मैं इंजीनियरिंग करने के बाद प्राइवेट कंपनी में काम कर रहा था। बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर मैं जब दिल्ली के द्वारका में यशोभूमि बना रहा था। तभी बीमार पड़ा और यह बीमारी मेरे लिए वरदान बन गई। मैं अब भले ही एक लाख रुपए सैलरी नहीं उठा रहा हूं। लेकिन खुशी है कि
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यह कहना है बेगूसराय के बखरी प्रखंड क्षेत्र स्थित लक्ष्मीपुर(लौछे) गांव में रुद्र इंडस्ट्रीज के नाम से बेकरी चलाने वाले पवन कुमार गुप्ता का है। 15 फरवरी 1984 को पैदा पवन कुमार गुप्ता ने 2009 में तमिलनाडु से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। उसके बाद विभिन्न प्राइवेट कंपनी में काम करते रहे। दिल्ली के द्वारका सेक्टर में जब यशोभूमि बन रहा था, तो उसने भी बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम किया।
काम करते स्टाफ।
2018 में कुछ करने का मन में ठाना था
जहां मेहनत कम, लेकिन सैलरी करीब एक लाख रुपए महीने की थी। वह अपने काम में तन्मयता से जुड़ा हुआ था। 2018 से ही सोच रहा था कि अपना कुछ करना है। खतरों से खेलना है। ऐसी फैक्ट्री लगानी है, जिसमें खुद अच्छी आय हो साथ ही लोगों को भी काम मिले, नौकर नहीं मालिक बनें। दिल्ली में जहां वह रहता था, वहीं बगल में ब्रेड की बड़ी कंपनी थी। वह कंपनी ब्रेड और रस्क सहित कई बेकरी प्रोडक्ट बनाती थी।
2023 में दिल्ली छोड़ गांव आए
छुट्टी के समय में पवन उसी के यहां बैठा करते थे। उन्होंने इस काम को नजदीक से देखा। जनवरी 2023 में जब पवन बीमार हुए तो मन में गांव आने का प्लान बना लिया। जून 2023 में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद से इस्तीफा देकर गांव आ गया। यहां केंद्र सरकार और बिहार सरकार रोजगार के लिए कई योजना चल रही थी। उसने केंद्र सरकार के PMFME प्रोजेक्ट के लिए आवेदन कर दिया।
तैयार ब्रेड।
ब्रांड नेम में कई दिक्कतें आई
मन में दृढ़ संकल्प था कि बेकरी ही खोलनी है। उद्योग विभाग के अधिकारियों और बैंक को पवन का प्रोजेक्ट अच्छा लगा। 25 लाख रुपए की स्वीकृति मिल गई। स्वीकृति मिलते ही पवन ने लोन की राशि और कुछ खुद का इन्वेस्ट मिलाकर लक्ष्मीपुर गांव में ही रुद्र इंडस्ट्रीज की शुरुआत कर दिया। उसके फैक्ट्री में ब्रेड और रस्क बनने लगे। ब्रांड नेम में कुछ बाधा आई, दो बार उसे ब्रांड नाम बदलना पड़ा। लेकिन 15 जनवरी 2024 को जब उसने RUVANYA नाम से ब्रेड और रस्क को लॉच किया तो फिर आज उसका कोई विकल्प नहीं है।
15 लोगों को दिया रोजगार
पवन के रूद्र इंडस्ट्रीज में दो शिफ्ट में काम होता है। इसमें उसने 15 लोगों को रोजगार दिया है, जिन्हें 8000 से लेकर 22000 तक की सैलरी दे रहे हैं। पवन का कहना है कि बिहार में कई अन्य जगहों पर भी ब्रेड और रस्क बनाते हैं। लेकिन बखरी के आसपास के करीब 150 किलोमीटर रेडियस में कोई ब्रांडेड फैक्ट्री नहीं थी।
तैयार रस्क
मार्केटिंग खुद से करना शुरू किया
सामान दूर-दूर से आते थे, इसी उद्देश्य से उसने चार प्रकार का ब्रेड और रस्क बनाना शुरू किया। क्वालिटी माइक्रो सिटी के प्रोडक्ट की तरह रखी और दाम ऐसा रखा की आम लोग भी खरीद सकें। मार्केटिंग खुद से करना शुरू किया, तो धीरे-धीरे लोग खरीदने के लिए उसका ब्रांड खोजने लगे। बखरी और आसपास के बाजार में आपूर्ति करने के बाद पूरे बेगूसराय जिला को कवर किया। बगल के खगड़िया जिला, रोसड़ा और समस्तीपुर गया। यहां से मोकामा, बरबीघा, बिहारशरीफ और बख्तियारपुर तक पहुंचाया।
आज पवन गुप्ता का ब्रांड स्थानीय स्तर पर एक जाना पहचाना चीज हो गया है। अब उसने पटना और मुजफ्फरपुर के बाजार को टारगेट कर रखा है। जल्द ही वहां के सभी दुकानों में छा जाने की मंशा है।
ब्रांड लोगो
पवन ने बताया कि मैं दिल्ली में कंस्ट्रक्शन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर का जॉब कर रहा था। वहां से मैंने कुछ अलग करने के लिए यहां मूव किया। 2023 में जब बीमार पड़ा तभी से मेरी यह जर्नी शुरू हुई। मैं ब्रेड का प्लांट लगाने के लिए पीएमएफएमई से 25 लाख रुपया कर्ज लिया। उसके साथ खुद का कुछ इन्वेस्टमेंट किया, चार प्रकार का ब्रेड और रस्क बनाता हूं, केक बनाता हूं।
बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, बिहार शरीफ, बख्तियारपुर तक जाता है। मैं जब जॉब कर रहा था तो करीब एक लाख रुपए सैलरी मिल रही थी। रस्क बहुत जगह बनता है, लेकिन हमारे रस्क में खासियत है। 30 सेकेंड में उसकी विशेषता का पता चल जाएगा।
30 हजार रुपए कमा रहा
मार्केट से अच्छा रिस्पॉन्स मिला जो एक बार खाया वह मेरे ब्रेड और रस्क का दीवाना बन गया। चार से छह लाख रुपए तक की हमारी सेल है, जिसमें 30 हजार महीना कमा रहा हूं। वहां मैं एक लाख कमाता था, यहां कमाई कम हो रही है। लेकिन अपना खुद का ओनरशिप है। हमने आसपास के लोगों को रोजगार दिया है। सिर्फ अपने लिए सोचना अच्छा नहीं है, सबके लिए सोचना चाहिए। मैं सभी लोगों को कहता हूं कि सरकारी नौकरी के भरोसे नहीं रहकर, रोजगार शुरू करें।