Learn tips for a happy married life from the stories of Ramayana, family management tips in hindi, tips for wife and husband according to ramayana | रामायण के किस्सों से सीखें सुखी वैवाहिक जीवन की टिप्स: लाइफ पार्टनर की सलाह को न करें नजरअंदाज, हर स्थिति में जीवन साथी पर भरोसा रखें

पहली बात

पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण है जरूरी

  • प्रेम और समर्पण की भावना के बिना कोई भी वैवाहिक रिश्ता ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकता है। श्रीराम और सीता के रिश्ते से ये बात समझ सकते हैं।
  • श्रीराम और सीता के बीच अनन्य प्रेम था, जब श्रीराम को वनवास जाना था, तब सीता भी उनके साथ जाने के तुरंत तैयार हो गईं।
  • पति के प्रति समर्पण की भावना की वजह से ही सीता ने श्रीराम के साथ वनवास जाने का विकल्प चुना। इन भावनाओं के बिना जीवन में सुख-शांति नहीं आ सकती है।

दूसरी बात

जीवन साथी के सुख के लिए अपने सुख का त्याग करना

  • जब कोई व्यक्ति हमारे लिए अपने सुख का त्याग करता है तो हमारे मन में उसके लिए प्रेम बढ़ता है। पति-पत्नी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कभी-कभी लाइफ पार्टनर के सुख के लिए अपने सुख का त्याग करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए।
  • देवी सीता ने श्रीराम के साथ वनवास जाने का विकल्प चुना, जबकि श्रीराम ने उन्हें वनवास न आने के लिए बहुत समझाया था। सीता ने महल की सुख-सुविधाएं छोड़कर श्रीराम के साथ वनवास का मुश्किल जीवन चुना, ताकि वह अपने मुश्किल समय में भी पति का साथ दे सके।
  • इस भावना की वजह से पति-पत्नी के मन में एक-दूसरे के लिए प्रेम और सम्मान की भावना बढ़ती है।

तीसरी बात

लाइफ पार्टनर की सलाह को नजरअंदाज न करें

  • सुखी जीवन के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को समय-समय पर सही सलाह दें और एक-दूसरे की सलाह का सम्मान करें, उसे अपनाएं।
  • रामायण में मंदोदरी ने कई बार रावण को सलाह दी थी कि वह सीता को सकुशल श्रीराम को लौटा दें, लेकिन रावण ने मंदोदरी की बात नहीं मानी, उसका अपमान किया।
  • इसका नतीजा ये हुआ कि रावण की वजह से उसके पूरे कुल का ही नाश हो गया। जीवन में सुख-शांति के साथ ही सफलता भी चाहते हैं तो अपने पार्टनर की सलाह का मान रखें, सलाह अच्छी हो तो उसे अपनाएं।

चौथी बात

जीवन साथी पर हर स्थिति में भरोसा रखें

  • सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सबसे जरूरी बातों में से एक है आपसी विश्वास। रावण ने सीता हरण कर लिया। रावण ने देवी को अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा था।
  • उसने सीता को तरह-तरह से डराने की कोशिश की, ताकि वह श्रीराम को भूल कर रावण को अपना ले। देवी सीता को श्रीराम पर पूरा भरोसा था कि वे आएंगे और रावण की कैद से उन्हें मुक्ति दिलाएंगे। इसलिए सीता रावण से नहीं डरीं और श्रीराम के आने का इंतजार करती रहीं।
  • मुश्किलों में भी सीता का श्रीराम के लिए विश्वास कम नहीं हुआ। जब पति-पत्नी के बीच इतना भरोसा होता है तो बड़ी-बड़ी परेशानियों को भी आसानी से दूर किया जा सकता है।

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