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11 घंटे पहले
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अभी हिन्दी पंचांग का आठवां महीना कार्तिक चल रहा है। इस महीने में दीपोत्सव, पुष्य नक्षत्र, देवउठनी एकादशी कार्तिक पूर्णिमा जैसे व्रत-पर्व मनाए जाते हैं। इस महीने से शीत ऋतु भी शुरू हो जाती है, ठंड बढ़ने लगती है, ऐसे में स्वास्थ्य लाभ के लिए जीवन शैली में बदलाव करने की भी जरूरत है। जानिए कार्तिक मास में कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं…
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस साल कार्तिक मास की अमावस्या दो दिन 20 और 21 अक्टूबर को है। इस कारण दीपावली की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं। 20 तारीख की रात में कार्तिक अमावस्या रहेगी और 21 की शाम से पहले ही ये तिथि खत्म हो जाएगी, इसलिए 20 अक्टूबर को दीपावली मनाना चाहिए।
सूर्य पूजा के साथ करें दिन की शुरुआत
कार्तिक मास में दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए। ये समय ऋतु परिवर्तन का है, वर्षा ऋतु समाप्त होकर शीत ऋतु शुरू हो रही है। इस समय सुबह जल्दी उठना चाहिए, क्योंकि देर तक सोने से आलस बना रहता है और शरीर सक्रिय नहीं हो पाता। स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें चावल, कुमकुम और लाल फूल डालें। फिर ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। कुछ देर सूर्य की किरणों में खड़े रहें, जिससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी भी मिलता है।
तीर्थ दर्शन और नदी में स्नान करने की परंपरा
हिन्दी पंचांग के आठवें महीने कार्तिक में तीर्थ यात्रा और पवित्र नदियों में स्नान की परंपरा है। इस मास में गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा, गोदावरी जैसी नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। अगर नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाते समय जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। यदि गंगाजल भी उपलब्ध न हो तो पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए श्रद्धापूर्वक स्नान करें।
इस महीने में भगवान विष्णु, शिव और श्रीकृष्ण के मंदिरों में दर्शन और पूजन का विशेष महत्व होता है। इस पवित्र मास में मथुरा, वृंदावन, काशी, प्रयागराज, उज्जैन, नासिक, देवघर जैसे धार्मिक और पौराणिक महत्व के स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। इन तीर्थ स्थलों पर जाकर भगवान का पूजन, कथा श्रवण और भजन-कीर्तन करने से मन को शांति मिलती है और आत्मिक बल मिलता है। इन स्थानों की यात्रा से जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
रोज करना चाहिए दीपदान
कार्तिक मास में प्रतिदिन दीपदान करने की परंपरा है। विशेष रूप से सूर्यास्त के बाद दीप जलाने से वातावरण पवित्र होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। नदियों के किनारे, तालाबों या घर के बाहर दीपक जलाना चाहिए। तुलसी के पौधे के पास भी प्रतिदिन दीपक रखें और संध्या वंदन करें। दीपदान से मन की शुद्धि होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। पास के मंदिरों में भी जाकर दीप जलाना चाहिए। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
जरूरतमंद लोगों की करें मदद
कार्तिक मास में दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस महीने में जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, जूते-चप्पल, कंबल, भोजन या धन का दान अवश्य करना चाहिए। त्यौहारों के इस महीने में यदि हम किसी जरूरतमंद की सहायता करते हैं तो वह भी अपने त्यौहार को खुशी से मना सकता है। दान देने से न केवल दूसरों की सहायता होती है, बल्कि हमारे जीवन में भी सुख, शांति और समृद्धि आती है। अपने सामर्थ्य के अनुसार यथासंभव दान करें और सेवा को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। यह सच्ची भक्ति का रूप है।
जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव
कार्तिक मास से शीत ऋतु की शुरुआत हो जाती है, इसलिए इस समय से जीवनशैली में कुछ आवश्यक और सकारात्मक बदलाव करना चाहिए। ठंडी में स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त खान-पान का ध्यान रखें। तैलीय, मसालेदार और भारी भोजन से परहेज करें तथा सुपाच्य और गर्म चीजों का सेवन करें। रोज सुबह जल्दी उठें, हल्का व्यायाम करें और योग-प्राणायाम को दिनचर्या में शामिल करें। थोड़ी देर धूप में बैठें ताकि विटामिन डी भी मिल सके। रात में जल्दी सोने की आदत डालें। कार्तिक मास में स्वास्थ्य, अनुशासन और संयम पर विशेष ध्यान देना चाहिए।