7 घंटे पहले
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सोमवार, 20 अक्टूबर को दीपावली है और इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। महालक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के बाहर दीपक जलाए जाते हैं। मान्यता है कि दीपावली की रात लक्ष्मी जी की बड़ी बहन अलक्ष्मी के लिए भी एक दीपक जलाना चाहिए। अलक्ष्मी दरिद्रता की देवी हैं, इसलिए दरिद्रता को घर से दूर रखने के लिए एक दीपक अलक्ष्मी के नाम से जलाना चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शास्त्रों में अलक्ष्मी से जुड़ी कई कथाएं बताई गई हैं। माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी से पहली उनकी बड़ी बहन अलक्ष्मी प्रकट हुई थीं। जानिए अलक्ष्मी से जुड़ी खास बातें…
दीपावली पर देवी लक्ष्मी और अलक्ष्मी से जुड़ी मान्यताएं
- दीपावली पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा का महत्व
- दीपावली की रात को देवी लक्ष्मी की आराधना की जाती है।
- लक्ष्मी को धन, वैभव, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है।
- घरों में दीपक जलाकर देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है।
अलक्ष्मी के नाम से दीपक जलाने की परंपरा
- शास्त्रों के अनुसार, दीपावली की रात एक दीपक देवी अलक्ष्मी के नाम से भी जलाया जाना चाहिए।
- अलक्ष्मी को दरिद्रता और दुर्भाग्य की देवी माना जाता है।
- यह दीपक दरवाजे के बाहर जलाया जाता है ताकि अलक्ष्मी घर में प्रवेश न कर सके।
पौराणिक कथा: समुद्र मंथन से अलक्ष्मी का प्राकट्य
- समुद्र मंथन के समय सबसे पहले अलक्ष्मी प्रकट हुई थीं।
- अलक्ष्मी के बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं जिन्होंने भगवान विष्णु को पति रूप में स्वीकार किया।
- अलक्ष्मी ने असुरी शक्तियों को अपनाया और दरिद्रता की अधिष्ठात्री बनीं।
- अलक्ष्मी का विवाह उद्दालक नामक मुनि से हुआ था।
- जब मुनि उन्हें अपने आश्रम ले गए, तो उन्होंने अंदर जाने से मना कर दिया।
- अलक्ष्मी ने बताया कि वह केवल गंदे, झगड़ालू और अधार्मिक घरों में ही जाती हैं।
- जहां सफाई होती है, सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ होता है, वहां अलक्ष्मी प्रवेश नहीं कर पातीं। ऐसे घरों में देवी लक्ष्मी का वास होता है।
धर्म-कर्म करने वालों से दूर रहती हैं अलक्ष्मी
- दीपावली पर केवल पूजा नहीं, बल्कि सकारात्मक जीवनशैली अपनाना जरूरी है।
- घर की साफ-सफाई, समय पर उठना, पूजा करना, अच्छे वस्त्र पहनना – यह सब लक्ष्मी कृपा प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
- आलस, अधर्म, गंदगी और झगड़ा अलक्ष्मी को आकर्षित करते हैं, जिससे घर में दरिद्रता और परेशानियां आती हैं।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, अलक्ष्मी समुद्र से उत्पन्न वारुणी (मदिरा) का ही रूप थीं।
- जिन लोगों को पूजा के बाद भी आर्थिक नुकसान होता है, उनके जीवन में अलक्ष्मी का प्रभाव माना जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार, जीवनशैली में सुधार और धर्म-कर्म करने से धन हानि से बचा जा सकता है।