‘It is a matter of pride to play the role of Savitribai Phule’ | ‘सावित्रीबाई फुले का किरदार निभाना गर्व की बात’: पत्रलेखा बोलीं- प्रतीक गांधी संग काम कर मिली खास प्रेरणा, ‘कंधार हाईजैक’ से बटोरी सुर्खियां

6 मिनट पहलेलेखक: किरण जैन

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एक्ट्रेस पत्रलेखा हाल ही में अपनी वेब सीरीज ‘IC- 814 कंधार हाईजैक’ की रिलीज के बाद सुर्खियों में हैं। इसके बाद, वह अपनी अगली फिल्म ‘महात्मा फुले’ की तैयारी कर रही हैं, जो अगले साल रिलीज होगी। इस बायोपिक में वह सावित्रीबाई फुले का किरदार निभा रही हैं।

हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान, एक्ट्रेस ने दोनों प्रोजेक्ट्स – ‘IC- 814 कंधार हाईजैक’ और ‘महात्मा फुले’ में काम करने के अनुभव शेयर किए। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

फिल्म ‘फूले’ की शूटिंग पूरी हो चुकी है। इस बायोपिक में काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?

अनुभव बहुत अलग और खास था। यह फिल्म महात्मा फुले पर आधारित एक बायोपिक है। इसमें सावित्रीबाई फुले का किरदार निभाना मेरे लिए एक बड़ा सम्मान है। फिल्म में एक्टिंग स्टाइल्स, पर्सनालिटीज और एक्टर्स सभी अलग थे। प्रतीक गांधी जैसे शानदार कलाकार के साथ काम करना बेहद खास था। महात्मा फुले और सावित्रीबाई रिफॉर्मर्स थे, उनका सोचने का तरीका हमारे आज के समाज से कहीं आगे था। उन्होंने देश, बच्चों और खासकर लड़कियों के लिए जो काम किया, वह बहुत प्रेरणादायक है। इस फिल्म से मुझे बहुत ताकत मिली।

आपको सावित्रीबाई फुले का किरदार निभाने का मौका मिला, कैसा लगा?

यह मेरे लिए गर्व का पल था। जब मैंने अपनी मां को बताया कि मुझे सावित्रीबाई फुले का रोल मिला है, तो वह सबसे ज्यादा खुश हुईं। यह किरदार निभाना मेरे लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि उनके बारे में हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं।

इस किरदार के बारे में काफी कुछ लिखा गया है, लेकिन पर्सनालिटी को समझना अलग बात है। आनंद सर, जो हमारे डायरेक्टर हैं, उन्होंने बहुत ही सादगी और प्यार से स्क्रिप्ट लिखी। हमने रीडिंग और रिसर्च के लिए काफी समय लगाया। पूरी टीम के साथ बैठकर हर पहलू पर गहराई से विचार किया। स्क्रिप्ट इतनी अच्छी तरह से लिखी गई थी कि काम बहुत आसान हो गया।

शूटिंग का शेड्यूल कैसा था?

फिल्म का शेड्यूल दो महीने का था, और यह काफी कंटिन्यूअस था। हमने भोर, पूना और सतारा जैसी जगहों पर शूटिंग की। हर सीन को बहुत मेहनत और प्यार से फिल्माया गया।

इस फिल्म से क्या मैसेज देना चाहती हैं?

सबसे बड़ा संदेश यह है कि सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले की कहानी हर किसी तक पहुंचनी चाहिए। महाराष्ट्र और गोवा में लोग उन्हें जानते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि नॉर्थ ईस्ट या तमिलनाडु के बच्चे उनके बारे में जानते हैं। यह इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और मैं चाहती हूं कि यह हर बच्चे तक पहुंचे। उन्होंने जो विज़न देखा, वह आज भी हमारे समाज को आगे ले जा सकता है, खासकर महिलाओं के लिए।

अब बात करते हैं आपके वेब सीरीज ‘कंधार हाईजैक’ की। जब यह प्रोजेक्ट आपके पास आया, तो आपका पहला रिएक्शन क्या था?

दरअसल, मुझे यह प्रोजेक्ट ऑफर नहीं हुआ था। मुझे पता चला कि अनुभव सिन्हा सर इस सीरीज पर काम कर रहे हैं। मैंने उन्हें कॉल किया और उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की। मैं हमेशा से उनके साथ काम करना चाहती थी। मैंने उन्हें बताया कि मुझे इस शो का हिस्सा बनना है। छह-सात महीने तक मैं उन्हें कॉल करती रही। आखिरकार उन्होंने मुझे बुलाया और कहा- यह रोल है और यह स्क्रिप्ट है, पढ़ लो। स्क्रिप्ट 200 पन्नों की थी, लेकिन इतनी अच्छी तरह से लिखी थी कि हमने इसे बहुत जल्दी खत्म कर दिया।

यह सीरीज एक रियल लाइफ इंसिडेंट पर आधारित कहानी है। इस तरह के किरदार के लिए तैयारी करना कितना चैलेंजिंग होता है?

यह काफी चैलेंजिंग होता है, खासकर लेखन के स्तर पर। राइटर्स को बहुत रिसर्च करनी पड़ती है। एक्टर का काम थोड़ा आसान हो जाता है क्योंकि फाइनल स्क्रिप्ट मिल जाती है और आप साइड बाय साइड अपना रिसर्च करते रहते हैं। मैंने यूट्यूब पर काफी वीडियो देखे और बहुत सारी डॉक्युमेंट्रीज़ भी देखीं। लेकिन आप चाहे कितना भी होमवर्क कर लें, जब तक आप सेट पर नहीं पहुंचते, तब तक वह वाइब आपको सही अनुभव नहीं देती। सेट पर आपके को-ऐक्टर्स, कॉस्ट्यूम और स्पेस ही आपको सही मायने में किरदार में उतार देते हैं।

इस रियल लाइफ घटना के बारे में रिसर्च करते हुए आपको कैसा महसूस हुआ? क्या कोई खास इमोशन था जो आपसे जुड़ गया?

यह हमारे देश के इतिहास के सबसे काले पलों में से एक था। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना, वह हिल गया। फ्लाइट में बैठे लोग जो कुछ झेल रहे थे, वो बहुत ही दर्दनाक था। फ्लाइट एक क्लस्ट्रोफोबिक स्पेस होती है, और उसमें 7 दिन बैठना बहुत मुश्किल था। खाना नहीं था, टॉयलेट्स ओवरफ्लो कर रहे थे। यह एक ऐसा घाव है जो शायद कभी भर नहीं सकता।

विजय वर्मा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

बहुत ही अच्छा। मैं विजय को कई सालों से जानती हूं। हमने पहले भी साथ काम किया था, लेकिन उस प्रोजेक्ट में मुझे रोल नहीं मिला। फिर हमने ‘कल्चर’ नाम की वेब सीरीज में साथ काम किया। विजय बहुत अच्छे दोस्त हैं और उनका करियर देखकर मुझे बहुत खुशी होती है। ‘कंधार हाईजैक’ में हमारे साथ में कुछ सीन थे, और उनके साथ काम करना हमेशा से बहुत सहज और मजेदार रहा है।

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