Makar Sankranti on 14 January 2025, significance of makar sankranti in hindi, surya puja tips on sankranti | 14 जनवरी को मकर संक्रांति: सूर्य पूजा का महापर्व- नदी स्नान, तिल-गुड़ खाने और दान करने की परंपरा, जानिए संक्रांति से जुड़ी मान्यताएं

2 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। पिछले कुछ सालों में ये पर्व कभी-कभी 15 जनवरी को मनाया गया था। ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं और जब ये ग्रह धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है, तब इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। ये दिन सूर्य की पूजा करने का और सूर्य के साथ प्रकृति का आभार मानने का पर्व है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है। जानिए मकर संक्रांति से जुड़ी खास बातें…

महाभारत में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति की तिथि चुनी थी। महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद भी कई दिनों तक भीष्म बाणों की शय्या पर ही रहे। दरअसल, भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान मिला हुआ था, इस वजह से वे इतने बाण लगने के बाद भी मरे नहीं। शास्त्रों की मान्यता है कि उत्तराणय से देवताओं का दिन शुरू होता है, ये धर्म-कर्म और दान-पुण्य के नजरिए से संक्रांति का महत्व काफी अधिक है। इस दिन किए गए नदी स्नान, पूजन और दान से अक्षय पुण्य मिलता है, ऐसा पुण्य जिसका असर जीवनभर बना रहता है।

पंचदेवों में से एक हैं सूर्य देव

शास्त्रों में पंचदेव बताए गए हैं, इनकी पूजा के साथ ही सभी शुभ कामों की शुरुआत होती है। इन पांच देवताओं में भगवान गणेश, शिव, विष्णु, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं। सूर्य एकमात्र प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले देवता माने गए हैं।

सूर्य की वजह से ही ये पूरी सृष्टि चल रही है, धरती पर जीवन सूर्य की वजह से ही है। सूर्य के कारण ही हमें भोजन, पानी, प्राण वायु, सब कुछ मिल रहा है। इसलिए संक्रांति पर सूर्य पूजा करके हम सूर्य के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।

सूर्य पूजा के बारे में स्कंद पुराण, पद्म पुराण, भविष्य पुराण, भागवत पुराण और महाभारत जैसे कई ग्रंथों में बताया गया है।

मकर संक्रांति से बदलने लगती है ऋतु

मकर संक्रांति ऋतु परिवर्तन का समय है। शीत ऋतु के बाद बसंत ऋतु शुरू होगी। दरअसल, संक्रांति पर सूर्य की स्थिति बदल जाती है, सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगता है।

सूर्य की स्थिति बदलती है तो पृथ्वी पर मौसमी परिवर्तन शुरू हो जाते हैं।

सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर गति करता है तो दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं।

किसानों के लिए भी मकर संक्रांति महापर्व है, क्योंकि इसके बाद से ही किसानों की फसले पकती हैं और फसल कटाई का समय शुरू होता है।

मकर संक्रांति से जुड़ी मान्यताएं

  • इस संक्रांति पर ठंड का समय रहता है, इसलिए इस दिन गर्म तासीर वाली तिल-गुड़ के लडडू खाने की परंपरा है और जरूरतमंद लोगों को तिल-गुड़ मिल सके, इसलिए संक्रांति पर दान करने की परंपरा है।
  • सूर्य से विटामिन डी मिलता है, जो हड्डियों और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। ठंड के दिनों में हम गर्म कपड़े पहनते हैं, इस वजह सूर्य की धूप सीधे शरीर तक नहीं पहुंच पाती है, जिससे हमें विटामिन डी नहीं मिल पाता है। संक्रांति पर पतंग उड़ाई जाती है, ताकि लोग कुछ समय सूर्य की सीधी धूप में रहें और स्वास्थ्य लाभ हासिल कर सके।
  • इस संक्रांति पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान और स्नान के बाद नदी के घाट पर दान-पुण्य करने की परंपरा है।

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *