4 मिनट पहलेलेखक: अश्विन सोलंकी
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14 मई 1999 का दिन। भारत और साउथ अफ्रीका में वनडे वर्ल्ड कप मैच चल रहा था। अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोन्ये फील्डिंग के दौरान कान में ईयर पीस लगाकर उतरे। टीम के कोच बॉब वुल्मर उन्हें ड्रेसिंग रूम से स्ट्रैटिजी बता रहे थे। ICC ने फिर ड्रेसिंग रूम से गेम ऑपरेट करने की एक्टिविटी पर रोक ही लगा दी।
अब फास्ट फॉरवर्ड करते हुए IPL 2024 में आते हैं। यहां कप्तान कान में ईयरपीस लगाकर तो नहीं खेल रहे लेकिन डगआउट में बैठे कोच या मेंटोर ही अपनी टीम के लिए फैसले ले रहे हैं। इससे सवाल उठता है कि क्या टी-20 क्रिकेट में कप्तानों की अहमियत कम हो रही है?
सबसे पहले जानते हैं किस IPL टीम में कोच और मेंटोर कप्तान पर हावी दिख रहे हैं। ऐसी 5 टीमें नजर आती हैं…
1. कोलकाता नाइटराइडर्स
टीम के कप्तान श्रेयस अय्यर हैं। वे बतौर बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर पाए। टीम के अहम फैसले मेंटोर गौतम गंभीर और कोच चंद्रकांत पंडित ले रहे हैं। प्लेइंग-11 से चुनाव से लेकर मैच प्लान तक यही तैयार कर रहे हैं।
2. गुजरात टाइटंस
टीम के कप्तान युवा बल्लेबाज शुभमन गिल हैं। गिल के लिए बतौर बल्लेबाज यह IPL ठीक-ठाक जा रहा है। इस टीम की प्लानिंग और स्ट्रैटिजी को कोच आशीष नेहरा डिसाइड कर रहे हैं। नेहरा टीम की फील्डिंग के वक्त भी बाउंड्री लाइन से बाहर इंस्ट्रक्शन देते नजर आए।
3. मुंबई इंडियंस
टीम की कप्तानी 2024 में हार्दिक पंड्या को मिली। MI ने शुरुआती मैच गंवाए तो हार्दिक की आलोचना हुई, तब मेंटोर कायरन पोलार्ड ने कहा कि टीम के फैसले उन्होंने और कोच मार्क बाउचर ने मिलकर लिए हैं। पूरे सीजन के दौरान दोनों का प्रभाव मैच और हार्दिक पर साफ तौर पर नजर आया।
4. दिल्ली कैपिटल्स
टीम के कप्तान ऋषभ पंत हैं। वे बतौर बल्लेबाज अच्छा खेले हैं लेकिन टीम के फैसले डग आउट में बैठे हेड कोच रिकी पोंटिंग ले रहे हैं। स्ट्रैटिजी कोच पोंटिंग और डायरेक्टर सौरव गांगुली ने तय की।
5. लखनऊ सुपरजायंट्स
LSG के कप्तान केएल राहुल हैं, वह टीम के टॉप रन स्कोरर रहे लेकिन फैसलों में कोच जस्टिन लैंगर की भूमिका अहम रही। उन्हीं के प्रभाव से टीम ने RCB के खिलाफ लेफ्ट आर्म स्पिनर एम सिद्धार्थ को मौका दिया, जिन्होंने पावरप्ले में विराट कोहली का विकेट लिया। हालांकि टीम प्लेऑफ में जगह नहीं बना सकी।
लैंगर को एंडी फ्लॉवर और गौतम गंभीर की जगह लाया गया था, जिनकी मदद से लखनऊ ने 2022 और 2023 का प्लेऑफ खेला था। फ्लॉवर RCB के कोच बने, वहीं गंभीर ने KKR की मेंटोरशिप संभाली। दोनों ही टीमों ने इस सीजन प्लेऑफ में जगह बना ली।
इन 3 वजहों से बढ़ रहा कोच और मेंटोर का रोल…
1. खेल की रफ्तार काफी तेज
टी-20 क्रिकेट एक तेज रफ्तार खेल है। 100 मिनट में 20 ओवर फेंकने होते हैं। स्लो ओवर रेट की पेनल्टी कप्तान को ही भुगतनी पड़ती है। ऐसे में कप्तान सभी पहलुओं पर फोकस नहीं कर पाता है। समय की कमी की समस्या को खत्म करने के लिए टीम के एक से ज्यादा ब्रेन मैच पर अप्लाई होते हैं। मेंटोर या कोच के लिए यह काम आसान होता है।
2. एनालिस्ट का फीडबैक अहम
क्रिकेट में डाटा का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है। हर टीम के साथ डाटा एनालिस्ट मौजूद होता है। यह एनालिस्ट हर तरह की सिचुएशन के मुताबिक अपना फीडबैक देता है। डाटा एनालिस्ट फील्ड पर तो नहीं उतर सकता। उसके फीडबैक पर मेंटोर या कोच कॉल लेता है और मैसेज कप्तान तक पहुंचाता है।
3. कोच और मेंटोर का अनुभव
ज्यादातर कोच या मेंटोर खेल के अनुभवी खिलाड़ियों को बनाया जाता है। गंभीर दो बार KKR को चैंपियन बना चुके हैं। पोंटिंग की मौजूदगी में MI एक साधारण टीम से चैंपियन टीम बनी थी। नेहरा फ्रेश आइडियाज के लिए जाने जाते हैं और बतौर भारतीय खिलाड़ी उनके पास काफी अनुभव है।
मैच के बीच कैसे मदद करते हैं कोच और मेंटोर?
