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आज (24 मई) से हिन्दी पंचांग का तीसरा महीना ज्येष्ठ शुरू हो गया है। ये महीना 22 जून तक रहेगा। इस महीने में सूर्य देव और हनुमान जी की विशेष पूजा करने की परंपरा है। दिन की शुरुआत सूर्य को जल चढ़ाकर करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। जानिए ज्येष्ठ मास से जुड़ी खास बातें…
- जल का महत्व समझाता है ज्येष्ठ मास
इस महीने में गर्मी अधिक रहती है। इस वजह से अधिकतर नदी, तालाब, कुएं इन दिनों में सूख जाते हैं। कई जगहों पर जल की कमी हो जाती है। इस वजह से खासतौर पर ज्येष्ठ मास में जल बचाने की परंपरा है। तेजी गर्मी और पानी की कमी की वजह से कई मुश्किलें बढ़ जाती हैं। ये महीना जल का महत्व बताता है।
इसी महीने में सबसे बड़ी निर्जला एकादशी का व्रत भी किया जाता है। इस एकादशी में पूरे दिन निर्जल रहकर व्रत करते हैं। भक्त अन्न के साथ ही पूरे दिन पानी का भी त्याग करते हैं। भीषण गर्मी में पूरे दिन अन्न-जल के बिना रहना एक तप की तरह है। इसी वजह से इस व्रत का महत्व काफी अधिक है।
ज्येष्ठ मास विष्णु जी का प्रिय माह माना गया है। इस महीने में पूजा-पाठ के साथ ही जल का दान जरूर करना चाहिए और पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा में स्नान भी करना चाहिए।
ज्येष्ठ मास के तीज-त्यौहार
- 25 मई शनिवार – नवतपा शुरू
- 26 मई रविवार – गणेश चतुर्थी व्रत
- 2 जून रविवार – अपरा एकादशी
- 3 जून सोमवार – नवतपा खत्म
- 6 जून गुरुवार – वट सावित्री अमावस्या
- 10 जून सोमवार – विनायकी चतुर्थी
- 15 जून शनिवार – मिथुन संक्रांति
- 16 जून रविवार – गंगा दशहरा
- 17 जून सोमवार – निर्जला एकादशी, ईदुज्जुहा
- 21 जून शुक्रवार – व्रत पूर्णिमा
- 22 जून शनिवार – कबीर जंयती, ज्येष्ठ पूर्णिमा