस केस का फैसला 8 मई 2025 को वाला था, लेकिन फिर कोर्ट ने इसे 31 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। मालेगांव ब्लास्ट केस की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी। 2011 में केस NIA को सौंप दिया गया था। NIA ने 2016 में चार्जशीट दाखिल की थी। केस में 3 जांच एजेंसियां और 4 जज बदल चुके हैं।

पीड़ितों के वकील शाहिद नवीन अंसारी ने कहा- हम एनआईए कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इस मामले में जांच एजेंसियां और सरकार फेल हुई है।

कोर्ट को बताया गया था कि ब्लास्ट में 101 लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा 101 नहीं, 95 लोग घायल हुए थे।

कोर्ट को बताया गया था कि ब्लास्ट में 101 लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा 101 नहीं, 95 लोग घायल हुए थे।

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