Junk Food on Quick Commerce: 50%+ Items HFSS, Parents Worried | क्विक डिलीवरी एप्स पर जंक-फूड का ऑप्शन आधे से ज्यादा: 10 में से 4 घर के बच्चे मंगवा रहे नूडल्स, चिप्स और चॉकलेट; पैरेंट्स बोले- वार्निंग लेबल लगे

नई दिल्ली3 मिनट पहले

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भारत के शहरी इलाकों में जंक फूड का चलन तेजी से बढ़ रहा है। लोकलसर्कल्स के सर्वे के अनुसार, क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर बिकने वाले पैकेज्ड फूड आइटम्स में आधे से ज्यादा हाई फैट, शुगर, सॉल्ट (HFSS) वाले या अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) हैं।

सर्वे में 39% घरों ने बताया कि वे सॉफ्ट ड्रिंक्स, बिस्किट, चिप्स, नूडल्स जैसे आइटम रेगुलर खरीदते हैं, यानी हर 10 में 4 घर से जंक फूड ऑर्डर किया जा रहा है। खास बात ये है कि ऑर्डर करने वालों में बच्चे और यूवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है।

कोविड के बाद अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की सेल वैल्यू 10% से ऊपर पहुंच गई है, जो हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे मोटापा, डायबिटीज और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ा रही है। रिपोर्ट में बताया कि हर 10 में से 9 पैरेंट्स ने जंक फूड पर रेड कोडिंग लगाने की मांग की है।

सोर्स: लोकलसर्कल्स

सोर्स: लोकलसर्कल्स

जंक फूड का जेन Z में सबसे ज्यादा क्रेज

रिपोर्ट के अनुसार, इन प्लेटफॉर्म्स पर हर दो में से एक आइटम जंक या हाई-फैट, हाई-शुगर, हाई-सॉल्ट (HFSS) वाला है। ये वही चीजें हैं जो बच्चे सबसे ज्यादा ऑर्डर करते हैं। इसमें बिस्किट, कोल्ड ड्रिंक, चिप्स, नूडल्स, चॉकलेट और आइसक्रीम शामिल है।

ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर इतने ज्यादा ऑप्शन होने से बच्चों के लिए इनसे दूर रहना मुश्किल हो जाता है। रिपोर्ट में पाया गया कि जंक या अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड (UPF) की डिमांड कोविड के बाद ‘V-शेप्ड’ बढ़ रही है। खासकर जेन Z में ये ट्रेंड ज्यादा है, क्योंकि क्विक डिलीवरी और लो कॉस्ट की वजह से ये आसानी से मिल जाते हैं।

10 में से 9 पैरेंट्स एप्स पर रेड वार्निंग लेबल चाहते हैं

लोकलसर्कल्स ने जुलाई-सितंबर 2024 के बीच देशभर के 277 जिलों में 42,000 से ज्यादा लोगों का सर्वे किया। इनमें से 39% माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे नियमित रूप से इन एप्स से जंक फूड मंगाते हैं। सर्वे में पता चला कि 10 में से 9 माता-पिता चाहते हैं कि एप्स पर भी रेड वार्निंग लेबल दिखाया जाए, ताकि बच्चे समझ सकें कि कौन-सी चीज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन फिलहाल, ज्यादातर एप्स ऐसी कोई जानकारी नहीं देते।

स्वाद और अवेलेबलिटी की वजह से लत लग रही

पिछले साल ICMR और NIN ने साफ कहा था कि UPF में फाइबर और पोषक तत्व में कम, लेकिन शुगर, नमक और तेल में अत्यधिक होते हैं। इनका स्वाद ऐसा होता है कि ये जल्दी लत लगा देते हैं और इनकी उपलब्धता पूरे देश में इतनी आसान है कि लोग इन्हें रोजमर्रा के खाने में शामिल करने लगे हैं। इकॉनोमिक सर्वे ने भी बताया कि भारत के 56% से ज्यादा रोगों की जड़ अस्वास्थ्यकर भोजन है, जिसमें जंक फूड मुख्य भूमिका निभा रहा है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड क्या है?

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड वे खाद्य पदार्थ होते हैं, जो इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग से तैयार किए जाते हैं। इनमें प्रिजर्वेटिव, इमल्सीफायर, आर्टिफिशियल फ्लेवर, कलर, एडेड शुगर, सेचुरेटेड फैट और नमक जैसी कई चीजें मिलाई जाती हैं। इनका उद्देश्य फूड को लंबे समय तक खराब होने से बचाना और उसे स्वाद व दिखने में अधिक आकर्षक बनाना होता है। आसान भाषा में कहें तो ये रेडी-टू-ईट फूड्स होते हैं, जिन्हें बार-बार गर्म करने या पकाने की जरूरत नहीं होती है।

इनमें फ्रोजन फूड्स, शुगरी ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड मीट, इंस्टेंट नूडल्स, पिज्जा, बर्गर, मोमोज, फ्रेंच फ्राईज, चिप्स, नमकीन, कुकीज, केक और मफिन जैसे प्रोडक्ट्स शामिल होते हैं, जो दिखने और खाने में तो लाजवाब होते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।

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