10 मिनट पहलेलेखक: कृष्ण गोपाल
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20 साल के एक लड़के ने अपना देश बना लिया और खुद को वहां का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। वहीं, एक लाबुबू डॉल 125 गुना ज्यादा कीमत पर बिकी।

1. 20 साल के लड़के ने कैसे बना लिया खुद का देश? 2. 125 गुना ज्यादा कीमत पर क्यों बिकी लाबुबू डॉल? 3. ट्रैफिक वायलेशन रिपोर्ट करने पर कौन दे रहा ₹50 हजार? 4. कैसा है सपेरों का ज्युडीशियल सिस्टम? 5. किस लत ने वाइस प्रिंसिपल को चोर बना दिया?


क्या आपने कभी अपना देश बनाने का सोचा है? नहीं, लेकिन ब्रिटेन के डैनियल जैक्सन ने 20 साल की उम्र में ये कारनामा कर दिखाया है। दरअसल, क्रोएशिया और सर्बिया के बीच सीमा विवाद की वजह से 125 एकड़ के जंगली इलाके पर किसी का दावा नहीं था। ये बात जब जैक्सन को पता चली तो उन्होंने इलाके को स्वतंत्र घोषित करके खुद को वहां का राष्ट्रपति डिक्लेयर कर दिया।
इस देश का नाम फ्री रिपब्लिक ऑफ वर्डिस है। स्विट्जरलैंड इसे देश के रूप में मान्यता भी दे सकता है। इसके साथ ही यह वेटिकन सिटी के बाद दुनिया का दूसरा सबसे छोटा देश बन गया है। वर्डिस तक पहुंचने का सिर्फ ही एक रास्ता है।
क्रोएशियाई शहर ओसियेक से नाव के जरिए ही यहां पहुंचा जा सकता है। जैक्सन बताते हैं कि यूं तो वर्डिस के चारों तरफ जंगल है, लेकिन यहां रहना जादुई एहसास दिलाता है। इस देश का अपना का अपना कानून और सरकार भी है। 400 लोग वर्डिस की नागरिकता ले चुके हैं। वहीं, करीब 15 हजार लोगों ने सिटिजनशिप के लिए अप्लाई किया है।


एक डॉल ज्यादा से ज्यादा किस प्राइस पर बिक सकती है 200, 400, 800? जी नहीं, ई-कॉमर्स साइट ‘ईबे’ पर एक लाबुबू डॉल 10 हजार 500 डॉलर, यानी 9 लाख 15 हजार रुपए में बिकी है। ब्राउन और ग्रे रंग की यह गुड़िया अब तक की सबसे महंगी बिकने वाली लाबुबू डॉल है।
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक यह डॉल बनाने वाली कंपनी ‘पॉप मार्ट’ और एक शू ब्रांड ‘वैन्स’ ने साथ मिलकर एक लिमिटेड एडिशन लाबुबू डॉल बनाई थी। उस समय लाबुबू डॉल एक से तीन हजार रुपए में बिकती थी।
कुछ समय पहले फेमस कोरियन पॉप ग्रुप ब्लैकपिंक की मेंबर लिसा के पास यह डॉल दिखी तो इसकी मांग बढ़ने लगी और कीमत आसमान छूने लगी। वहीं, इस लिमिटेड एडिशन डॉल ने तो सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए।
दरअसल, लाबुबू हांगकांग के पेंटर कासिंग लुंग की ‘द मॉन्स्टर्स’ सीरीज का एक कैरेक्टर है। खिलौने बनाने वाली चीनी कंपनी पॉप मार्ट ने बाद में इसे डॉल का रूप दे दिया।


AI जनरेटेड इमेज।
ट्रैफिक रूल तोड़ने वालों की जानकारी दीजिए और 50 हजार रुपए का इनाम जीतिए। दिल्ली सरकार ने ट्रैफिक रूल वायलेशन की रिपोर्ट करने को बढ़ावा देने के लिए यह स्कीम लॉन्च की है। इसके लिए एक एप भी लॉन्च किया गया है, जिसका नाम है ‘ट्रैफिक प्रहरी’। अगर आप भी दिल्ली में रहते हैं तो निकल पड़िए ट्रैफिक रूल तोड़ने वालों को पकड़ने।
आपको बस ट्रैफिक वायलेशन कर रही गाड़ियों का फोटो या वीडियो रिकॉर्ड करके एप पर अपलोड करना है। ध्यान रहे कि फोटो में गाड़ी की नंबर प्लेट साफ दिखनी चाहिए। ट्रैफिक पुलिस मामले की जांच करके दोषी पर जुर्माना लगाएगी।
हर महीने ऐप पर टॉप कॉन्ट्रीब्यूटर यानी ट्रैफिक वायलेशन के सबसे ज्यादा मामले रिपोर्ट करने वाले को 50 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा। वहीं, दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर वालों को 25 हजार, 15 हजार और 10 हजार रुपए मिलेंगे।


AI जनरेटेड इमेज।
दुनिया को सही-गलत और अच्छे-बुरे में फर्क बताने वाले टीचर ही अगर गलत राह पर चल दें तो क्या होगा। कुछ ऐसा ही हुआ है गुजरात के अहमदाबाद में। यहां एक नर्सिंग कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल को ऑनलाइन जुआं खेलने की ऐसी आदत लगी कि वह चोरी तक करने लगी।
हुआ कुछ यूं कि पुलिस को कॉलेज में 8 लाख रुपए की चोरी की तहकीकात करते हुए CCTV फुटेज मिले। इसमें बुर्का पहनी एक महिला तिजोरी से रुपए निकालते दिखी। वीडियो में महिला की आंख के पास एक तिल नजर आया। यह तिल वाली महिला कॉलेज की वाइज प्रिंसिपल निकली।
पुलिस ने उसके घर से 2.36 लाख रुपए बरामद किए। बाकी के 5.64 लाख रुपए उसके ऑनलाइन गेमिंग वॉलेट में ट्रांसफर हो चुके थे। पुलिस ने वॉलेट को फ्रीज करके बाकी रकम की बरामदगी के लिए कार्यवाही कर रही है।


क्या आप जानते हैं कि सपेरों का अपना ज्युडीशियल सिस्टम भी है। उनका अपना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट है। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के नगला बील गांव में सपेरा समुदाय का सुप्रीम कोर्ट है। यह गांव दुनिया भर के लिए भले ही गुमनाम हो, लेकिन सपेरा समुदाय के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जोरानाथ पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन सपेरा समुदाय न्याय के लिए इनके पास आता है। अदालत में आपसी विवाद, मारपीट जैसे मामलों की सुनवाई होती है। अपराधी को जुर्माने से लेकर समाज और गांव से निकालने तक की सजा सुनाई जाती है।
वहीं, बदायूं जिले के हरपालपुर गांव में सपेरा समुदाय का मुख्य हाईकोर्ट है। इसकी खंडपीठें कानपुर के नगला बरी, आगरा के मनियां, औरैया के पिपरी और मथुरा के छाता में हैं। जब समुदाय के लोग इन अदालतों के फैसलों से सहमत नहीं होते, तब वे नगला बील के सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर करते हैं।