तेहरान37 मिनट पहले
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ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इजराइल प्रधानमंत्री का मजाक बनाया है। उन्होंने नेतन्याहू के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि नेतन्याहू क्या फूंक रहे हैं। ( यानी किस चीज का नशा कर रहे हैं।)
दरअसल नेतन्याहू ने हाल में कहा था कि ईरान को 480 किलोमीटर से ज्यादा रेंज वाली मिसाइलें नहीं बनानी चाहिए।
इसे लेकर अराघची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर नेतन्याहू की आलोचना की और गाजा युद्ध से लेकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम तक इजराइल की नीतियों को विफल बताया।
अराघची ने नेतन्याहू के पुराने बयानों को याद दिलाते हुए लिखा,

नेतन्याहू ने करीब दो साल पहले गाजा में जीत का दावा किया था। लेकिन नतीजा क्या निकला? युद्ध अपराधों के लिए गिरफ्तारी का वारंट और 2 लाख नए हमास लड़ाके।

उन्होंने कहा कि जिस नेता ने खुद गाजा में नाकामी झेली है, वो ईरान पर शर्तें नहीं थोप सकता।
‘इजराइल ने एक वैज्ञानिक मारा, लेकिन 100 तैयार’
ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि इजराइल ने भले ही जंग में ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना मारा है, लेकिन उनकी 100 काबिल लोग तैयार हैं।
अराघची ने लिखा कि “नेतन्याहू ने सोचा था कि वह ईरान की 40 साल की परमाणु उपलब्धियों को मिटा देंगे। उन्होंने हमारे दर्जनों वैज्ञानिकों को मरवाया, लेकिन हर एक वैज्ञानिक ने 100 से ज्यादा काबिल शिष्य तैयार किए हैं। अब वही उन्हें जवाब देंगे।”
अराघची ने आरोप लगाया कि नेतन्याहू अब अपनी सैन्य विफलताओं को छुपाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दौड़ लगा रहे हैं।

उन्होंने लिखा कि ईरान की मिसाइल स्ट्राइक के बाद इजराइल सहयोगियों की मदद मांग रहा है, जबकि उसकी खुद की रणनीति विफल साबित हो रही है।
‘ईरान के पास एटम बम बनाने के लिए यूरेनियम मौजूद’
UN की इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के डायरेक्टर राफेल ग्रॉसी ने 29 जून को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि ईरान की कुछ न्यूक्लियर फैसिलिटी अभी भी बची हुई हैं। उन्होंने कहा कि ईरान कुछ महीनों में अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम फिर से शुरू कर सकता है।
ग्रॉसी ने कहा-

ईरान के पास 60% प्योर यूरेनियम का भंडार है, जो एटम बम बनाने के लिए काफी है। इस भंडार को अमेरिकी हमले से पहले हटा दिया गया था या फिर ये तबाह हो गया, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
इजराइल ने 13 जून को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले शुरू किए थे। बाद में अमेरिकी ने B-2 बॉम्बर से हमला कर ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान न्यूक्लियर साइट्स को तबाह करने का दावा किया था।
हमलों के बाद ईरान ने IAEA को फोर्डो न्यूक्लियर साइट की जांच करने से रोक दिया था। ईरान ने IAEA से अपनी साझेदारी तोड़ ली है।
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