mahashivratri 2025, life management tips of Lord shiva Lord Shiva and his teachings, all your problems can be solved by tips of shiv puran, | महाशिवरात्रि 26 फरवरी को: भगवान शिव की पूजा करने के साथ ही उनकी सीख को अपनाएंगे तो दूर हो सकती हैं सभी परेशानियां

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6 घंटे पहले

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बुधवार, 26 फरवरी को भगवान शिव की पूजा का महापर्व शिवरात्रि है। शिव जी की पूजा करने के साथ ही इस दिन भगवान की कथाएं पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। इन कथाओं में जीवन को सुखी बनाने की सीख दी गई है। भगवान की सीख को जीवन में उतार लेंगे तो सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। जानिए शिव जी की कुछ कथाएं और उनकी सीख…

बड़े काम टीम के साथ करेंगे तो मिलेगी सफलता

जब शिव ने सृष्टि रचने की कल्पना की तो उन्होंने सृष्टि की रचना करने का काम ब्रह्मा जी को सौंपा। सृष्टि बनने के बाद इसके संचालन का काम विष्णु जी को सौंपा। खुद भगवान शिव ने ये जिम्मेदारी ली की अंत में सृष्टि का संहार वे स्वयं करेंगे। इस तरह सृष्टि बनाने से लेकर संहार तक के काम भगवान शिव ब्रह्मा-विष्णु के साथ टीम बनाकर कर रहे हैं। टीम बनाकर काम का सही बंटवारा करेंगे तो बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां पूरी की जा सकती हैं।

अपनी शक्तियों का घमंड न करें

महाभारत के समय अर्जुन को अपनी धनुर्विद्या पर घमंड हो गया था। तब भगवान शिव ने एक वनवासी बनकर अर्जुन का घमंड तोड़ा था। शिव ने वनवासी का वेष धारण किया और वे अर्जुन के सामने पहुंचे। उस समय एक जंगली सूअर के शिकार को लेकर दोनों के बीच युद्ध हुआ। अर्जुन ने सोचा था कि ये एक सामान्य वनवासी है, इसे मैं तुरंत पराजित कर दूंगा।

बहुत कोशिश के बाद भी अर्जुन उस वनवासी को पराजित नहीं कर सके। बाद में शिव जी ने अर्जुन से प्रसन्न होकर दर्शन दिए और दिव्यास्त्र दिए। शिव जी ने अर्जुन को समझाया कि कभी भी किसी को छोटा न समझें और अपनी शक्तियों का घमंड न करें। अगर हमारे पास कोई योग्यता है या कोई शक्ति है तो उसका घमंड न करें।

बिन बुलाए किसी के घर न जाएं

शिव जी और सती का विवाह हो गया था, लेकिन सती के पिता दक्ष शिव जी को पसंद नहीं करते थे। दक्ष समय-समय पर शिव जी को अपमानित करने की कोशिश करते रहते थे।

एक बार दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में दक्ष ने शिव जी को बुलाया नहीं था, लेकिन शिव जी के मना करने के बाद भी सती बिन बुलाए वहां चली गईं। यज्ञ में दक्ष ने सती के सामने शिव जी के लिए अपमानजनक बातें कहीं।

शिव जी के लिए ऐसी बातें सुनकर सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर अपनी देह का अंत कर लिया। इस कथा से संदेश मिलता है कि बिन बुलाए कभी किसी के यहां शुभ प्रसंग में नहीं जाना चाहिए।

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