राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई को नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया और इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की
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न्यायमूर्ति गवई की नियुक्ति के साथ नालसा के मिशन को नई दिशा मिलेगी, जिसका उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से कमजोर और हाशिए पर पड़े लोगों को मुफ्त और सुलभ न्यायिक सहायता उपलब्ध कराना है। नालसा की इस पहल के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि देश का कोई भी नागरिक वित्तीय या सामाजिक बाधाओं के कारण न्याय से वंचित न रहे।
गौरतलब है कि पूर्व में इस पद पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना थे। परंपरागत रूप से नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष का पद सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को दिया जाता है, जो नालसा के जनकल्याणकारी उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में सहायक होता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत बने एससीएलएससी के अध्यक्ष इस नियुक्ति के साथ ही नालसा ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत को सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति (एससीएलएससी) का नया अध्यक्ष बनाया है। इस निर्णय की घोषणा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा की गई, और इसकी अधिसूचना 12 नवंबर को जारी की गई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत इस पद पर न्यायमूर्ति बीआर गवई का स्थान लेंगे, जो अब नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष का दायित्व निभाएंगे।
एससीएलएससी का उद्देश्य है कि सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचने की प्रक्रिया को समाज के वंचित वर्गों के लिए सुगम बनाया जाए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की नियुक्ति से यह सुनिश्चित होगा कि समाज के कमजोर और हाशिए पर पड़े लोग वित्तीय और सामाजिक अवरोधों के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय में अपनी