lesson of ramayana, Lord shriram and jayant story, life management tips from ramayana | रामायण की सीख: गलत कामों से बचना चाहिए और अगर कोई गलत काम हो जाए तो उसके लिए तुरंत क्षमा मांगनी चाहिए

6 दिन पहले

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रामायण का किस्सा है। वैसे तो हमें कोई गलत काम करना ही नहीं चाहिए, लेकिन अगर कोई गलती हो जाए तो तुरंत उस व्यक्ति से क्षमा मांगनी चाहिए, जिसे हमारी वजह से नुकसान हुआ है। ये बात देवराज इंद्र के पुत्र जयंत से जुड़े किस्से से समझ सकते हैं।

जयंत देवराज इंद्र का पुत्र था तो उसे लगता था कि वह कुछ भी कर सकता है। वनवास के दिनों में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण चित्रकूट में रह रहे थे। एक दिन श्रीराम और सीता चित्रकूट में अपनी कुटिया के पास बैठे हुए थे। उस समय जयंत ने राम को देखा तो उसने सोचा कि मुझे राम की परीक्षा लेनी चाहिए कि ये कितने बलशाली हैं। जयंत ने राम की परीक्षा लेने के लिए कौए का रूप धारण किया। कौए के रूप में जयंत ने देवी सीता के पैरों में चोंच मार दी।

कौए की चोंच की वजह से सीता जी के पैरों में दर्द होने लगा। सीता के दर्द को देखकर श्रीराम ने एक छोटे से तिनके का बाण बनाया और अभिमंत्रित करके जयंत के पीछे छोड़ दिया।

श्रीराम के द्वारा छोड़ा गया एक छोटा सा तिनका ब्रह्मास्त्र की तरह जयंत के पीछे लग गया, जयंत डर गया। वह तुरंत ही अपने पिता देवराज इंद्र के पास पहुंचा। इंद्र ने अपने पुत्र जयंत से कहा कि तूने श्रीराम के प्रति अपराध किया है तो मैं तुझे नहीं बचा सकता।

इंद्र से मदद न मिलने के बाद जयंत कई और जगहों पर छिपने के लिए पहुंचा, लेकिन कहीं से भी उसे कोई मदद नहीं मिली। अंत में उसे नारद मुनि मिल गए।

जयंत ने नारद मुनि को पूरी घटना बताई और इस संकट से बचने का उपाय पूछा। नारद जी की वजह से वह बाण थोड़ी देर वहीं रुक गया था, क्योंकि वे देवर्षि थे। पूरी बात समझने के बाद नारद ने कहा कि जयंत, तुम भूल कर रहे हो। गलती तुमने राम और सीता के प्रति की है और तुम चाहते हो कि कोई दूसरा तुम्हें बचा लेगा तो ऐसा नहीं हो पाएगा। तुम्हें श्रीराम और सीता से ही क्षमा मांगनी होगी, वे तुम्हें क्षमा कर देंगे तो तुम्हारा संकट दूर हो जाएगा।

नारद मुनि की बात मानकर जयंत तुरंत श्रीराम और सीता के पास पहुंचा और क्षमा मांगने लगा। श्रीराम ने जयंत से कहा कि तुम्हें दंड तो मिलना ही चाहिए, लेकिन तुम क्षमा मांग रहे हो तो तुम्हें मृत्यु दंड नहीं मिलना चाहिए, ऐसा कहकर श्रीराम ने उसकी एक आंख में तीर मार दिया, उसकी एक आंख खराब हो गई, लेकिन उसे जीवित छोड़ दिया।

रामायण की सीख

हमसे जिस व्यक्ति के प्रति कोई गलती हुई है, जिस व्यक्ति का हमारी वजह से नुकसान हुआ है, सबसे पहले उसी व्यक्ति से हमें क्षमा मांगनी चाहिए। जब वह व्यक्ति हमें क्षमा करेगा, सिर्फ तब ही हमारी गलती सुधर सकती है।

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