Makar Sankranti 2025, Makar Sankranti Significance in hindi, Makar Sankranti facts, Why is the date of Makar Sankranti getting postponed? | क्यों आगे खिसक रही है मकर संक्रांति की तारीख: 1902 में पहली बार 14 जनवरी को मना था ये त्योहार, 71–72 साल में आगे बढ़ जाती है इसकी तारीख

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1 घंटे पहले

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आज दोपहर करीब 3 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के इस राशि परिवर्तन को मकर संक्रांति कहते हैं। इस पर्व को उत्तरायण भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस त्योहार से देवताओं का दिन शुरू हो जाता है।

इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है। 2024 में ये पर्व 15 जनवरी को मनाया गया था। पिछले कुछ सालों से मकर संक्रांति की तारीख में लगातार बदलाव हो रहा है। कभी 14 जनवरी, तो कभी 15 जनवरी को मकर संक्रांति आ रही है। 2101 के बाद मकर संक्रांति 15 या 16 जनवरी को आने लगेगी।

ज्योतिष, खगोल विज्ञान के एक्सपर्ट्स से जानिए मकर संक्रांति से जुड़ी धर्म, ज्योतिष और खगोलीय मान्यताएं, डायटीशियन से जानिए तिल-गुड़ के हेल्थ बेनिफिट्स…

संक्रांति की तारीख आगे क्यों बढ़ रही है?

ज्योतिष गणित के मुताबिक एक सौर वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। इतने ही समय में सूर्य सभी राशियों का चक्कर पूरा कर लेता है। वहीं, अंग्रेजी कैलेंडर में 365 दिन होते हैं। इन दोनों में तालमेल बैठाने के चक्कर में हर साल 6 घंटे बच जाते हैं। चार सालों में इन 6 घंटों से एक दिन बन जाता है। जिसे लीप इयर में एडजस्ट करते हैं। इसी कारण संक्रांति कभी 14 तो कभी 15 को मनाते हैं।

हर बार सूर्य के राशि बदलने का समय बदल जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन का समय तय नहीं होता है। ये कभी सुबह, कभी दोपहर, शाम या रात में राशि बदल सकता है। सूर्य दोपहर तक राशि बदले तो संक्रांति उसी दिन मनाते हैं, लेकिन शाम या रात में राशि बदले तो ये त्योहार अगले दिन मनेगा। इसी कारण तारीख आगे खिसक जाती है।

सूर्य के राशि परिवर्तन के समय में धीरे-धीरे बदलाव होने से 71-72 साल में मकर संक्रांति की तारीख एक दिन आगे बढ़ जाती है। इसीलिए कुछ साल पहले 13-14 जनवरी को मकर संक्रांति हुआ करती थी, आजकल 14-15 तारीख में मकर संक्रांति होती है और आने वाले कुछ सालों बाद इस पर्व की तारीख एक दिन बढ़कर 15-16 जनवरी हुआ करेगी। मकर संक्रांति की तारीख बदलने के पीछे धर्म-ज्योतिष, हिन्दी पंचांग और अंग्रेजी कैलेंडर में तालमेल न बैठ पाना ही खास वजह है।

सूर्य 21 दिसंबर को उत्तरायण हो जाता है, लेकिन मकर संक्रांति पर ये पर्व क्यों मनाते हैं?

खगोल विज्ञान के मुताबिक हर साल 21 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण हो जाता है यानी सूर्य दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर आना शुरू हो जाता है, लेकिन उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14-15 जनवरी को मनाते हैं।

इसकी वजह ये है कि पुराने समय में जब मकर संक्रांति पर्व मनाना शुरू हुआ, तब सूर्य का मकर राशि में प्रवेश और उत्तरायण 21-22 दिसंबर के आसपास ही होता था।

पुराने समय ये दोनों पर्व 21-22 दिसंबर के आसपास ही मनाए जाते थे, लेकिन मकर संक्रांति की तारीख आगे बढ़ने से उत्तरायण और इस पर्व की तारीख में इतना अंतर आ गया है।

एक्पर्ट्स

– प्रो. विनय पांडेय, बीएचयू, बनारस

– पं. मनीष शर्मा, ज्योतिषाचार्य, उज्जैन

– डॉ. राजेंद्र गुप्त, खगोलविद्, उज्जैन

– डॉ. अंजु विश्वकर्मा, भोपाल

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