Last Lok Adalat of the year held in Chhattisgarh | छत्तीसगढ़ में लगा साल का आखिरी लोक अदालत: साढ़े 4 लाख से अधिक मामले सुलझाए गए, 536 श्रमिकों को मिला न्याय – Raipur News

साल 2024 के आखिरी नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय रायपुर में शनिवार को आयोजित किया गया। नेशनल लोक अदालत में कुल 4,58,085 प्रकरणों का निराकरण किया गया। वहीं, नेशनल लोक अदालत में आने वाले लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई।

.

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के अध्यक्ष और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलराम प्रसाद वर्मा प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय अशोक कुमार साहू, जिला एवं सत्र के जज और अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हितेन्द्र तिवारी ने नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया।

रायपुर कोर्ट में नेशनल लोक अदालत।

रायपुर कोर्ट में नेशनल लोक अदालत।

536 श्रमिकों को मिला नेशनल लोक अदालत में न्याय

छत्तीसगढ़ जूट इंडस्ट्री रायपुर में आवेदक और 535 अन्य श्रमिक कई साल से काम कर रहे थे। जिन्हें प्रबंधन ने उद्योग में अस्थायी काम बंद कर नौकरी से निकाल दिया था। रोजगार छिनने के कारण श्रमिक और प्रबंधन के बीच विवाद हो गया।

उप श्रमायुक्त ने पाया है कि छत्तीसगढ़ जून इंडस्ट्रीज ने नियमानुसार शासन से पूर्वानुमति लिए बिना की गई अस्थायी हड़ताल वैधानिक, उचित और श्रमिक राम सिंह और अन्य 535 श्रमिक सहायता के पात्र हैं। इस मामले में निर्णय के लिए प्रकरण औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 10 के अंतर्गत श्रम न्यायालय रायपुर को भेजा गया।

समझौते के बाद दिया गया चेक

पीठासीन अधिकारी विभा पाण्डेय के श्रम न्यायालय में समझौते के आधार पर प्रकरण के निराकरण के लिए पेश किया गया। आवेदक रामसिंह और 535 श्रमिक की ओर से अधिकृत 10 प्रतिनिधियों ने प्रबंधन के साथ समझौता किया। शनिवार को 46 श्रमिकों को जिला न्यायाधीश और विभा पांडेय पीठासीन अधिकारी ने 24 लाख 43 हजार 693 रुपए का चेक दिया। बाकी 120 दिन के अंदर बाकी भुगतान भी पूरा कर लिया जाएगा।

न्यायालय के समझाइश पर पति-पत्नी हुए एक

आवेदिका ने अनावेदिका अपने पति के खिलाफ भरण-पोषण का प्रकरण इस आधार पर पेश किया था कि, अनावेदक दहेज की मांग लेकर उसके साथ मारपीट और लड़ाई-झगड़ा कर घर से निकाल दिया। इसलिए वो मायके में रहती है। अनावेदक रायपुर में डेली नीड्स की दुकान का संचालन कर 50 हजार रुपए कमाता है। इसलिए उसने अपने भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 20 हजार रुपए मांगे।

अनावेदक पति ने बताया कि, वो दहेज की मांग नहीं किया और ना ही मारपीट किया। वो अपनी पत्नी को रखना चाहता है। बिलासपुर हाईकोर्ट में आवेदिका के द्वारा क्रीमिनिल रिविजन पेश किया गया था। जहां राजीनामा का प्रयास किया गया। कुटुम्ब न्यायालय ने दोनों पक्षों को समझाइश दी। जिसके बाद साथ में रहकर अपने दाम्पत्य जीवन जीने के लिए राजी हुए।

साल 2024 के अंतिम नेशनल लोक अदालत में प्रकरण का किया गया निराकरण

  • राजस्व न्यायालय- 3,54,253 प्रकरण।
  • कुटुम्ब न्यायालय- 116 प्रकरण।
  • न्यायालय में लम्बित लगभग-14906 प्रकरण ।
  • प्री-लिटिगेशन और नगर निगम से मामले 443179 प्रकरण का निराकरण।
  • जन उपयोगी सेवाओं से संबंधित 638 प्रकरण का निराकरण।
  • मोहल्ला लोक अदालत 47 प्रकरण का निराकरण।
  • छत्तीसगढ़ राज्य परिवहन अधिकरण 1 प्रकरण।
  • नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारों को मिली कुल राशि 62,64,407,204।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *