Khabar Hatke: Bengaluru to Feed Biryani to Street Dogs; Man Prepping for World War for 19 Years; Dinosaur Bone Found Under Museum Parking | खबर हटके- स्ट्रीट डॉग्स को बिरयानी खिलाएगी सरकार: 19 साल से विश्व युद्ध की तैयारी कर रहा शख्स; जानिए दिनभर की 5 रोचक खबरें

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19 मिनट पहलेलेखक: प्रांशू सिंह

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भारत की ‘सिलिकॉन सिटी’ बेंगलुरु में 2.79 लाख से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स को बिरयानी या चिकन राइस खिलाया जाएगा। इसके लिए अब एक खास स्कीम शुरू की गई है। वहीं एक शख्स पिछले 19 साल से विश्व युद्ध की तैयारी कर रहा है।

  1. स्ट्रीट डॉग्स को बिरयानी या चिकन राइस खिलाने की स्कीम क्या है?
  2. पिछले 19 साल से एक शख्स विश्व युद्ध की तैयारी में क्यों लगा है?
  3. पार्किंग के नीचे कैसे मिला डायनासोर का अवशेष ?
  4. गर्लफ्रेंड को भुलाने के लिए शख्स 6 दिन तक लापता क्यों रहा?
  5. कैसे एक मृत नवजात दफनाने के समय जिंदा हो गया?

भारत की ‘सिलिकॉन सिटी’ बेंगलुरु में ब्रुहट बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) ने शहर के 5,000 से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स को रोजाना चिकन राइस खिलाने की एक अनोखी योजना शुरू की है। इस योजना का नाम है- चिकन राइस भाग्य योजना, जिसके लिए BBMP ने 2.88 करोड़ रुपए जारी किया है। इसके जरिए शहर के 8 जोन में स्ट्रीट डॉग्स को हेल्दी फूड मिलेगा।

इस योजना को क्यों शुरू किया गया? यह योजना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बेंगलुरु में पिछले छह महीनों में 13,748 डॉग्स के काटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भूख के कारण ही डॉग्स में एग्रेशन बढ़ती है। इसलिए BBMP ने पशु कल्याण और स्वास्थ्य विभाग के तहत शहर के 2.79 लाख स्ट्रीट डॉग्स की देखभाल के लिए यह नई पहल शुरू की है।

इस योजना से न केवल कुत्तों का स्वास्थ्य सुधरेगा, बल्कि उनके शांत रहने से कम्युनिटी की सुरक्षा भी बढ़ेगी। हर एक डॉग को रोजाना 367 ग्राम चिकन राइस दिया जाएगा, एक डॉग पर लागत ₹22 आएगी। यह योजना ‘कुक्कुर तिहार अभियान’ का हिस्सा है, जिसे पिछले साल 17 अक्टूबर 2024 को एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था।

आपने लोगों को मुश्किल समय के लिए घर में राशन या जरूरत का सामान जमा करते देखा होगा। लेकिन ब्रिटेन में 31 साल के शाहजाद कियानी 12 साल की उम्र से ही विश्व युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। शाहजाद पिछले 19 साल से अपनी विश्व युद्ध के दौरान जरूरत पड़ने वाले सामान इकट्ठा कर रहे हैं। उनका मानना है कि 2030 तक दुनिया में कोई बड़ा संकट आ सकता है।

शाहजाद को ये प्रेरणा मशहूर सर्वाइवल एक्सपर्ट बेयर ग्रिल्स के शो ‘मैन वर्सेज वाइल्ड’ को देखकर मिली। बचपन में ही उन्हें सर्वाइवल की तैयारी में दिलचस्पी हो गई। उन्होंने शुरुआत आग जलाने वाली चीजों, चाकू और लंबे समय तक चलने वाले खाने के सामान से की।

अब पूरे कमरे में जमा है ‘6 महीने का राशन’, हथियार भी शाहजाद को एक दिन एहसास हुआ कि जंगल में जीवित रहने से ज्यादा, प्राकृतिक आपदा, महामारी या बिजली गुल होने जैसी घटनाओं की ज्यादा संभावना है। इसके बाद उन्होंने जीवित रहने की तैयारी से हटकर हर तरीके की आपदा के लिए तैयारी शुरू कर दी।

