जयपुर के सांगानेर सदर इलाके से मंगलवार शाम को 12 साल के बच्चे के अपहरण के केस को पुलिस ने 6 घंटे में सुलझा लिया। इसे सुलझाने में बड़ा सुराग बनी कीचड़ से सनी कार, जिसमें किडनैपर (अपरहणकर्ता) बच्चे को उठाकर ले गए थे। अपहरण करने वाला कोई और नहीं उस परिव
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BSF में चयनित इस कांड का मास्टरमाइंड युवक मौज-मस्ती करने का शौकीन था। कर्ज लेकर खूब ऐश की। उसे चुकाने के लिए परिचित के बच्चे को ही किडनैप करने की साजिश रच डाली। बच्चा 7 बहनों का इकलौता भाई था। इसके लिए उसने 15 दिन लगातार प्लानिंग की।
बच्चे के घरवालों का शुभचिंतक बना। बच्चे की हाइट बढ़ाने के लिए उसके घर वालों को घर से बाहर आकर साइकिल चलाने को राजी किया। ताकि साजिश को अंजाम देने का मौका मिल सके। 20 अगस्त की शाम करीब 4.30 बजे बच्चा साइकिल चलाने की प्रैक्टिस कर रहा था, तभी उसे किडनैप कर ले गया।
पुलिस ने आशंका जताई है कि किडनैपर ने बच्चे को इस तरह से बांधा हुआ था कि अगर हम वक्त पर नहीं पहुंचते तो बच्चे का दम घुट सकता था। पुलिस ने महज 6 घंटे में ही बच्चे को खोज निकाला और आरोपियों को दबोच लिया।
पढ़िए ये रिपोर्ट…
बिना नंबर की कार से दो युवक अपहरण कर ले गए
सांगानेर सदर थाना पुलिस को मंगलवार शाम 4.30 बजे 12 साल के एक बच्चे के अपहरण की सूचना मिली थी। बच्चा अपने घर के बाहर साइकिल चला रहा था। उस दौरान बिना नंबर की कार में आए दो युवक बच्चे का अपहरण कर ले गए।
वहां खेल रहे दूसरे बच्चों ने परिजनों को बताया कि कोई उनके बेटे को कार में उठाकर ले गया है। इसके बाद घरवालों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तुरंत ही बच्चे की तलाश शुरू कर दी। शहर में नाकाबंदी कराई। परिजनों ने अपने परिचित पर वारदात में शामिल होने का संदेह जताया था।
घटनास्थल पर मौजूद लोगाें ने पुलिस को बताया कि कार बिना नंबर की थी। उसके पीछे कीचड़ लगा हुआ था। इसी दौरान पुलिस को सूचना मिली कि शिवदासपुरा इलाके में एक कार कीचड़ में गिर कर पलट गई थी। पुलिस ने कार सीधी कराने वाले लोगों से संपर्क किया। उन्हें संदिग्धों के फोटोग्राफ दिखाए तो 21 साल के सचिन मीणा (मास्टरमाइंड) नाम के आरोपी की शिनाख्त हो गई। सचिन बड़ी का वास, गौनेर रोड का रहने वाला है।
फिरौती मांगने से पहले ही दबोचा
पुलिस ने सचिन मीणा के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर डाला और उसकी लोकेशन ट्रेस की। पता चला कि आरोपी सांगानेर के बांसखो में है। कुछ ही देर में नाकाबंदी के दौरान पुलिस ने उस कार को रुकवा लिया। सचिन मीणा और उसका साथी अशोक मीणा पुलिस की गिरफ्त में आ गए।
सख्ती से पूछने पर सचिनने बता दिया कि उसने बच्चे को एक कमरे में छिपाया है। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो कुछ ही देर बाद फिरौती की रकम मांगने वाले थे।
पुलिस आगरा रोड के बांसखो स्थित उस घर में दाखिल हुई, जहां बच्चे को अपहरण करके रखा गया था।
बच्चे के मुंह व आंखों पर टेप और हाथ-पैर रस्सी से बांधे
पुलिस बिना देरी किए रात को ही करीब 10 बजे आगरा रोड के बांसखो स्थित उस मकान में पहुंची, जहां बच्चे को बंधक बनाकर रखा गया था। यह मकान भी पीड़ित परिवार के ही सदस्य ने किराए पर ले रखा था। आरोपियों ने 12 साल के बच्चे को एक अंधेरे कमरे में बंधक बनाकर जमीन पर पटक रखा था।
बच्चे के मुंह पर टेप लगाकर उसका मुंह बंद कर दिया था। दोनों हाथ और पैरों को रस्सी से बांधा हुआ था। ताकि बच्चा आरोपियों और जगह की पहचान नहीं कर सके। पुलिस ने बच्चे को संभाला और उसे थाने ले आई।
अपह्रत बच्चे के हाथ-पैरों को बांधकर मुंह पर टेप चिपकाया गया था।
