इस्लामाबाद1 घंटे पहले
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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी पहली बार पाकिस्तान के दौरे पर आए हैं।
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने पाकिस्तान का कश्मीर मुद्दे पर साथ नहीं दिया। दरअसल, रईसी 3 दिन के दौरे पर पाकिस्तान में हैं। सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बैठक के दौरान रईसी के सामने कश्मीर का मुद्दा उठाया।
गाजा में मौजूदा हालातों की तुलना कश्मीर से करते हुए शरीफ ने कहा, “कश्मीर के हित में आवाज उठाने के लिए मैं आपका और ईरान के लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं।” हालांकि, शहबाज के बयान का ईरान के राष्ट्रपति ने कोई जवाब नहीं दिया।
अपने संबोधन के दौरान रईसी ने सिर्फ फिलिस्तीन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ईरान फिलिस्तीनियों के हित के लिए लड़ता रहेगा। रईसी ने कश्मीर का कोई जिक्र नहीं किया। कश्मीर पर ईरानी राष्ट्रपति की चुप्पी को पाकिस्तान में शहबाज के लिए अपमानजनक बताया जा रहा है।
सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय में ईरान के राष्ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया था।
ईरान के राष्ट्रपति के पाकिस्तान दौरे के बीच तेहरान में भारतीय दूतावास ने भी मंगलवार को भारत-ईरान के रिश्तों को लेकर बयान जारी किया। एम्बेसी ने कहा, “भारत और ईरान के रिश्तों का लंबा इतिहास रहा है। दोनों देश कॉमर्शियल कनेक्टिविटी और कई दूसरे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर लगातार काम कर रहे हैं।”
पाकिस्तान से रिश्ते सुधारना चाहता है ईरान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरानी राष्ट्रपति के पाकिस्तान दौरे का मुख्य एजेंडा दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारना है। दरअसल, जनवरी 2024 में ईरान और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के इलाकों में एयरस्ट्राइक की थी। इससे दोनों के संबंधों में खट्टास आई थी। इसके बाद ही ईरान के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान का दौरा करने का फैसला किया था।
अब ईरानी राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी, उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल और एक बिजनेस डेलिगेशन भी पाकिस्तान की यात्रा पर हैं। यात्रा के दौरान कई नेताओं से ईरानी राष्ट्रपति व्यापार, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बातचीत करेंगे।
‘आतंक के खिलाफ मिलकर काम करेंगे ईरान-पाकिस्तान’
सोमवार को द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने पर सहमति जताई। दरअसल, दोनों देश आतंक के मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की सीमा ईरान के बॉर्डर के साथ लगती है।
यहां बलोच लिबरेशन आर्मी एक्टिव है, जो पाकिस्तान में हमले करती है। पाकिस्तान का आरोप है कि ईरान अपने मुल्क में इन आतंकियों को पनाह देता है। वहीं, बलूचिस्तान में सुन्नी आतंकी संगठन ‘जैश अल अदल’ ईरान की सीमा में घुसकर सेना पर हमला करता है। ईरान इस संगठन को खत्म करना चाहता है। ऐसे में कई बार ईरान और पाकिस्तान के बीच विवाद पैदा होता है।
इसके अलावा रईसी के दौरे में ईरान-पाकिस्तान ने अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने से जुड़े 8 MOU साइन किए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रईसी ने कहा कि ईरान और पाकिस्तान के बीच ट्रेड को 10 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाएगा। हम दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान रईसी पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और आर्मी चीफ आसिम मुनीर से भी मुलाकात करेंगे।
ईरान और पाकिस्तान ने साथ मिलकर आतंक के खिलाफ लड़ने पर सहमति जताई है।
आर्टिकल 370 हटने पर ईरान ने कहा था- हम कश्मीरी मुस्लिमों के लिए चिंतित
ईरान इससे पहले कई बार कश्मीर और भारत को लेकर कई बार विवादित बयान दे चुका है। साल 2017 में ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने कश्मीर की तुलना गाजा, यमन और बहरीन से की थी।
2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के कुछ दिन बाद खामेनेई ने सोशल मीडिया पर लिखा था- “हम कश्मीर में मुस्लिमों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। हमारे भारत से अच्छे रिश्ते हैं। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि भारत कश्मीर में मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचारों को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।” खामेनेई ने काफी समय तक अपने इस ट्वीट को अकाउंट में सबसे ऊपर बनाए रखा था।