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- Lord Krishna’s Teachings To The Pandavas, Life Management Tips Of Lord Krishna, Pandav And Krishna Story In Hindi
13 घंटे पहले
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महाभारत में एक प्रसंग में श्रीकृष्ण पांडवों को समझा रहे थे कि अब युधिष्ठिर चक्रवर्ती सम्राट बन जाएंगे तो आर्यावर्त के अधिकांश राजा आप पांडवों के अधीन हो जाएंगे। वैसे तो पांडवों के पराक्रम के आगे सभी झुकेंगे, लेकिन जरासंध नहीं झुकेगा। जब तक जरासंध जीवित है, तब तक धर्म की स्थापना नहीं हो सकती है। जरासंध ने सभी विरोधी एकत्र कर लिया और वो खुद उन राजाओं का प्रमुख बन गया है।
श्रीकृष्ण ने आगे कहा कि जरासंध ने शिशुपाल को सेनापति बनाया है। दंतवक्र जैसा पराक्रमी जरासंध का शिष्य है। पराक्रमी योद्धा हंस और डिंबक, करभ, मेघवाहन जैसे शक्तिशाली राजा भी जरासंध के साथ हैं।
सभी पांडव श्रीकृष्ण की बातें ध्यान से सुन रहे थे। श्रीकृष्ण ने कहा कि ये सभी राजा बहुत बलवान हैं, लेकिन जरासंध से डरते हैं, और तो और मेरे ससुर भीष्मक भी जरासंध के भक्त हैं। मैंने कंस का वध किया, इसलिए कंस का ससुर जरासंध मुझसे बैर रखता है। आप लोगों को जरासंध के साथ पूरी तैयारी के साथ युद्ध करना होगा। वह तैयारी केवल सैन्य बल की नहीं, मनोबल की और कूटनीति की होनी चाहिए।
श्रीकृष्ण बातें सुनकर पांडवों ने कहा कि आप ही बताइए, हमें क्या करना चाहिए?
श्रीकृष्ण ने विचार-विमर्श किया और फिर ये तय हुआ कि श्रीकृष्ण, अर्जुन और भीम जरासंध के राज्य जाएंगे, उसके राज्य में जाकर कूटनीति से जरासंध को पराजित करेंगे।
श्रीकृष्ण की बातें सुनकर युधिष्ठिर ने कहा कि मैं हमेशा आपका बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन आज मेरे मन आपके लिए सम्मान और अधिक बढ़ गया है। आप कोई भी काम पूरी तैयारी के बिना नहीं करते हैं। हर काम के पीछे आपकी तैयारी एकदम पुख्ता होती है। मुझे आश्चर्य होता है कि आपको इतनी सारी जानकारियां हैं। कौन-कौन से राजा जरासंध के साथ हैं, उनके नाम आपको मालूम हैं, आप ये भी जानते हैं कि जरासंध कैसे मरेगा। हम सब आपसे यही सीख रहे हैं कि बिना तैयारी के बड़े काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
इसके बाद श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन जरासंध के राज्य में वेश बदलकर पहुंच गए। श्रीकृष्ण की योजना के अनुसार भीम और जरासंध का युद्ध हुआ, जिसमें भीम ने जरासंध का वध कर दिया।
प्रसंग की सीख
तैयारी के बिना कोई बड़ा काम शुरू न करें
युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कहा कि आप कोई भी काम बिना तैयारी के नहीं करते। यही आपकी सबसे बड़ी खासियत है। श्रीकृष्ण ने ये संदेश दिया है कि जब तक शत्रु की ताकत, मित्रों की संख्या और सभी संभावनाओं की जानकारी न हो, तब तक निर्णय नहीं लेना चाहिए।
अधूरी जानकारी सबसे बड़ी कमजोरी है
जरासंध से जुड़ी हर बात श्रीकृष्ण को पहले से पता थी। उन्होंने पहले ही जान लिया था कि कौन-कौन उनके विरोध में है, कौन जरासंध के पक्ष में है। इसी पूर्ण जानकारी के कारण वे सफल हुए। अधूरी जानकारी के साथ किए गए काम में सफलता नहीं मिल पाती है।