मुंबई18 मिनट पहले
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जेन स्ट्रीट एक अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी है, जो हाई-टेक्नोलॉजी और क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग यानी मैथेमेटिकल मॉडल्स का इस्तेमाल करके शेयर बाजार में ट्रेडिंग करती है।
अमेरिका की ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट को भारतीय शेयर बाजार में फिर से ट्रेडिंग शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। यह जानकारी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है।
लेकिन अब कंपनी ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी, सेबी को आश्वासन दिया है कि वह ऑप्शंस में ट्रेडिंग नहीं करेगी। कैश मार्केट में भी तब तक नहीं उतरेगी, जब तक वह सेबी को अपनी ट्रेडिंग रणनीति के बारे में पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर देती।
4 पॉइंट में पूरा मामला समझें..
- सेबी ने 3 जुलाई 2025 को जेन स्ट्रीट की ट्रेडिंग पर रोक लगा दी थी। सेबी का कहना था कि जेन स्ट्रीट ने निफ्टी 50 और बैंक निफ्टी में हेराफेरी की, जिससे उसे भारी मुनाफा हुआ।
- जेन स्ट्रीट ने जनवरी 2023 से मई 2025 तक जेन स्ट्रीट ने 36,671 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था, जिसमें से 4,844 करोड़ रुपए को गैर-कानूनी मुनाफा माना गया।
- सेबी ने निर्देश दिया था कि ट्रेडिंग फिर से शुरू करने के लिए उसे 4,844 करोड़ रुपए एस्क्रो अकाउंट में जमा करने होंगे। जेन स्ट्रीट ने 11 जुलाई को यह राशि जमा कर दी।
- 18 जुलाई को सेबी ने उसे ट्रेडिंग की अनुमति दे दी। लेकिन, यह भी साफ कर दिया कि जेन स्ट्रीट को उन ट्रेडिंग पैटर्न्स से बचना होगा, जिन्हें मार्केट रेगुलेटर ने मैनिपुलेटिव माना था।

जेन स्ट्रीट ने हेराफेरी के आरोपों को गलत बताया
- जेन स्ट्रीट ने सेबी के आरोपों को गलत बताया है। कंपनी का कहना है कि उसने जो ट्रेडिंग की, वह एक सामान्य इंडेक्स आर्बिट्रेज स्ट्रैटेजी थी, जिसमें बाजार में कीमतों के अंतर का फायदा उठाया जाता है।
- कंपनी ने अपने कर्मचारियों को भेजे एक आंतरिक मेमो में कहा कि सेबी ने उनकी ट्रेडिंग को गलत समझा है। जेन स्ट्रीट ने यह भी कहा कि वह सेबी के साथ मिलकर इस मामले को सुलझाने की कोशिश कर रही है।
- हालांकि, कंपनी ने यह साफ कर दिया है कि वह फिलहाल भारत में ऑप्शंस ट्रेडिंग नहीं करेगी। जेन स्ट्रीट की भारत में डेरिवेटिव्स में हिस्सेदारी सामान्य शेयरों की तुलना में 5 से 7 गुना ज्यादा थी।
आर्बिट्रेज स्ट्रैटजी और मार्केट मैनिपुलेशन में अंतर
आर्बिट्रेज एक वैध ट्रेडिंग रणनीति है। इसमें ट्रेडर एक ही समय में अलग-अलग बाजारों या प्लेटफॉर्म्स में किसी शेयर, कमोडिटी या डेरिवेटिव की कीमतों में अंतर का फायदा उठाता है।
मान लीजिए, एक कंपनी का शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर 100 रुपए में बिक रहा है, लेकिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 102 रुपए में। ट्रेडर BSE से शेयर खरीदकर NSE पर तुरंत बेच देता है और 2 रुपए का मुनाफा कमा लेता है। यह पूरी तरह से कानूनी है।
मार्केट मैनिपुलेशन गैर-कानूनी गतिविधि है। इसमें ट्रेडर जानबूझकर शेयरों की कीमतों को प्रभावित करता है, ताकि उसे मुनाफा हो या दूसरों को नुकसान हो।
मान लीजिए, कोई ट्रेडर किसी कंपनी के शेयरों को भारी मात्रा में खरीदता है और अफवाह फैलाता है कि कंपनी को बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिला है। इससे शेयर की कीमत बढ़ जाती है और वह ऊंचे दाम पर बेच देता है। इससे अन्य लोगों को नुकसान होता है और उसे फायदा।
सेबी के आदेश को कोर्ट में चैलेंज करेगी जेन स्ट्रीट
जेन स्ट्रीट ने सेबी के आदेश का पालन करते हुए 4,844 करोड़ रुपए जमा कर दिए हैं, लेकिन वह सेबी के आरोपों को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है।
कंपनी ने इसके लिए खेतान एंड कंपनी जैसे बड़े लॉ फर्म को हायर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जेन स्ट्रीट यह दावा कर सकती है कि सेबी ने बिना सुनवाई के अंतरिम आदेश जारी किया, जो प्रक्रियात्मक रूप से गलत हो सकता है।
सेंसेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की भी जांच करेगा सेबी
सेबी ने जेन स्ट्रीट को ट्रेडिंग की अनुमति तो दे दी है, लेकिन NSE और BSE को कहा गया है कि वे जेन स्ट्रीट के भविष्य के ट्रेड्स पर बारीकी से निगरानी रखें।
सेबी ने यह भी कहा है कि अगर जेन स्ट्रीट ने फिर से कोई मैनिपुलेटिव ट्रेडिंग पैटर्न अपनाया, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सेबी की जांच अभी भी जारी है और इसमें कई महीने लग सकते हैं। सेबी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए सेंसेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स पर भी नजर डालने का फैसला किया है। सेबी को शक है कि जेन स्ट्रीट ने बीएसई के इंडेक्स में भी हेरफेर किया होगा।
जेन स्ट्रीट मार्केट में हेराफेरी कैसे करती थी, इसे विस्तार से पढ़े….
SEBI ने अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट ग्रुप और उससे जुड़ी 3 कंपनियों पर बैन लगा दिया है। अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म पर इंडेक्स एक्सपायरी के दिन कीमतों में हेराफेरी करने का आरोप लगा है। SEBI ने 4,843.57 करोड़ रुपए की अवैध कमाई को जब्त करने का आदेश भी दिया है।