46 मिनट पहले
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हिन्दी पंचांग का आठवां महीना कार्तिक शुरू हो गया है, आज (18 अक्टूबर) कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा है। इस महीने में धन तेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी जैसे बड़े व्रत-पर्व मनाए जाते हैं। ये महीना 15 नवंबर तक रहेगा। कार्तिक मास में गणेश जी, विष्णु-लक्ष्मी, धनवंतरि, गोवर्धन पर्वत, छठ माता, सूर्य देव के साथ ही कार्तिकेय स्वामी की पूजा जरूर करनी चाहिए।
- उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, हिन्दी पंचांग के आठवें महीने का नाम कार्तिकेय स्वामी के नाम पर पड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नाम के एक असुर ने तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्मा जी तारकासुर के सामने प्रकट हुए और उन्होंने से उससे वरदान मांगने के लिए कहा। तारकासुर ने ब्रह्मा जी से कुछ ऐसा वरदान मांगना चाहता था, जिससे वह अमर हो जाए।
- उस समय देवी सती के वियोग में शिव जी ध्यान में थे। उनका ध्यान तोड़ना किसी भी देवी-देवता के लिए संभव नहीं था। तारकासुर ने सोचा कि अब शिव जी ध्यान में ही रहेंगे, दूसरा विवाह नहीं करेंगे। इसलिए तारकासुर ने ब्रह्मा जी से वर मांगा कि उसका वध शिव पुत्र के हाथों ही हो। ब्रह्मा जी ने तारकासुर को ये वर दे दिया।
- वरदान पाकर तारकासुर बहुत ताकतवर हो गया था। सभी देवता उसका वध नहीं कर पा रहे थे। तारकासुर ने धरती, स्वर्ग और पाताल, तीनों लोकों में अपना अधिकार कर लिया था। सभी देवता दुखी होकर विष्णु जी के पास पहुंचे।
- विष्णु जी ने योजना बनाई कि तारकासुर को मारने के लिए शिव जी का दूसरा विवाह करवाना होगा। इसके बाद शिव जी का ध्यान भंग करने के लिए कामदेव को कहा गया।
- कामदेव ने अपने काम बाणों से शिव जी का ध्यान तोड़ दिया था। उस समय हिमालयराज की पुत्री पार्वती शिव जी को वर रूप में पाने के लिए तप कर रही थीं। देवी के तप से शिव जी प्रसन्न हो गए और बाद में शिव-पार्वती का विवाह हुआ। विवाह के बाद शिव जी के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ। कार्तिकेय का पालन शिव-पार्वती से दूर कृतिकाओं ने किया था। इसलिए बालक नाम कार्तिकेय पड़ा।
- जब कार्तिकेय थोड़े बड़े हुए तो शिव-पार्वती ने कार्तिकेय को अपने पास बुला लिया। कार्तिकेय के बारे में देवताओं को मालूम हुआ तो सभी शिव-पार्वती के पास पहुंचे। देवताओं ने कहा कि आप कार्तिकेय को हमारे साथ भेज दें, क्योंकि इनके हाथों ही तारकासुर का वध होगा।
- देवताओं और तीनों लोकों की भलाई के लिए शिव जी ने कार्तिकेय स्वामी को देवताओं का सेनापति बनाकर भेज दिया। बाद में कार्तिकेय स्वामी और तारकासुर का युद्ध हुआ। युद्ध में कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया। जब ये बात शिव जी को मालूम हुई तो वे बहुत प्रसन्न हुए।
- जिस समय कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था, तब हिन्दी पंचांग का आठवां महीना ही चल रहा था। अपने पुत्र की सफलता से खुश होकर शिव जी ने इस महीने का नाम कार्तिक रख दिया।
कार्तिक माह में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। इस महीने में रोज सुबह नदी स्नान करने की भी परंपरा है। नदी में दीपदान भी किया जाता है। इस महीने में दान-पुण्य और तीर्थ दर्शन करने का विशेष महत्व है।
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