7 घंटे पहले
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आज (10 अक्टूबर) करवा चौथ है। सुहागिनों ने दिनभर बिना पानी पिए व्रत रखा है। शाम को चौथ माता की पूजा और कथा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर सुहागिनें व्रत पूरा करेंगी। चौथ माता की पूजा शाम को प्रदोषकाल यानी सूर्यास्त के वक्त होगी।
शाम 7 से रात तकरीबन 9 बजे तक देशभर में चंद्रमा दिख जाएगा, जो कि पूर्व-उत्तर दिशा के बीच नजर आएगा। पंडितों का कहना है कि मौसम की गड़बड़ी के चलते अगर चंद्रमा न दिखे तो चंद्र उदय के समय पर पूर्व-उत्तर दिशा में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा कर सकते हैं।
शाम 7 से रात 9 बजे तक पूरे देश में दिख जाएगा चंद्रमा




करवा चौथ की कथा, वामन पुराण के मुताबिक
बहुत समय पहले इन्द्रप्रस्थपुर में वेदशर्मा नाम का ब्राह्मण रहता था। पत्नी लीलावती से उसके सात पुत्र और एक गुणवान पुत्री वीरावती थी। सात भाइयों की अकेली बहन होने से वह माता-पिता और भाइयों की लाड़ली थी। विवाह योग्य होने पर उसका विवाह एक योग्य ब्राह्मण युवक से हुआ। विवाह के बाद मायके में रहते हुए वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा, पर दिनभर का निर्जला उपवास सह न सकी और कमजोरी से मूर्छित होकर गिर पड़ी।
भाइयों से उसकी दशा देखी न गई। वे जानते थे कि वह चन्द्रदर्शन के बिना अन्न-जल ग्रहण नहीं करेगी। उन्होंने युक्ति की – एक भाई कुछ दूर वट-वृक्ष पर चढ़ गया और छलनी के पीछे दीपक रख लिया। वीरावती के होश में आते ही सबने कहा “चन्द्रमा निकल आया है।” वे उसे छत पर ले गए। वीरावती ने वृक्ष के पास छलनी के पीछे दिखते दीपक को चन्द्रमा समझकर अर्घ्य अर्पित किया और व्रत तोड़ दिया।
भोजन बैठते ही अशुभ संकेत मिलने लगे।पहले कौर में बाल मिला, दूसरे में छींक आ गई, तीसरे के साथ ससुराल से निमंत्रण आ पहुंचा। पहली बार ससुराल पहुंचकर उसने पति का मृत शरीर देखा। वह विलाप करने लगी और करवा चौथ में अपनी भूल को कारण मानने लगी। तभी देवी इन्द्राणी (इन्द्र की पत्नी) उसे सान्त्वना देने आईं। वीरावती ने पूछा – “आज ही मेरे पति की मृत्यु क्यों हुई?” उसने देवी से पति को जीवित करने की प्रार्थना की।
देवी इन्द्राणी ने कहा—“तुमने सच्चे चन्द्रदर्शन से पहले अर्घ्य देकर व्रत तोड़ दिया, उसी दोष से पति की असमय मृत्यु हुई।”
फिर उन्होंने उपदेश दिया—“अब करवा चौथ के साथ साल भर हर मास की चतुर्थी का व्रत श्रद्धा से करो; पुण्य से तुम्हें पति पुनः प्राप्त होगा।”
इसके बाद वीरावती ने बताये गए धार्मिक कृत्य और मासिक उपवास दृढ़ विश्वास से किए। अंततः उन व्रतों के पुण्य-फल से उसका पति जीवित लौट आया।
पति के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से
पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्री ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे।
द्रौपदी ने अर्जुन की रक्षा के लिए किया व्रत
पांडवों की पत्नी द्रौपदी की है। वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अर्जुन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के बाद अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।
प्रेम और पति धर्म का भी प्रतीक है चंद्रमा, इसलिए पूजा जाता है
करवा चौथ पर चांद की ही पूजा क्यों ?
चंद्रमा औषधियों का स्वामी है। चंद्रमा की रोशनी से अमृत मिलता है। इसका असर संवेदनाओं और भावनाओं पर पड़ता है। पुराणों के मुताबिक चंद्रमा प्रेम और पति धर्म का भी प्रतीक है। इसलिए सुहागिनें पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में प्रेम की कामना से चंद्रमा की पूजा करती हैं।
पति और चंद्रमा को छलनी से क्यों देखते हैं?
भविष्य पुराण की कथा के मुताबिक चंद्रमा को गणेश जी ने शाप दिया था। इस कारण चतुर्थी पर चंद्रमा को देखने से दोष लगता है। इससे बचने के लिए चंद्रमा को सीधे नहीं देखते और छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।
करवे से पानी क्यों पीते हैं ?
इस व्रत में इस्तेमाल होने वाला करवा मिट्टी से बना होता है। आयुर्वेद में मिट्टी के बर्तन के पानी को सेहत के लिए फायदेमंद बताया है। दिनभर निर्जल रहने के बाद मिट्टी के बर्तन के पानी से पेट में ठंडक रहती है। धार्मिक नजरिए से देखा जाए तो करवा पंचतत्वों से बना होता है। इसलिए ये पवित्र होता है।
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करवा चौथ (10 अक्टूबर) का व्रत किया जाता है, ये व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए महाव्रत की तरह है, क्योंकि मान्यता है कि जो महिला ये व्रत करती है, उसे अखंड सौभाग्य मिलता है। व्रत करने वाली महिलाओं के घर में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है, जीवन साथी स्वस्थ रहता है। ये व्रत निर्जला है यानी इस व्रत में महिलाएं पानी भी नहीं पीती हैं। जानिए इस दिन कौन से शुभ काम कर सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें…
