2 घंटे पहले
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जाने-माने लिरिसिस्ट जावेद अख्तर ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया है। प्राइम वीडियो डॉक्यूमेंट्री सीरीज एंग्री यंग मैन में जावेद अख्तर ने अपनी लाइफ को लेकर कई खुलासे किए हैं। उन्होंने ये भी बताया कि उनके पास कभी इतने पैसे नहीं थे कि वो एक वक्त का खाना खा सकें।
जावेद अख्तर ने इमोशनल होते हुए बताया कि काफी छोटी उम्र में वो अपना घर छोड़कर मुंबई आ गए थे। उन्होंने कहा, मैंने ग्रेजुएशन के बाद फैसला लिया कि मैं बॉम्बे जाऊंगा और वहां असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करूंगा। मैं श्योर था कि ऐसे शुरुआत करने के कुछ सालों बाद मैं डायरेक्टर बन जाऊंगा।
मुंबई आकर मैं कुछ दिन अपने दोस्तों के साथ रहा, रेलवे स्टेशन, पार्क, स्टूडियो कंपाउंड,कॉरिडोर, बेंच पर भी सोया। कई बार तो पैदल दादर,बांद्रा तक गया क्योंकि मेरे पास बस के किराए तक के पैसे नहीं थे। कई बार तो दो दिन तक खाने को नहीं मिला। तब मैं सोचता था कि आगे मुझ पर बायोग्राफी लिखी गई तो ये सारी बातें बहुत मायने रखेंगी।
पत्नी शबाना आजमी ने भी इसी इंटरव्यू में जावेद अख्तर की स्ट्रगल का एक किस्सा बताते हुए कहा, ‘एक दिन इन्हें एहसास हुआ कि इन्होंने तीन दिन से कुछ खाया नहीं है। इन्होंने एक घर में रोशनी देखी और सोचा, मैं ऐसे तो नहीं मरूंगा, ये दिन बदलेंगे।
इसके बाद जावेद अख्तर ने कहा, ‘अभाव दो प्रकार के होते हैं-नींद का और भूख का…ये आप पर इतना गहरा प्रभाव छोड़ते हैं जो लंबे समय तक मिटाए नहीं जा सकते। अब मैं फाइव स्टार होटलों में रुकता हूं तो सोचता हूं जब मैं थर्ड क्लास कम्पार्टमेंट में बैठकर बॉम्बे आया था तो मेरे पास रुकने के लिए घर तक नहीं था। मैं कितना थका हुआ और परेशान था। मैं बस थोड़ी सी जगह चाहता था।
जावेद अख्तर आगे बोले, एक दिन मुझे एहसास हुआ कि मेरे पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं हैं। आप सोचेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है लेकिन ऐसा ही था। मेरे पास आखिरी एक जोड़ी ट्राउजर थे जो कि फट चुके थे, मैंने कभी अपने परिवार से मदद मांगने की नहीं सोची क्योंकि मैं सबकुछ छोड़कर आया था, मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और न ही परिवार से कोई मदद की। मेरी आंटी ने मुझे पाला-पोसा था, मैं 15 साल की उम्र में सबकुछ छोड़ आया, लेकिन ऐसा करने के पीछे मेरे इरादे नेक थे।