Kantara Rishab Shetty Struggle Story; Filmfare Awards | National Film Awards | ‘कांतारा’ के हीरो ऋषभ शेट्टी कभी पानी बेचते थे: होटलों में काम किया, ज्योतिषी के कहने पर बदला नाम, 20 साल की स्ट्रगल के बाद बने सुपरस्टार

3 मिनट पहले

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ऋषभ शेट्टी, दो साल पहले तक ये नाम सिर्फ साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में जाना जाता था, लेकिन अब पूरा देश जानता है। वजह है ‘कांतारा’ जिसके लिए ऋषभ को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है। सिर्फ 16 करोड़ रुपए में बनी कांतारा ने दुनियाभर में करीब 415 करोड़ की कमाई की थी।

ऋषभ ‘कांतारा’ के राइटर, डायरेक्टर और एक्टर हैं। सिर्फ 6 फिल्में डायरेक्ट करने वाले ऋषभ को कांतारा ने पहली कतार के डायरेक्टर्स में ला खड़ा किया।

ऋषभ के लिए ये सब आसान नहीं था। उन्हें सफलता के लिए करीब 20 साल तक संघर्ष करना पड़ा। कभी गुजारा करने के लिए पानी की बोतलें और कैन बेचे तो कभी होटल में छोटे-मोटे काम किए। फिल्मों में इन्होंने स्पॉटबॉय बनकर एंट्री ली।

लंबे संघर्ष के बाद 2022 में इन्हें सही मायनों में सक्सेस मिली और आज ये बुलंदियों पर हैं। जानते हैं ऋषभ की स्ट्रगल और अचीवमेंट्स से भरी जिंदगी के कुछ दिलचस्प फैक्ट्स…

6 साल की उम्र में देख लिया था एक्टर बनने का सपना

7 जुलाई, 1983 को कर्नाटक के कांदापुरा, उडुपी में भास्कर शेट्टी और लक्ष्मी शेट्टी के घर बेटे का जन्म हुआ जिसका नाम प्रशांत रखा गया। यही प्रशांत आगे चलकर ऋषभ शेट्टी के तौर पर पहचाने गए। कांदापुरा जैसे छोटे से गांव में ही ऋषभ की स्कूलिंग हुई।

6 साल की उम्र से ही उनके मन में डांस, एक्टिंग में दिलचस्पी जाग गई। फिर उनका एडमिशन B.Com की पढ़ाई के लिए विजया कॉलेज, बेंगलुरु में हुआ।

यहां भी थिएटर प्ले में ऋषभ का ज्यादा मन लगता था। वो यक्षगान (ट्रेडिशनल थिएटर फॉर्म) में परफॉर्म करते थे जहां उन्हें इस टैलेंट के लिए काफी सराहना मिली। इसी सराहना से प्रेरित होकर ऋषभ ने एक्टिंग में करियर बनाने की सोची।

पानी की बोतलें बेचकर गुजारा करते थे

नॉन फिल्मी बैकग्राउंड के चलते ऋषभ को फिल्मी दुनिया का कोई आइडिया नहीं था इसलिए उन्होंने काफी रिसर्च के बाद पढ़ाई के साथ-साथ फिल्म डायरेक्शन में डिप्लोमा करने की सोची। ऋषभ ने गवर्नमेंट फिल्म एंड टीवी इंस्टीट्यूट बेंगलुरु में एडमिशन ले लिया।

मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाले ऋषभ अपनी पढ़ाई और गुजारे के लिए माता-पिता को परेशान नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने कई छोटे-मोटे काम किए। उन्होंने पानी की बोतलें और कैन बेचने का काम किया।

इसके बाद उन्होंने एक होटल में भी छोटी-मोटी नौकरी कर ली। रियल एस्टेट में भी हाथ आजमाया मगर मन सिर्फ एक्टिंग में लगा था। यही वजह थी कि सब काम छोड़कर फिल्म डायरेक्शन में डिप्लोमा करने के बाद ऋषभ ने फिल्म इंडस्ट्री में उतरने का मन बना लिया।

फिल्मों में स्पॉटबॉय थे ऋषभ

ऋषभ की शुरुआत एक फिल्म के स्पॉटबॉय के तौर पर हुई। वह कुछ फिल्मों में क्लैप बॉय भी रहे। 2006 में उन्हें कन्नड़ फिल्म साइनाइड में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के डायरेक्टर एम.आर. रमेश थे। सेट पर बतौर डायरेक्टर एम.आर. रमेश का डेडिकेशन देखकर ऋषभ प्रभावित हो गए।

