Lord Vaman puja vidhi, vaman awatar story in hindi, Inspirational story of vaman dev, lesson of lord vaman dev | वामन देव का प्रकट उत्सव: भाद्रपद शुक्ल द्वादशी पर भगवान विष्णु ने लिया था वामन अवतार, जानिए आज कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं

9 घंटे पहले

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आज (4 सितंबर) वामनदेव का प्रकट उत्सव है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर ये पर्व मनाया जाता है। वामन भगवान विष्णु का पांचवां अवतार है। इससे पहले भगवान के मत्स्य, कच्छप, कूर्म और नृसिंह अवतार हुआ था। जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, तब-तब भगवान विष्णु धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेते हैं। श्रीहरि ने वामन अवतार उस समय लिया था, जब दैत्यराज बलि ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया था।

देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने देवमाता अदिति के गर्भ से वामन रूप में जन्म लिया। वामन एक छोटे ब्राह्मण बालक के रूप में प्रकट हुए थे।

वामन द्वादशी पर कर सकते हैं ये शुभ काम

  • उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु और वामन देव की कृपा पाने के लिए व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष पूजा करते हैं।
  • स्नान के बाद भगवान गणेश, वामन देव, विष्णु जी और श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
  • व्रत करने वाले व्यक्ति भगवान के सामने दीपक जलाकर व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।
  • पूजा के बाद धन, अनाज, वस्त्र, चप्पल, चावल, दही आदि का दान करें।
  • शाम को पुनः भगवान वामन की पूजा करें और वामन अवतार की कथा पढ़ें या सुनें।
  • जरूरतमंदों को भोजन कराएं और फिर स्वयं फलाहार करें।
  • अगले दिन यानी त्रयोदशी तिथि (5 सितंबर) पर भगवान विष्णु की पूजा करें, दान-पुण्य करें और फिर भोजन ग्रहण करें। इस तरह वामन द्वादशी का व्रत पूरा होता है।

वामन देव और राजा बलि की कथा

वामन देव की कथा दान, विनम्रता और धर्म की रक्षा का संदेश देती है। देवताओं को पराजित करने के बाद राजा बलि एक यज्ञ कर रहा था, तब भगवान वामन ब्राह्मण रूप में वहां पहुंचे और दान में तीन पग भूमि मांगी। बलि ने छोटे ब्राह्मण को देखकर सोचा कि ये छोटा ब्राह्मण कितनी भूमि ले लेगा। ऐसा सोचकर राजा बलि ने दान देने का संकल्प ले लिया।

बलि के गुरु शुक्राचार्य ने वामन देव को पहचान लिया और बलि को रोकने का प्रयास किया, लेकिन बलि ने उनकी बात नहीं मानी। इसके बाद भगवान वामन ने विराट रूप धारण किया, एक पग में पृथ्वी और दूसरे में स्वर्ग को नाप लिया। तीसरे पग के लिए कोई स्थान न बचा, तब बलि ने अपना सिर भगवान के सामने प्रस्तुत कर दिया।

भगवान ने तीसरा पग बलि के सिर पर रखा और उसे पाताल लोक भेज दिया। बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे पाताल का राजा बना दिया और देवताओं को उनका स्वर्ग लोक लौटा दिया।

वामन देव की सीख

ये पर्व हमें विनम्रता, धर्म की रक्षा और निस्वार्थ दान का महत्व सिखाता है। राजा बलि की कथा बताती है कि सच्चा बल केवल सत्ता में नहीं, बल्कि त्याग और समर्पण में है। भगवान वामन का अवतार हमें यह प्रेरणा देता है कि जब भी अधर्म बढ़ता है तो भगवान धर्म की रक्षा के लिए अवतरित होते हैं।

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