उन्होंने धीरे-धीरे सालों से सामान इकट्ठा करना शुरू किया, और अब उनके घर में एक पूरा कमरा सिर्फ इसी सामान से भरा है। इसकी कीमत करीब ₹22 लाख से ज्यादा है। शहजाद के पास इमरजेंसी टेंट, कंबल से लेकर खाना, स्टोव, टॉर्च और यहां तक कि हथियार भी हैं। उनका अंदाजा है कि इतने से वे चार सदस्य के साथ 6 महीने से ज्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं।

अमेरिका का डेन्वर म्यूजियम ऑफ नेचर एंड साइंस, जो की डायनासोर के डिस्प्ले के लिए जाना जाता है। अब इसी म्यूजियम के पार्किंग के नीचे डायनासोर की हड्डी मिली है, वो भी 750 फीट से भी ज्यादा गहराई में जाकर। दरअसल वैज्ञानिक धरती के अंदर टेम्प्रेचर स्टडी के लिए ड्रिल कर रहे थे, तभी उन्हें डायनासोर की हड्डी मिली। म्यूजियम क्युरेटर ऑफ जियोलॉजी जेम्स हैगेडोर्न का कहना है कि एक बोर होल में डायनासोर की हड्डी मिलना ऐसा है जैसे चांद से गोल्फ का होल इन वन मारना।

धरती के अंदर टेम्प्रेचर स्टडी के लिए ड्रिल करते समय डायनासोर की हड्डी मिली।

धरती के अंदर टेम्प्रेचर स्टडी के लिए ड्रिल करते समय डायनासोर की हड्डी मिली।

6.75 करोड़ साल पहले का शाकाहारी डायनासोर

माना जा रहा है कि यह हड्डी एक छोटे से शाकाहारी डायनासोर की रीढ़ की हड्डी है, जो लगभग 6.75 करोड़ साल पहले लेट क्रिटेशियस काल में रहता था। वैज्ञानिकों के मुताबिक, करीब 6.6 करोड़ साल पहले एक स्टेरॉयड के टकराने से डायनासोर का लंबा युग खत्म हो गया था।

हड्डी के पास बोर होल में पौधों के जीवाश्म भी मिले हैं। इसका अर्थ है कि ये डायनासोर एक दलदल वातावरण में रहता था, जो उस समय गहने जंगलों से भरा रहा होगा। इस हड्डी को अब म्यूजियम के डिस्प्ले पर लगा दिया गया है। लेकिन फिलहाल, पार्किंग के नीचे और खुदाई करने की कोई योजना नहीं है।

चीन के झेजियांग प्रदेश में श्याओलिन नाम का एक लड़का अपनी ‘एक्स’ को भुलाने के लिए खाना-पानी छोड़ दिया, और 6 दिन तक जंगल में भटकता रहा। सिर्फ जंगली फल और झरने का पानी पीकर जिंदा रहा। परेशान होकर बड़े भाई ने पुलिस में शिकायत की।

सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि श्याओलिन अपने फ्लैट से डलंग माउंटेन एरिया की तरफ निकला था। यूहांग पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया। 100 से ज्यादा अफसरों, स्थानीय वॉलंटियर्स, सोनार डिवाइस, डॉग स्क्वॉड और ड्रोन्स की मदद से श्याओलिन की खोजबीन शुरू की गई। करीब 6 दिनों बाद श्याओलिन को 26 जून की सुबह एक पार्क में मिला।

महाराष्ट्र के बीड जिले में 7 जुलाई की रात को अस्पताल में एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के तुरंत बाद, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और एक पेटी में रख दिया। परिजनों को इसकी सूचना दी गई और उन्हें शव सौंप दिया गया।

परिजनों ने बच्चे को घर लाकर अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। तभी बच्चे की दादी ने आखिरी बार अपने पोते का चेहरा देखने की इच्छा जाहिर की। जैसे ही उन्होंने शव की थैली खोली, उन्हें बच्चे में हलचल महसूस हुई।

यह देखकर परिवार के लोग पूरी तरह दंग रह गए और तुरंत शिशु को फिर से अस्पताल ले भागे। अब अस्पताल के प्रभारी डॉ. राजेश कचरे ने जांच के लिए कमेटी बनाई है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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