Lord Shri Ram’s life has been modest and restrained | मर्यादित और संयमित रहा है प्रभु श्री राम का जीवन – Buxar News

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गुरू पूर्णिमा के अवसर पर लालबाबा आश्रम, बक्सर में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा के चतुर्थ दिवस पर जगद्गुरु रामानुजाचार्य विद्या वाचस्पति आचार्य धर्मेन्द्र जी महाराज ने कहा कि नारायण बडे कृपालु हैं। उनकी कृपा सब पर बरसती रहती है। बस शर्त इतना ही है कि श्रद्धा से उन्हे याद किया जाय। याद करने में देरी हो सकती है, उनको दया करने में देर नही होती। इसके प्रमाण मे गजेन्द्र मोक्ष की कथा कही।श्रीमद्भागवत की कथा व नारायण नाम मे इतनी शक्ति है कि पापी भी नारायण नाम से गोविंद लोक का अधिकारी बन जाता है। इस कथन की पुष्टि में अजामिल मोक्ष की कथा कही आचार्य जी ने। प्रह्लाद चरित्र का वर्णन करते हुए जगद्गुरु रामाशनुजाचार्य विद्या वाचस्पति आचार्य धर्मेन्द्र ने कहा कि कोई जरूरी नहीं है कि उत्तम कुल मे उत्तम संतान हो और संस्कार हीन कुल में संस्करहीन संतान हो। इस सिद्धांत के प्रमाण में आचार्य जी ने कहा कि कश्यप ऋषि के कुल मे हिरन्याच्छ, हिरन्यकिश्यपू का आना और हिरन्यकिश्यपू के कुल मे भक्त राज प्रह्लाद के आने की कथा कही। साथ मे दीती और क्याधू के जीवनव्यवहार से गृहस्थों को शिक्षा लेने की सलाह दी। सूर्य वंश का वर्णन करते हुए अम्बरीष, सगर चरित्र पर प्रकाश डाला। फिर सागर मंथन के हेतु और मंथन से निकले रत्नो, नासिक, उज्जैन, प्रयाग, हरिद्वार चारों कुम्भों की कथा कही। उन्होंने गंगा अवतरण की कथा कहते हुए कहा गंगा जी दुनिया के पापियों को पाप से मुक्त करती हैं। जबकि गंगा जब अपवित्र होती है तो वैष्णव के स्नान मात्र से पवित्र हो जाती है। वर्तमान संदर्भ मे गंगाको प्रदूषण मुक्ति पर बल दिया।

आचार्य श्री ने रामजन्म के विविध हेतु की चर्चा करते हुए श्रीराम की बाललीला, विवाह लीला, वन लीला, रण लीला, राजलीला और प्रस्थान लीलाओं का सारगर्भित व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीराम जी का पूरा जीवन मर्यादित संयमित रहा, जो सनातन धर्म का व्यावहारिक स्वरुप है, अनुकरणीय है। संयममय जीवन उत्तम साधना है। संयममय जीवन सानातन धर्म का सार है। कथा श्रवण के लिए बक्सर और उत्तर प्रदेश बलिया प्रक्षेत्र के भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। सब कथा सुनकर कहते सुने जारहे हैं पहली बार श्रीमद्भागवत की दिव्य कथा सुनने को मिल रही है। श्रीमद्भागवत का मूल पाठ पंडित अशोक द्विवेदी द्वारा किया जा रहा है। प्रबंध व्यवस्था में महंथ सुरेन्द्र बाबा और उनके सहयोगी यज्ञ समिति के स्थानीय भक्त व क्षेत्रीय लोग भक्ति भाव से सक्रिय सहयोग कर रहे हैं। कथा के समापन के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।

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