Koo Shutdown Reason Update; Aprameya Radhakrishna | Twitter | भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Koo बंद हुआ: फाउंडर्स बोले- लिटल यलो बर्ड सेज फाइनल गुडबाय, वित्तीय दिक्कतों​​​​​​​ का सामना कर रही थी कंपनी

नई दिल्ली4 मिनट पहले

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भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Koo अब बंद हो गया है। Koo के फाउंडर्स अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने इस फैसले का ऐलान किया। इस ऐप को माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर (अब X) को टक्कर देने के लिए लॉन्च किया गया था।

फाउंडर्स ने पार्टनरशिप विफल होने, अनप्रिडिक्टेबल कैपिटल मार्केट और हाई टेक्नोलॉजी कॉस्ट के कारण यह फैसला लेने की बात कही है। इससे पहले कंपनी ने अप्रैल 2023 में कर्मचारियों की बड़ी संख्या को नौकरी से निकाला था।

फाउंडर्स ने कंपनी के कुछ एसेट्स को बेचने की बात भी कही है। उन्होंने कहा, ‘हमें इनमें से कुछ एसेट्स को भारत में सोशल मीडिया के सेक्टर में प्रवेश करने के लिए बड़ा विजन रखने वाले किसी व्यक्ति के साथ शेयर करने में खुशी होगी।’

लिटल यलो बर्ड सेज फाइनल गुडबाय
फाउंडर्स ने आगे कहा, ‘हमने X/Twitter की तुलना में बहुत कम समय में ग्लोबल लेवल पर एक स्केलेबल प्रोडक्ट बनाया, जिसमें बेहतर सिस्टम, एल्गोरिदम और स्ट्रांग स्टेकहोल्डर-फर्स्ट फिलोसोफीज हैं।’

हमारी टीम हर मुश्किल समय में हमारे साथ खड़ी रही। हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे भावुक लोगों के साथ काम करने का मौका मिला, जो हमारी कंपनी के उद्देश्य में विश्वास करते थे।’

फाउंडर्स ने उद्यमियों के रूप में अपनी वापसी का संकेत देते हुए कहा, ‘जहां तक ​​हमारा सवाल है, हम दिल से उद्यमी हैं और आप हमें किसी न किसी तरह से फिर से मैदान में देखेंगे। तब तक, आपके समय, ध्यान, शुभकामनाओं और प्यार के लिए धन्यवाद। लिटल यलो बर्ड सेज फाइनल गुडबाय।’

पीक पर Koo के 21 लाख डेली एक्टिव यूजर्स थे
अपने पीक पर Koo के लगभग 2.1 मिलियन (21 लाख) डेली एक्टिव यूजर्स और 10 मिलियन यानी 1 करोड़ मंथली यूजर्स थे, जिनमें 9000 से ज्यादा VIP शामिल थे।

लंबे समय से फाइनेंशियल चेलेंजेस का सामना कर रही थी KOO
अपनी इस सफलता के बावजूद KOO लंबे समय से फाइनेंशियल चेलेंजेस और फंडिंग की कमी का सामना कर रही थी। इस वजह से कंपनी को अपना काम कम करने पर मजबूर होना पड़ा था।

Koo एक लैंगवेज बेस्ड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म था। इसे 2020 में बनाया गया था। यूजर्स इस ऐप से हिंदी, बांग्ला, मराठी, गुजराती, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, पंजाबी, अंग्रेजी सहित 10 से ज्यादा भाषाओं में अपने विचार शेयर कर सकते थे।

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