बदमाश बच्चे के परिचित थे और जानते थे कि बच्चे ने उनको पहचान लिया है। ऐसे में परेशानी हो जाएगी। पुलिस को आशंका है कि फिरौती की रकम मिलने के बाद भी बदमाश बच्चे को सकुशल परिजनों को नहीं सौंपते।
बीएसएफ में चयनित युवक ने रची थी साजिश
सांगानेर सदर थाना की सीआई पूनम चौधरी ने बताया कि सचिन का कुछ समय पहले ही बीएसएफ में चयन हुआ है। उसकी जॉइनिंग नहीं हुई है। सचिन अभी बेरोजगार है। मौज मस्ती में बहुत पैसा खर्च करता है। अय्याशी के कारण उस पर कर्ज भी हो गया है। उसने कर्ज उतारने के लिए बच्चे का अपहरण किया था।सचिन और उसके साथी अशोक मीणा (21) ने वारदात को अंजाम देने की साजिश करीब 15 दिन पहले रची थी। पुलिस ने आरोपी की स्विफ्ट कार को भी जब्त कर लिया है। अशोक मीणा मलारना चौड बीचला साथ की ढाणी मलारना डूंगर सवाईमाधोपुर का रहने वाला है।
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से एक स्विफ्ट कार भी जब्त की है।
सचिन मीणा का बच्चे के पिता के घर आना-जाना था। दोनों में दूर की जान-पहचान थी। इसी वजह से आरोपी अक्सर उनके घर पर आता था। उसे पता था कि 12 साल का बच्चा 7 बहनों का इकलौता भाई है। उसे यकीन था कि अपने इकलौते बच्चे को छुड़ाने के लिए उसका पिता मुंहमांगी फिरौती की रकम आसानी से दे सकता है।
अपहरण के बाद परिजनों को तसल्ली दे रहा था आरोपी
अपहरण करने के बाद सचिन बड़े ही शातिराना ढंग से बच्चे के पिता को सांत्वना देते हुए इस घटना से अनजान बन रहा था। वह बार-बार फोन कर सांत्वना के बहाने उनसे डिटेल ले रहा था- क्या हुआ बच्चा मिला क्या? पुलिस क्या कर रही है? कहां तक पहुंची? यहीं से बच्चे के पिता का शक गहरा गया था।
सीआई पूनम चौधरी ने बताया कि सचिन मीणा ने अपने घर पर बता रखा था कि वह चेन्नई जा रहा है। हमने कॉल लगाया तब भी उसने बताया कि वह चेन्नई में है। खास बात यह कि वह चेन्नई गया ही नहीं था। पुलिस ने उसकी लोकेशन देखी तो घटनास्थल से 150 किलोमीटर दूर थी। इस पर पुलिस ने तूंगा, कानोता और बस्सी थाना पुलिस को अलर्ट किया। लोकेशन के आधार पर सचिन को उसके साथी के साथ आगरा रोड पर बांसखो से धर दबोचा।
आरोपी सचिन मीणा का पीड़ित परिवार के घर आना-जाना था।
रोजाना लेता था फीडबैक
सचिन मीणा ने अपहरण की योजना को अंजाम देने के लिए पहले से ही प्लानिंग कर रखी थी। बच्चे को किसी बहाने घर से बाहर लाने के लिए सचिन ने ही उसके पिता को कहा था कि बच्चे की हाइट कम रह जाएगी, इसे बाहर भेजकर शाम को रोजाना साइकिल चलवाया करो।
सचिन इस बात का भी ध्यान रखता था कि बच्चे ने साइकिल चलाई है या नहीं। वारदात से एक दिन पहले जब बच्चे ने साइकिल नहीं चलाई तो सचिन ने फोन कर परिजनों से रोजाना साइकिल चलवाने को कहा था। पुलिस का मानना है कि साइकिल चलाने के बहाने सचिन बच्चे को घर से दूर करना चाहता था, ताकि उसका अपहरण किया जा सके।
दो दिन पहले रक्षा बंधन पर सभी 7 बहनों ने बांधी थी राखी
अपहृत बच्चे के पिता ने बताया कि दो दिन पहले ही बेटे को उसकी बहनों ने राखी बांधी थी। उस समय घर में सभी खुश थे। सात बहनों का लाडला होने के साथ ही वह घर सबका चहेता है। वह क्लास छह में पढ़ता है। हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई उनका परिचित इस तरह से उनके बेटे का अपहरण करेगा। बेटे के सकुशल लौटने पर पुलिस को धन्यवाद देते हुए कहा कि जयपुर पुलिस ने उसके घर की खुशियां वापस लौटा दी हैं।
15 साल पुराने अपहरण कांड की याद हुई ताजा
बच्चे वीडियो देखकर 15 साल पहले जयपुर के नाहरगढ़ इलाके में 10 साल के मासूम की हत्या का मामला एक बार फिर ताजा हो गया है। स्कूली छात्र की लाश टोंक जिले के निवाई इलाके में चनानी स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर एक बोरे में मिली थी। उसका मुंह, आंख व नाक को फेविक्विक से चिपकाया गया था।
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