ऋषभ ने अपने स्ट्रगलिंग फेज के बारे में कहा था, ‘मैं एक्टर बनना चाहता था, लेकिन मुझे इंडस्ट्री में कोई चांस नहीं मिल रहा था। न मेरे पास कोई कॉन्टेक्ट था और ना ही कोई आइडिया। मैंने एक बार एक कन्नड़ एक्टर के बारे में पढ़ा कि कैसे उन्होंने एक असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर शुरुआत की और साइड रोल्स करने के बाद हीरो बने।

तब मुझे लगा कि हम जैसे लोगों के लिए यही रास्ता ठीक रहेगा। पढ़ाई के बाद मैंने फिल्ममेकिंग का शॉर्ट टर्म कोर्स किया और बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करना शुरू किया और 6-7 सालों बाद एक्टिंग की ओर रुख किया।’

ऋषभ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो ए.एम.आर रमेश को फिल्म ‘साइनाइड’ के लिए असिस्ट कर रहे थे तब उन्हें इसी फिल्म में सपोर्टिंग एक्टर का रोल ऑफर हो गया। इसके बाद उन्होंने एक्टिंग के लिए अपनी फिल्म डायरेक्शन की तमन्ना को दबा दिया।

साइड रोल्स मिले, हीरो बनने के लिए किया लंबा इंतजार

2012 में आई ‘तुगलक’ में पहली बार ऋषभ को छोटा ही सही, लेकिन अहम रोल मिला। इसके बाद ऋषभ ने कन्नड़ फिल्म ‘अट्टहास’ में अंडरकॉप का रोल प्ले किया। 2016 में वो फिल्म ‘रिक्की’ में सपोर्टिंग कैरेक्टर में नजर आए। 2016 में ऋषभ ने बतौर डायरेक्टर अपना डेब्यू किया।

उन्होंने फिल्म ‘किरिक पार्टी’ बनाई जो कि बॉक्स-ऑफिस पर सुपरहिट रही। फिल्म में रक्षित शेट्टी और रश्मिका मंदाना ने काम किया था।

इसके बाद 2018 में ऋषभ ने ‘सरकारी हिरिया प्राथमिक शाले, कासरगोडू’ नाम की फिल्म बनाई। बच्चों के लिए बनी इस फिल्म को 2018 में बेस्ट फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला था।

2019 में ऋषभ ने फिल्म ‘बेल बॉटम’ से बतौर लीड एक्टर डेब्यू किया। फिल्म में उन्होंने डिटेक्टिव दिवाकर का रोल प्ले किया। इस तरह बतौर हीरो ब्रेक मिलने के लिए ही ऋषभ को 13 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। 2021 में पॉपुलर कन्नड़ गैंगस्टर फिल्म ‘गरुड़ गमन वृषभ वाहन’ में लीड रोल निभाया।

लॉकडाउन के दौरान आया ‘कांतारा’ का आइडिया

एक इंटरव्यू में ऋषभ ने बताया था कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान 2020 के आसपास उन्हें फिल्म कांतारा का आइडिया आया था। ऋषभ के मुताबिक वो अपने गांव में थे और उसी जगह उन्हें ये महसूस हुआ कि उन्हें भूत कोला प्रथा पर फिल्म बनानी चाहिए।

ऋषभ ने कहा था कि उन्होंने बचपन से इस प्रथा को देखा था इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न इस विषय पर फिल्म बनाई जाए।

ऋषभ ने ये भी कहा था कि अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने छह साल यक्षगान किया था तो उन्हें रोल करने में परेशानी भी नहीं आई। उन्होंने फिल्म के लिए मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली थी। स्ट्रिक्ट डाइट फॉलो करते थे।

‘कांतारा’ ने कमाए थे 415 करोड़

साल 2022 ऋषभ के लिए गेमचेंजर साबित हुआ जिसमें वो पैन इंडिया स्टार बन गए। फिल्म ‘कांतारा’ ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा दिया। ‘कांतारा’ ने पहले दिन सिर्फ 1.27 करोड़ कमाए थे। लोगों ने फिल्म देखकर इसकी तारीफ की तो धीरे-धीरे कमाई बढ़ी और 415 करोड़ तक जा पहुंची।

फिल्म लगभग दो महीने तक थिएटर्स में लगी रही। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी थिएटर्स में 50 दिन पूरे किए। फिल्म के सिर्फ कर्नाटक में एक करोड़ से ज्यादा टिकट बिके। ऋषभ शेट्टी अब इसके सीक्वल पर काम कर रहे हैं।

18-20 साल की स्ट्रगल के बाद अब ऋषभ का सितारा बुलंदी पर है जिससे वो बेहद खुश हैं। बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जीतने पर ऋषभ ने कहा कि वो आगे भी दर्शकों को एंटरटेन करने के लिए बेहतरीन सिनेमा बनाने की पूरी कोशिश करेंगे।

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