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- Kharmas Will Start From Dhanu Sankranti On Sunday, Dhanu Sankranti On 15th December, Sun Transit In Dhanu Rashi In Hindi, Significance Of Dhanu Sankranti
9 मिनट पहले
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इस बार धनु संक्रांति की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं। कुछ पंचांगों धनु संक्रांति की तारीख 15 बताई गई है और कुछ पंचांग में 16 दिसंबर को ये पर्व दर्शाया गया है, लेकिन अधिकतर पंचांग 15 दिसंबर को धनु संक्रांति मनाने की सलाह दे रहे हैं। ज्योतिष में सूर्य के राशि परिवर्तन की घटना को संक्रांति कहा जाता है।
15 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहा है, इसके बाद खरमास शुरू हो जाएगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, खरमास में सूर्य देव अपने गुरु बृहस्पति की राशि धनु में रहते हैं, माना जाता है कि इस दौरान सूर्य गुरु बृहस्पति की सेवा में लगे रहते हैं और इस कारण इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं।
जानिए संक्रांति और सूर्य देव से जुड़ी खास बातें…
- सूर्य साल के 12 महीनों में 12 राशियों का एक चक्कर लगाता है। एक राशि में सूर्य करीब एक माह रुकता है। एक साल में 12 बार संक्रांति पर्व मनाया जाता है। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इस घटना को ही संक्रमण यानी संक्रांति कहते हैं।
- सूर्य को नौ ग्रहों का राजा है और सिंह राशि का स्वामी है। सूर्य देव यमराज, यमुना और शनिदेव के पिता हैं। सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं, लेकिन ज्योतिष में माना जाता है कि शनि सूर्य को शत्रु मानता है।
- संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर सूर्य पूजा की जाती है। तांबे के लोटे में जल भरें, कुमकुम, चावल, लाल फूल डालकर ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाना चाहिए।
- धनु संक्रांति दान-पुण्य करने का पर्व है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, कपड़े, जूते-चप्पल, खाना, पढ़ाई की चीजें दान करने की परंपरा है। अभी ठंड का समय है तो इस दिन ऊनी कपड़ों का भी दान कर सकते हैं।
- संक्रांति पर नदी में स्नान करने की भी परंपरा है। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
- इस पर्व पर श्रद्धालु मथुरा, उज्जैन, ऊंकारेश्वर, काशी, जगन्नाथ पुरी, द्वारका जैसे तीर्थों के दर्शन करते हैं। अगर लंबी यात्रा नहीं कर सकते हैं तो अपने शहर के मंदिरों में ही दर्शन और पूजन कर सकते हैं।
पंचदेवों में से एक हैं सूर्य देव सूर्य देव एक मात्र प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले देवता हैं। सूर्य पंचदेवों में शामिल हैं। पंचदेवों में सूर्य के साथ भगवान गणेश, शिव, विष्णु और देवी दुर्गा शामिल हैं। किसी भी काम की शुरुआत में इन पांचों देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इनकी पूजा के बिना शुभ काम की शुरुआत नहीं होती है। |
कुंडली के सूर्य से जुड़े दोष दूर करने के लिए क्या करें?
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति अच्छी नहीं है, उन्हें संक्रांति पर सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाएं। सूर्य देव की प्रतिमा की पूजा करें। पूजा के बाद सूर्य से जुड़ी चीजें जैसे गुड़, तांबा, पीले वस्त्रों का दान करें। सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप कम से कम 108 बार करें।