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- Kartik Month Till 5th November, Kartika Month Significance In Hindi, Dev Dipawali Puja Vidhi, Dev Uthani Ekadashi 2025
14 घंटे पहले
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आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी है। त्योहारों का ये महीना 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दीपावली पर समाप्त होगा। जानिए इस महीने में अब कौन-कौन से व्रत-पर्व आएंगे…
- 29 अक्टूबर को गोपाष्टमी
कार्तिक शुक्ल अष्टमी पर गोपाष्टमी व्रत किया जाता है। इस दिन गौ माता और बाल गोपाल की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी तिथि पर बाल गोपाल ने नंदगांव में गौचारण यानी गाय चराने का काम शुरू किया था। इस दिन गायों को स्नान कराया जाता है, उनकी सजावट करते हैं। गोपाष्टमी पर किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।
- 30 अक्टूबर को आंवला नवमी
कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा का पर्व आंवला नवमी मनाते हैं, इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। मान्यता है कि आंवला भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस तिथि पर भक्त आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करते हैं, जरूरतमंद लोगों को भोजन कराते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आंवले की पूजा करने से पापों का नाश होता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन पानी में आंवले का रस मिलाकर स्नान करने की और आंवले के सेवन की भी परंपरा है।
- 1 नवंबर को देव उठनी एकादशी
देव उठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। ये व्रत कार्तिक शुक्ल एकादशी पर किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। भगवान विष्णु के विश्राम के दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। अब देव उठनी एकादशी से सभी तरह के मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त मिलना शुरू हो जाएंगे। इस तिथि पर भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा की जाती है। तुलसी और शालीग्राम जी का विवाह भी कराया जाता है।
- 4 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को वैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा एकसाथ की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत, दीपदान और गंगा या किसी अन्य नदी में स्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। मान्यता है कि वैकुंठ चतुर्दशी पर व्रत-पूजा करने से से पापों का नाश होता है।
- 5 नवंबर को देव दीपावली
कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दीपावली कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध किया था, इसके बाद भगवान शिव के स्वागत में देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। इस वजह से इसे देवों की दीपावली कहते हैं। इस दिन गंगा घाटों पर दीप जलाए जाते हैं। भक्तजन गंगा स्नान करते हैं, दीपदान करते हैं। भगवान शिव के साथ गंगा माता की पूजा करते हैं।
