चाय के बगीचे, ऐतिहासिक मंदिर और फेमस टूरिस्ट प्लेस, यह हिमाचल के कांगड़ा की पहचान है। यहां का खूबसूरत इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम हर किसी का मन मोह लेता है। देश-विदेश से लोग यहां घूमने आते हैं। इसी तरह यहां की सियासत भी चर्चा में रहती है। लोकसभा चुनाव
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कांग्रेस ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा और भारतीय जनता पार्टी ने राजीव भारद्वाज को मैदान में उतारा है। इस सीट में 2 जिले कांगड़ा और चंबा शामिल हैं।
ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान सामने आया कि कांगड़ा-चंबा की जनता आनंद शर्मा को कद्दावर नेता तो मान रही है, लेकिन उनके ऊपर बाहरी होने का टैग भी है। चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि आनंद प्रचार के दौरान लोकल भाषा कांगड़ी व चंबियाली बोलकर कर जनता से कनेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो सत्तारूढ़ कांग्रेस का कांगड़ा में IT सेल BJP की तुलना में काफी कमजोर है। इससे कांग्रेस आम जनता से कनेक्ट नहीं कर पा रही।
4 पॉइंट में समझें कांगड़ा सीट का रुझान
- ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान बीजेपी उम्मीदवार राजीव भारद्वाज के पक्ष में 3 बातें सामने आई। पहली- उनका स्थानीय होना और उनके प्रतिद्वंदी का लोकल न हो। दूसरा- ढाई महीने पहले राजीव का टिकट फाइनल होना। इससे प्रचार के लिए पर्याप्त टाइम मिलना और तीसरा- मोदी मैजिक।
- कांग्रेस ने जब आनंद शर्मा का टिकट फाइनल किया, तब तक राजीव भारद्वाज लगभग 13 विधानसभा हलकों में जाकर 90 से ज्यादा छोटी-बड़ी नुक्कड़ व जनसभाएं कर चुके थे। कांग्रेस इसमें काफी पिछड़ी हुई है।
- मोदी मैजिक की बात करें तो BJP उम्मीदवार को इसका फायदा मिल सकता है। कुछ मतदाता यह भी मानते हैं कि राजीव भारद्वाज चुनाव जीते तो इसकी वजह मोदी ही होंगे। एक बात यह भी सामने आई 2014 और 2019 के चुनाव की तुलना में इस बार मोदी लहर कम हो गई है।
- इस सीट में कांगड़ा और चंबा जिला के 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से 12 विधानसभा पर कांग्रेस, जबकि 4 पर बीजेपी का कब्जा है। एक सीट पर अभी उपचुनाव होना है। कांग्रेस इन्हीं 12 विधायकों के दम पर जीत का दावा कर रही है। मगर कांगड़ा संसदीय क्षेत्र की जनता में सरकार को लेकर राय थोड़ी अलग है। क्योंकि 16 महीने पहले ही जनता ने कांग्रेस को 11 विधायक कांगड़ा जिला से दिए थे और सुक्खू सरकार में कांगड़ा जिले से एक साल तक एक ही मंत्री बनाया गया।
बाली को कैबिनेट रैंक से विधायक अंदरखाते नाराज
CM सुक्खू ने पहली बार विधायक बने आरएस बाली को कैबिनेट रैंक दे दिया। इससे पार्टी के सीनियर विधायकों की अंदरखाते सरकार के प्रति नाराजगी और बढ़ गई। मंत्री बनने की उम्मीदें टूटने के बाद कई विधायकों ने तो जनता से ही अपना कनेक्ट कम कर दिया। नतीजा यह हुआ कि सरकार पर संकट आया और पार्टी को सुधीर शर्मा जैसा दिग्गज नेता खोना पड़ा। अब वह भाजपा में शामिल हो गए हैं।
हालांकि एक साल बाद यादवेंद्र गोमा के रूप में कांगड़ा को दूसरा मंत्री पद दिया गया।
BJP के पक्ष में 3 चुनाव के नतीजे
