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15 घंटे पहले
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भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हरतालिका तीज व्रत (26 अगस्त) देवी पार्वती की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य, जीवन साथी की अच्छी सेहत और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से निर्जल व्रत रखती हैं और देवी पार्वती की विशेष पूजा करती हैं।
मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए भाद्रपद शुक्ल तृतीया पर कठोर तप किया था। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव देवी पार्वती के सामने प्रकट हुए। देवी पार्वती ने शिव जी से वरदान मांगा था कि वे उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करें। शिव जी देवी को ये वरदान दिया, इसके बाद शिव-पार्वती का विवाह हुआ था।
मनचाहा वर पाने की कामना से भी किया जाता है ये व्रत
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, जो महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करती हैं, उन्हें देवी पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, भगवान की कृपा से महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। ये व्रत केवल विवाहित महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि अविवाहित कन्याओं के लिए भी शुभ माना जाता है। कुंवारी कन्याएं ये व्रत मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना से करती हैं। देवी पार्वती ने भी पति रूप में शिव जी को पाने के लिए ये व्रत किया था। इस व्रत के शुभ फल से ही पार्वती की मनोकामना शिव जी ने पूरी की थी।
सुहाग का सामान करें दान
हरतालिका तीज का व्रत और पूजा करने के साथ-साथ दान-पुण्य करने की भी परंपरा है। विशेष रूप से जरूरतमंद सुहागिन महिलाओं को सुहाग का सामान जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, साड़ी, आभूषण आदि दान करना चाहिए। साथ ही इस दिन अन्य महिलाओं को फलाहार कराना चाहिए, छोटी कन्याओं की पूजा करनी चाहिए और उन्हें पढ़ाई से जुड़ी चीजें जैसे पुस्तकें, कॉपी-पेन आदि का दान करना चाहिए।
कल से गणेश उत्सव शुरू
हरतालिका तीज के अगले दिन यानी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (27 अगस्त) से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। इस दिन से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (6 सितंबर) तक भगवान गणेश की पूजा और उत्सव मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी पर घरों में मिट्टी की गणेश प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। गणेश जी की पूजा के साथ शिव-पार्वती और कार्तिकेय स्वामी की भी आराधना करनी चाहिए। इससे पूजा जल्दी सफल होती है।
गणेश जी को बुद्धि, विवेक और शुभ आरंभ का देवता माना गया है। इनकी पूजा से भक्त की बुद्धि प्रखर होती है, निर्णय क्षमता, समझ और योजना बनाने की शक्ति बढ़ती है। गणेश पूजा के साथ जो भी कार्य प्रारंभ किए जाते हैं, वे गणपति के आशीर्वाद से पूरे होते हैं। जो भक्त हरतालिका तीज और गणेश उत्सव के दिनों में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय स्वामी की पूजा एक साथ करते हैं, उनके घर में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। भगवान शिव थोड़ी सी भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं। माता पार्वती को सौभाग्य और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी बुद्धि के देव हैं और कार्तिकेय स्वामी युद्ध और साहस के प्रतीक हैं।