कोटा के छेरकाबांधा स्थित शराब फैक्ट्री वेलकम डिस्टलरी में अप्रैल से अब तक 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की देसी-अंग्रेजी शराब बन चुकी है। इस बार 20 प्रतिशत ग्रोथ का प्लान है, लेकिन आधा दर्जन से ज्यादा गांव के लोगों के स्वास्थ्य को जो नुकसान पहुंच रहा है, उ
.
शराब फैक्ट्री वेलकम डिस्टलरी की जांच और शिकायतों के बाद अब खुलेआम गंदा पानी छोड़ने के बजाय कुछ दिनों के अंतराल में देर रात छोड़ा जा रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक सुबह वातावरण में बदबू रहती है, तब उन्हें पता चलता है। इतनी जांच और शिकायतों के बाद भी प्रदूषण से पूरी तरह लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है।
स्थानीय ग्रामीणों ने अब शिकायत करना भी बंद कर दिया है, क्योंकि प्रशासन के अधिकारियों का भी सपोर्ट मिलता है। तहसीलदार और एसडीएम शिकायतों के बाद जांच नहीं करते। पर्यावरण मंडल की जांच में यह साबित भी हो चुका है, फिर भी डिस्टलरी प्रबंधन पर महज कुछ राशि का जुर्माना लगाया जाता है। इस कारण ग्रामीण और स्कूली बच्चे दुर्गंध के बीच रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों के मुताबिक स्थानीय जनप्रतिनिधि भी डिस्टलरी से लेनदेन कर मामले को दबा देते हैं।
2.60 लाख देसी व 1.76 लाख पेटी विदेशी शराब का प्रोडक्शन
छेरकाबांधा स्थित वेलकम डिस्टलरी के एडीईओ एनएन सिन्हा ने बताया इस वित्तीय वर्ष में अब तक कुल 2.60 लाख देसी मसाला और प्लेन शराब का प्रोडक्शन हो चुका है। 1.76 लाख पेटी विदेशी शराब की बॉटलिंग भी हुई है। विभाग के दूसरे अफसरों से बात करने पर पता चला कि डिस्टलरी में देसी शराब का112 करोड़ और विदेशी शराब का 109 करोड़ रुपए का उत्पादन हो चुका है। वहीं प्रदूषण से जुड़े सवाल पर विभाग के अफसरों ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का मामला बताया है।
वेलकम डिस्टलरी का बदबूदार पानी खुले में बहा रहे, कई गांव के ग्रामीण परेशान
शराब फैक्ट्री वेलकम डिस्टलरी में प्रदूषण का मामला शुक्रवार को सदन में उठा। इसमें विभाग के मंत्री ओपी चौधरी ने यह स्वीकार किया कि वेलकम डिस्टलरी द्वारा खुले मैदान में औद्योगिक अपशिष्ट डाल दिया गया था। इससे तेज गंध और वायु प्रदूषण की स्थिति निर्मित हुई। इसके लिए पहले 3.90 लाख रुपए जुर्माना किया गया।
इसके बाद तीन अन्य शिकायतों की जांच के दौरान यह पाया गया कि उद्योग से गंदा पानी नाले के माध्यम से परिसर से बाहर बहाना पाया गया। जल उपचार संयंत्र पूरी क्षमता से संचालित नहीं हो रहा था। अपशिष्ट पदार्थों का भंडारण उचित तरीके से नहीं करना पाया गया। उद्योग और लैगून के बीच पाइपलाइन क्षतिग्रस्त थी।
डिस्टलरी की हाउस कीपिंग व्यवस्था खराब पाई गई। प्रश्नकाल के दौरान कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने यह मामला उठाया। उन्होंने जुर्माने की राशि पर सवाल किया। विधायक ने सवाल किया कि क्या सिर्फ 3.90 लाख या 9 लाख रुपए जुर्माना कर देना पर्याप्त है। ग्रामीणों और स्कूली बच्चों की सेहत को ध्यान में रखकर इसे बंद कर देना चाहिए। मंत्री ने कहा कि यदि और कोई परेशानी है तो लिखित में शिकायत कर दें, वे विभागीय स्तर पर जांच कराएंगे।
अभी भी गड़बड़ी तो लिखित में दें : चौधरी
जब इंस्पेक्शन किया जाता है और जो वॉयलेशन मिलता है, उसके आधार पर नोटिस दिया जाता है और इंस्पेक्शन की दूसरी तारीख तय की जाती है। उस तारीख पर इंस्पेक्शन में यदि सुधार मिलता है, तभी उसे चालू किया जाता है। अगर अभी भी गड़बड़ी है तो लिखित रूप से मुझे अलग से दे दें।-ओपी चौधरी, पर्यावरण मंत्री
मेरा कहना है कि वहां के किसान शिकायत कर रहे हैं, स्कूल के बच्चे शिकायत कर रहे हैं, अरपा नदी में प्रदूषित जल जा रहा है। वायु प्रदूषित हो रही है। आखिर कब बंद करेंगे। एक फाइन करने के बाद कार्रवाई बंद कर दी जाती है और फिर वह मनमानी करने लगता है। -अटल श्रीवास्तव, विधायक कोटा