पिछले तीन लोकसभा चुनाव के नतीजे BJP के पक्ष में है। साल 2019 के चुनाव में BJP के किशन कपूर ने 7,25,218 (72.02%) वोट लिए थे, जबकि कांग्रेस के पवन काजल को 2,47,595 (24.59%) वोट मिले थे। इसी तरह 2014 में बीजेपी के शांता कुमार को 57.06 प्रतिशत और कांग्रेस के चंद्र कुमार को 35.76% वोट मिले थे।
वहीं 2009 के चुनाव में भाजपा के राजन सुशांत को 48.69% और कांग्रेस के चंद्र कुमार को 45.55% वोट मिले थे। कांगड़ा लोकसभा में कांग्रेस को आखिरी बार साल 2004 में जीत हाथ लगी थी। उस दौरान चंद्र कुमार यहां से सांसद चुने गए थे।
कांगड़ा सीट पर ग्राउंड में क्या हालात हैं, यह जानने दैनिक भास्कर लोगों के बीच पहुंचा।
अशोक बोले- आनंद शर्मा को बाहरी मान रहे लोग
धर्मशाला के बिजनेसमैन अशोक राय ने बताया कि आनंद शर्मा बाहरी व्यक्ति हैं, जबकि राजीव भारद्वाज स्थानीय हैं। बीजेपी उम्मीदवार को मोदी लहर का फायदा मिलेगा। संसदीय क्षेत्र में हाईवे और धर्मशाला स्मार्ट सिटी बन रही है। हिमाचल की सरकार ने वादे बहुत किए, मगर इतने वादे निभाना मुश्किल हैं।
मदन मोहन ने कहा- मोदी लहर में वोट लेंगे राजीव
धर्मशाला के हैंडलूम व्यापारी मदन मोहन ने बताया कि क्षेत्र में मोदी लहर बहुत ज्यादा है। उन्होंने सरकार की मुफ्त राशन योजना पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों की आदतें बिगाड़ रही है। इनकी सब्सिडी बंद कर देनी चाहिए। राजीव भारद्वाज, मोदी के नाम पर वोट लेकर जाएंगे। उनका पलड़ा भारी लग रहा है। आनंद शर्मा आउटसाइडर हैं और कांग्रेस की इतनी अच्छी पकड़ भी नहीं है।
गोपाल बोले- वीरभद्र सिंह वाली पुरानी कांग्रेस प्रचार से गायब
राजनीतिक विश्लेषक गोपाल पुरी ने बताया कि कैंपेन में बीजेपी काफी आगे चल रही है। मगर अभी यह नहीं कह सकते कि BJP जीत रही है, क्योंकि एग्रेसिव कैंपेन के बावजूद बीजेपी 2021 में पहले उपचुनाव हारी और 2022 में विधानसभा चुनाव भी हारी।
कांग्रेस यह मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है कि आनंद शर्मा चुनाव जीतते हैं तो वह केंद्र में बड़े ओहदे पर जाएंगे। कांग्रेस इस बात को कैश करना चाह रही है। मगर IT सेल वीक होने की वजह से कांग्रेस आम जनता तक नहीं पहुंच पा रही।
उन्होंने बताया कि कैबिनेट विस्तार में देरी की वजह से कांगड़ा की जनता के साथ-साथ विधायकों में भी रोष है। इससे चुनाव जीतने के बाद विधायक जनता से डिस्कनेक्ट हो गए। यही वजह है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस का कैंपेन अभी भी एग्रेसिव नजर नहीं आ रहा। वीरभद्र सिंह वाली पुरानी कांग्रेस भी प्रचार से गायब है।
वरिष्ठ पत्रकार उदयवीर पठानिया बोले- कांग्रेस-बीजेपी में कांटे का मुकाबला
वरिष्ठ पत्रकार उदयवीर पठानिया ने बताया कि प्रचार में बीजेपी ने बढ़त बना दी है। कांग्रेस ने देरी से अपना उम्मीदवार उतारा है। बीजेपी के ब्राह्मण कैंडिडेट के सामने कांग्रेस ने भी ब्राह्मण चेहरा उतार कर मुकाबला रोचक बनाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद ज्यादा डिजर्विंग हैं। जिस तरह आनंद शर्मा कांगड़ी-चंबियाली बोलकर लोकल टच दे रहे हैं, उससे वह जनता से कनेक्ट कर रहे हैं। वह लोकल इशू पर बात कर रहे हैं।
उदयवीर ने बताया कि आनंद शर्मा, शांता कुमार की तरह प्रखर वक्ता हैं। उनका राजनीतिक भविष्य ब्राइट है। बीजेपी के पास उनके खिलाफ बोलने को कुछ नहीं है। बीजेपी हिंदुत्व व मोदी फैक्टर पर बात कर रही है। अब सारा खेल मोदी फैक्टर पर निर्भर करेगा और चुनाव के नतीजे तय करेगा।