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- Lord Krishna’s Teaching To Arjun, Lesson Of Lord Krsihna In Hindi, Life Management Tips From Mahabharata In Hindi
7 घंटे पहले
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जीवन में दुख का आना-जाना लगा रहता है। आधुनिक जीवन शैली की वजह से रिश्तों में असंतुलन, काम का दबाव और अनिश्चितता बनी रहती है। इन कारणों से हमें तनाव का सामना करना पड़ता है। श्रीकृष्ण के किस्सों से हम समझ सकते हैं कि दुख और तनाव को कैसे दूर किया जा सकता है…
परेशानियों से भागे नहीं, सामना करें
महाभारत के युद्ध से ठीक पहले अर्जुन युद्धभूमि में अपने ही संबंधियों को देखकर विचलित हो गए थे। वे धनुष-बाण नीचे रख देते हैं। उस समय श्रीकृष्ण उन्हें गीता का उपदेश देते हैं- श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल की चिंता मत करो।
जब भी हम दुख या तनाव में हों तो भागने की बजाय समस्या का सामना करना चाहिए। परिणाम की चिंता छोड़कर अपने कर्म पर ध्यान दें, हमारे कर्म सही हैं तो परिणाम भी सही ही आता है।
रिश्तों में संतुलन बनाए रखें
श्रीकृष्ण एक ओर द्वारका के राजा थे, वहीं दूसरी ओर सुदामा जैसे गरीब ब्राह्मण के मित्र भी थे। जब सुदामा मित्र श्रीकृष्ण से मिलने आते हैं तो श्रीकृष्ण उनके चरण धोते हैं और उन्हें गले लगाते हैं।
तनाव तब बढ़ता है जब हम दिखावे, पद और स्थिति के अनुसार लोगों से व्यवहार करते हैं। श्रीकृष्ण संदेश देते हैं कि रिश्तों में सच्चाई, करुणा, समानता और संतुलन होना चाहिए। जब हम रिश्ते ठीक से निभाते हैं तो मानसिक शांति मिलती है।

महाभारत युद्ध से पहले श्रीकृष्ण शांति दूत बनकर कौरवों के पास जाते हैं, श्रीकृष्ण युद्ध को टालना चाहते थे। बहुत समझाने के बाद भी जब दुर्योधन ने शांति प्रस्ताव ठुकरा दिया, जब शांति का कोई मार्ग नहीं बचा, तब श्रीकृष्ण युद्ध के लिए तैयार हो जाते हैं।
श्रीकृष्ण ने शांति की स्थापना के लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश की, लेकिन जब शांति का कोई मार्ग नहीं बचा, तब उन्होंने युद्ध करने का निर्णय लिया। बाद में महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण की नीतियों से पांडवों को जीत भी मिली।
हमें भी जहां तक हो सके विवादों से बचने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन जब विवाद टालना मुश्किल हो जाए तो नीति के अनुसार निर्णय लें और विरोधियों को पराजित करें।