जमुई में नए साल में पर्यटकों के जश्न मनाने के लिए गर्म झरने के नाम से मशहूर जमुई मुंगेर सीमा रेखा के जंगली इलाके में मौजूद प्रसिद्ध भीम बांध झरना तैयार है। इसको लेकर 10 दिसंबर से ही भीम बांध के गेट को कड़ी सुरक्षा के बीच खोल दिया गया है।
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हालांकि अभी पर्यटकों की संख्या काफी कम देखने को मिल रही है। जिला प्रशासन को उम्मीद है कि 25 दिसंबर क्रिसमस डे के बाद भीम बांध के कर्म झरने का लुफ्त उठाने पर्यटकों की भीड़ उमड़ सकती है। जिसको लेकर उसकी तैयारी में जिला प्रशासन जुटा है।
कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था भीम बांध
बता दें की 2005 से लेकर 2019 तक यह इलाका पूरी तरह से नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। बताया जाता है कि जमुई, लखीसराय, मुंगेर, बांका जिले के नक्सलियों का सबसे सुरक्षित क्षेत्र था और यहां पर नक्सलियों का सबसे बड़ा कैंप हुआ करता था।
लेकिन लगातार सुरक्षा बलों के द्वारा की गई कार्रवाई में नक्सलियों के इस बड़े कैंप को ध्वस्त कर दिया गया था। जबकि भारी मात्रा में हथियार और नक्सलियों की भी गिरफ्तार हुई थी। जिसके बाद भीम बांध का इलाका नक्सल मुक्त हुआ था।
बताया जाता है कि जमुई मुख्यालय से 40 किलोमीटर जंगली क्षेत्र में बसा भीम बांध को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर पर्यटक क्षेत्र घोषित किया गया था। जिसके बाद से यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए मूल भूत सुविधा का ख्याल रखते हुए उसे हाईटेक किया गया था। जिसे दिसंबर माह में उसका गेट को खोला गया है।
10 दिसंबर से खुलेगा बांध
वनरक्षक रंजीत कुमार ने बताया कि पर्यटकों के लिए भीम बांध के गेट को 10 दिसंबर से ही खोल दिया गया है। लेकिन फिलहाल पर्यटक काफी कम संख्या में पहुंच रहे हैं। 25 दिसंबर के बाद जनवरी माह तक बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने की संभावना को देखते हुए इसकी पूरी तैयारी की गई है।
बताया जाता है कि महिला पर्यटकों के लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर इस बार भीम बांध के जंगली क्षेत्र में महिला सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। ताकि महिला पर्यटकों को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े। बताया कि पहले यहां पहुंचने वाले महिलाओं के साथ असामाजिक तत्वों द्वारा छेड़छाड़ की जाती थी।
जिसको ख्याल में रखते हुए इस बार महिला पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर महिला पुलिस बल को तैनात किया गया है। ताकि महिला पर्यटकों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। बता दें की भीम बांध का इलाका पर्यटक को गर्म झरना व उस इलाके की जंगली वादियां और ऊंची ऊंची पहाड़ियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यही कारण है कि खासकर ठंड का मौसम आते ही दिसंबर और जनवरी माह में पर्यटकों की काफी भीड़ देखने को मिलती है।
रामायण काल से जुड़ा भीम बांध का इतिहास
बताया जाता है कि भी भीम बांध का इलाका रामायण काल से जुड़ा है। वनवास के दौरान इसी भीम बांध के जंगली इलाके में भीम, अर्जुन शीत पांचो पांडव बनवास की सजा काटने के लिए इस जंगली क्षेत्र में पहुंचे थे। जहां पानी के तेज भाव को रोकने के लिए खुद भीम के द्वारा एक बांध पत्थरों से बांधी गई थी। जो आज भी यहां देखने को मिलती है और पर्यटक उसे देखने के लिए पहुंचते हैं। जानकार बताते हैं कि इसीलिए इस इलाके का नाम भीम बांध रखा गया है।