नई दिल्ली25 मिनट पहले
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तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें सांसदों के बीच खराब समन्वय के लिए गलत तरीके से दोषी ठहराया जा रहा है। कल्याण के इस्तीफे के बाद पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी को लोकसभा में अपना नया नेता नियुक्त किया गया है।
यह पूरा फेरबदल पार्टी के संसदीय दल में अव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच हुआ है, जिसमें सांसदों की गैरमौजूदगी और सार्वजनिक रूप से झगड़े शामिल हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर से सांसद महुआ मोइत्रा और श्रीरामपुर से सांसद कल्याण बनर्जी के बीच पिछले कुछ दिनों से जुबानी जंग चल रही है।
हाल ही में एक मीडिया हाउस को दिए एक पॉडकास्ट में महुआ ने कल्याण बनर्जी की तुलना सुअर से की थी। इसके बाद TMC चीफ CM ममता बनर्जी ने संसदीय दल की वर्चुअल मीटिंग की और सांसदों से संयमित व्यवहार रखने कहा।
हालांकि, इसके बाद कल्याण ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसदों के बीच समन्वय की कमी के लिए उन्हें दोषी ठहराया जा रहा है। कल्याण ने सांसद महुआ मोइत्रा पर सार्वजनिक रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने का भी आरोप लगाया।

पढ़ें कल्याण बनर्जी की सोशल मीडिया पोस्ट…
- मैंने सुश्री महुआ के एक पॉडकास्ट में की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों को सुना। उनके शब्दों का चयन, जिसमें एक साथी सांसद की तुलना सुअर से करने जैसी अमानवीय भाषा भी शामिल है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। जो लोग सोचते हैं कि गाली-गलौज, सार की जगह ले सकती है, उन्हें अपनी राजनीति पर गौर करना चाहिए।
- यह किस तरह के खोखलेपन को उजागर करती है। जब कोई जनप्रतिनिधि गाली-गलौज और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है तो यह उसकी ताकत नहीं, बल्कि असुरक्षा को दर्शाता है। मैं यह स्पष्ट रूप से कह दूं कि मैंने सार्वजनिक जवाबदेही और व्यक्तिगत आचरण के सवालों पर बात की, जिनका सामना करने के लिए हर सार्वजनिक व्यक्ति को तैयार रहना चाहिए- चाहे वह पुरुष हो या महिला।
- अगर ये तथ्य असहज करने वाले हैं तो जांच से बचने के लिए जायज आलोचना को महिला से नफरत करने वाला करार देना उचित नहीं है। किसी पुरुष सहकर्मी को यौन रूप से कुंठित कहना साहस नहीं है, यह सरासर गाली है। अगर ऐसी भाषा किसी महिला के लिए इस्तेमाल की जाती तो देशभर में आक्रोश फैल जाता, जो सही भी है।
- लेकिन जब कोई पुरुष निशाना बनता है तो उसे या तो नजरअंदाज कर दिया जाता है या फिर उसकी सराहना की जाती है। एक बात साफ है- गाली-गलौज तो गाली-गलौज ही होती है- चाहे उसका लिंग कुछ भी हो। ऐसी टिप्पणियां न सिर्फ अभद्र हैं, बल्कि वे एक जहरीले दोहरे मानदंड को भी मजबूत करती हैं, जहां पुरुषों से चुपचाप सहने की उम्मीद की जाती है, जो भूमिकाएं बदलने पर कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मीडिया से बोले- राजनीति छोड़ने के बारे में भी सोच रहा हूं
संसदीय दल के चीफ व्हिप से इस्तीफे के बाद कल्याण बनर्जी ने कहा- ‘दीदी कहती हैं कि सांसद झगड़ रहे हैं। क्या मुझे उन लोगों को बर्दाश्त करना चाहिए जो मुझे गाली देते हैं? मैंने पार्टी नेतृत्व को सूचित किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा मुझे ही दोषी ठहराया जा रहा है। दीदी को पार्टी अपने तरीके से चलाने दीजिए। मैं इतना परेशान हूं कि राजनीति छोड़ने के बारे में भी सोच रहा हूं।’
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