Jamiat President Mehmood Madani clarifies Jihad remark | मदनी बोले- आतंकवादियों से लड़ना ही असली जिहाद: यह पवित्र शब्द, सरकारें इसे मुस्लिमों को गाली देने के लिए इस्तेमाल कर रहीं

नई दिल्ली6 मिनट पहले

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मौलाना मदनी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, 29 नवंबर को भोपाल में दिए उनके बयान पर बवाल मचा हुआ है। - Dainik Bhaskar

मौलाना मदनी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, 29 नवंबर को भोपाल में दिए उनके बयान पर बवाल मचा हुआ है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट मौलाना महमूद मदनी ने जिहाद वाले बयान पर सफाई दी है। मदनी ने कहा कि उनके बयान से होने वाले किसी भी कन्फ्यूजन की जिम्मेदारी वे खुद लेते हैं। उनके शब्दों को उनके पूरे कॉन्टेक्स्ट के अलावा गलत समझा गया है।

न्यूज एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू में मदनी ने कहा कि उनका इरादा जिहाद के पवित्र और ऐतिहासिक मतलब को हाईलाइट करना था। लेकिन वे यह पक्का करने की जिम्मेदारी नहीं निभा सके कि इसका गलत मतलब न निकाला जाए।

दरअसल, 29 नवंबर को जमीयत प्रेसिडेंट ने भोपाल में नेशनल गवर्निंग बॉडी की मीटिंग के दौरान जिहाद शब्द के बारे में कहा था कि इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने जिहाद को गाली, झगड़े और हिंसा का मतलब बना दिया है।

आज लव जिहाद, लैंड जिहाद, तालीम जिहाद, थूक जिहाद, वोट जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल मुसलमानों की आस्था का अपमान करने के लिए किया जाता है। बदकिस्मती से सरकार और मीडिया के लोगों को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने में कोई शर्म नहीं आती।

जमीयत प्रेसिडेंट ने अपनी सफाई और क्या कहा…

  • अगर आप मेरा पूरा बयान सुनें, तो तीन बातें कही गई हैं। एक यह कि भारत में, जिहाद के कई मतलब हैं। सबसे बड़ा जिहाद अपने मकसद का साफ विजन रखना और खुद पर काम करना है। अगर अन्याय हो, तो उसके खिलाफ आवाज उठाएं; यह भी जिहाद है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों ने जिहाद शब्द के साथ एक नेगेटिव जुड़ाव बनाने में मदद की है, भले ही इसका असली मतलब नेकी और गलत कामों के खिलाफ विरोध में है। पूरी मिनिस्ट्री ने तय किया है कि अगर मुसलमानों से जुड़ी कोई भी नेगेटिव बात सामने आती है, तो उसे जिहाद कहा जाएगा।
  • जिहाद एक पवित्र शब्द है। हम जिहाद के असली मतलब के लिए लड़ रहे हैं। जिहाद शब्द का इस्तेमाल बहुत प्लान्ड तरीके से इस्लाम को गलत बताने के लिए किया जा रहा है। जिहाद के कई मतलब हैं, जिसमें खुद को बेहतर बनाना और नाइंसाफी के खिलाफ बोलना शामिल है।
  • जिहाद को आतंकवाद से जोड़ना पूरी तरह से गलत है। आतंकवादियों के लिए सही शब्द फसादी है। मैंने हमेशा कहा है, वे फसादी हैं और हम जिहादी हैं। यह डिफॉल्ट रूप से मान लिया गया है कि सभी मुसलमान जिहादी हैं और इसलिए फसादी हैं।
  • जब से मैं ऑर्गनाइजेशन का सेक्रेटरी बना हूं, मैंने इसे अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया है कि मैं यह दिखाऊं कि आतंकवादियों ने कैसे इस्लामी टर्मिनोलॉजी का गलत मतलब निकाला है और फसाद फैलाया है, हमें इसके खिलाफ होना चाहिए। हम जिहाद को आतंकवादियों से लड़ना मानते हैं।
  • हमने 2011 में वंदे मातरम पर बड़े पैमाने पर बहस की थी। जबरदस्ती लागू करना भारत का आइडिया नहीं है। हमारा संगठन वंदे मातरम के गायन को चुनौती देने के लिए कानूनी ऑप्शन पर विचार कर रहा है।

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मुसलमानों को लगातार टारगेट किया जा रहा है और उनके धार्मिक पहनावे, पहचान और जीवनशैली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। मौलाना मदनी ने ये बातें 29 नवंबर को भोपाल में जमीयत की गर्वनिंग बॉडी की बैठक में कहीं।मौलाना बोले- मुसलमान इस देश के बराबर के नागरिक हैं, लेकिन शिक्षा, रोजगार और सामाजिक बराबरी के अधिकार जमीनी स्तर पर कमजोर हो रहे हैं।

उन्होंने कहा था कि जिहाद जैसे मुकद्दस शब्द को आतंक और हिंसा से जोड़ना जानबूझकर किया जा रहा है। इस्लाम में जिहाद का मतलब अन्याय और ज़ुल्म के खिलाफ संघर्ष है। जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा।पढ़ें पूरी खबर…

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