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अमरुत भारत स्टेशन योजना के तहत 19.3 करोड़ रुपए खर्च कर पठानकोट सिटी रेलवे स्टेशन को री -डिवेलप का काम धीमी रफ्तार से चल रहा है। अभी भी स्टेशन पर प्लेटफार्म का काम होना बाकी है और ग्रीन बेल्ट डिवेलपमेंट के साथ ही पार्किंग का काम अटका हुआ है। हालात यह हैं कि फरवरी में पूरा होने वाले रेलवे स्टेशन के काम को अभी भी पूरा होने में 4 महीने का समय लगेगा। इसके पीछे लोकसभा चुनाव आचार संहिता बताई जा रही है। फिलहाल रेल अधिकारी काम में तेजी लाने का दावा करते हैं।
फिरोजपुर डिवीजन के 14 में शामिल पठानकोट सिटी स्टेशन को अमृत भारत योजना के तहत रि-डवलप किया जा रहा है और उसका टारगेट 29 फरवरी तय किया गया था, लेकिन एचआरटीसी डिपो को शिफ्ट किए जाने का मामला कोर्ट में जाने की वजह से काम बीच में लटक गया और निर्माण कार्य धीमा पड़ गया है। पिछले छह महीने के भीतर स्टेशन के फ्रंट एलीवेशन को आधुनिक रूप दिया गया है और एलिवेशन तैयार करने के साथ ही फर्श बिछा दिया गया है।
दरअसल, अभी तक रेलवे स्टेशन के मेन गेट से आते ही एरिया कंजस्टेड हो जाता है इसलिए सरकुलेटिंग एरिया बढ़ेगा। सरकुलेटिंग एरिया बढ़ाने के लिए सोसायटी दफ्तर के पीछे बंद पड़े पुराने क्वार्टर व कुलियों के रेस्ट रूम और बंद पड़े एचआरटीसी डिपो के बाहर शौचालयों को तोड़ा गया है। इसके साथ ही 100 फुट ऊंचा राष्ट्रीय झंडा फहराने के लिए लोहे के पोल लगा दिए गए हैं। स्टेशन के दूसरे रास्ते की तरफ अभी निकासी का बंदोबस्त किया जा रहा है। जहां पर नया फर्श भी डाला जाएगा। इधर, स्टेशन परिसर के भीतर प्लेटफार्म नं.3 के सामने नया फ्लेटफार्म बनकर तैयार चुका है, जबकि अभी प्लेटफार्म नं.1, 2 और 3 पर काम चल रहा है। इसी तरह से आधुनिक ट्वायलेटस बन रहे हैं और नई और सजावटी लाइट्स लेंगे, कोच गाइडेंस बोर्ड लगेंगे। पार्किंग को एक तरफ ले जाने का काम बाकी है। एचआरटीसी डिपो की जगह पर रेन हार्वेस्टिंग प्वाइंट बनाया जाना है।
इसके अलावा लाउंज बनेगा और खाने-पीने की व्यवस्था के लिए फूड कोर्ट बनाया जाना है। ग्रीन बेल्ट बनाने का काम भी अभी अधूरा है जोकि कोर्ट में मामला होने की वजह से अभी अधर में लटका हुआ है। बता दें कि सिटी रेलवे स्टेशन के पास स्थित हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (एचआरटीसी) का एक एकड़ से अधिक एरिया में चल रहा 60 साल से अधिक पुराने डिपो को खाली कराने के मामले ने हाईकोर्ट में अभी विचाराधीन है। अधिकारियों ने बताया कि हाईकोर्ट का फैसला न तो उनके पक्ष में आया था और न ही रेलवे के फेवर में, उसके बारे में लीगली आगे केस बढ़ाया जा रहा है।