7 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

टीवी का पॉपुलर शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ फिर से लौट आया है। इसका पहला एपिसोड मंगलवार रात को टेलीकास्ट हुआ और इसे देखकर दर्शकों की पुरानी यादें ताजा हो गईं।
इस शो की वापसी को लेकर सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
कई यूजर्स ने शो के टाइटल ट्रैक, तुलसी-मिहिर की जोड़ी और फैमिली वैल्यूज की तारीफ की।

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ 2, 29 जुलाई रात 10:30 बजे से स्टार प्लस और जियोहॉटस्टार पर आ रहा है।
एक यूजर ने एक्स पर लिखा,

मैं बच्चे की तरह रो रहा था… इस टाइटल ट्रैक से जुड़ी बहुत सारी यादें हैं… तुलसी और सविता की जोड़ी आइकॉनिक है… फैमिली वैल्यूज और बैकग्राउंड म्यूजिक भी शानदार था।

दूसरे यूजर ने कहा,

इस एहसास को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। यह पूरी तरह से नॉस्टेल्जिया है। ‘क्योंकि’ से बहुत सी रियल-लाइफ मेमोरीज जुड़ी हैं। टेलीविजन का वो गोल्डन एरा वापस आ गया है।

एक अन्य दर्शक ने लिखा,

OMG… सिर्फ ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ ही मुझे फिर से टीवी ड्रामा देखने के लिए वापस ला सकता था। नॉस्टेल्जिया बहुत गहरा है! कुछ करेक्टर्स तो वैसे ही लग रहे हैं और पहले ही दिन में इतना ड्रामा दिखा दिया, अब आगे देखने की और भी एक्साइटमेंट है!
एक यूजर ने तुलसी की एंट्री पर कहा,

गाना और तुलसी विरानी की एंट्री कमाल की थी। पूरा नॉस्टेल्जिक फील आया। स्मृति ईरानी मैम का चार्म और एलिगेंस आज भी वैसा ही है। पुराने और नए दोनों जेनरेशन के लिए शो है।
शो की तुलना अनुपमा से हो रही है
शो की वापसी के बाद इसकी तुलना अनुपमा से की जा रही है। जिसको लेकर एकता कपूर ने कहा कि लीड रोल्स और शो के बीच तुलना करना जरूरी नहीं है।

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ 2000 से 2008 तक स्टार प्लस पर चला था।
ब्रूट को दिए इंटरव्यू में एकता कपूर ने कहा,

हम अपनी कहानी दिखाने के लिए वापस आ रहे हैं। लीड रोल्स और शो की आपस में तुलना करना ठीक नहीं है। यह जरूरी भी नहीं है। औरतों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना या कंटेंट की आपस में टक्कर कराना बिल्कुल बेवजह है।
वहीं, शो की तुलना को लेकर अनुपमा की लीड एक्ट्रेस रूपाली गांगुली ने टेली टॉक इंडिया से बात करते हुए कहा,

एकता जी का बड़प्पन है कि वो इतनी अच्छी बातें कर रही है। ये सच भी है ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी ‘ नॉस्टेल्जिया है। हम सब के लिए बड़ी गर्व की बात है कि वो हमारे चैनल पर शो वापस आ रहा है। मुझे समझ नहीं आता कि आप ‘अनुपमा’ की तुलना ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से कैसे कर सकते हैं।