IPL मैच में इन दिनों 2 स्ट्रैटिजिक टाइमआउट होते हैं। ढाई-ढाई मिनट के इन टाइमआउट में कोच और मेंटोर मैदान पर पहुंचकर अपनी टीम से बात करते हैं और उन्हें आगे का गेम प्लान समझाते हैं। इसके अलावा भी विकेट गिरने पर एक्स्ट्रा प्लेयर मैदान पर जाता है और कोचिंग स्टाफ का मैसेज अपनी टीम तक पहुंचा देता है। इनिंग ब्रेक में भी सपोर्ट स्टाफ के पास अपनी टीम से बात करने के लिए 10 से 15 मिनट का टाइम रहता है।
सनराइजर्स को हुआ कोच और कप्तान बदलने का फायदा
IPL में सनराइजर्स हैदराबाद भी खराब परफॉर्मेंस के बाद अपने लीडरशिप स्टाफ में बदलाव कर चुकी है। 2022 में SRH के कोच टॉम मूडी और कप्तान केन विलियमसन थे। 2023 में कोच ब्रायन लारा और कप्तान ऐडन मार्करम रहे। दोनों सीजन टीम प्लेऑफ में नहीं पहुंची। 2024 में डेनियल विटोरी कोच बने और पैट कमिंस को कप्तानी सौंपी गई। असर यह हुआ कि टीम ने पॉइंट्स टेबल में दूसरे नंबर पर फिनिश किया और प्लेऑफ में जगह बनाई। खास बात यह भी कि पिछले सीजन कप्तान रहे मार्करम अब प्लेइंग-11 का हिस्सा भी नहीं हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अमय खुरासिया बोले- कप्तान का रोल 20% घटा
भारत के पूर्व क्रिकेटर अमय खुरासिया ने कहा, ‘कोच और सपोर्ट स्टाफ का रोल बढ़ा है और कप्तान का रोल करीब 20% तक कम हो गया। इनमें भी डाटा एनालिस्ट का रोल और भी ज्यादा अहम हो गया। हर टीम में 2 से 3 डाटा एनालिस्ट हैं, ये कोच को गाइड करते हैं कि किस पोजिशन पर किस पर्टिकुलर प्लेयर को भेजा जा सकता है।
आशुतोष शर्मा, शशांक सिंह और रियान पराग जैसे प्लेयर्स के आंकड़े निकालकर डाटा एनालिस्ट टीम मीटिंग में कोच और मेंटोर के साथ शेयर करते हैं। वे बताते हैं कि आखिरी ओवर में कौन सा प्लेयर 2 रन लेता है, कौन सा प्लेयर चौका लगाता है और कौन सा प्लेयर छक्का लगाता है। कोच और मेंटोर एनालिस्ट से प्लेयर का रोल समझकर स्ट्रैटिजी बनाते हैं और उसे मैच में अप्लाई भी करते हैं। इसीलिए ज्यादातर टीमों में डाटा एनालिस्ट की हायरिंग बढ़ गई है।’
अजय रात्रा बोले- टी-20 फास्ट गेम, बाहरी सपोर्ट जरूरी
पूर्व भारतीय क्रिकेटर अजय रात्रा ने कहा, ‘IPL में फिलहाल 2 तरह की टीमें हैं, एक कोच डोमिनेटिंग और एक कप्तान डोमिनेटिंग। कोच डोमिनेटिंग में कोच का रोल ज्यादा अहम होता है। टी-20 बहुत फास्ट गेम है, टीमें चाहती हैं कि उनके कप्तान को ज्यादा परेशानी न हो, इसीलिए कोच और मेंटोर से लगातार गाइडेंस मिलता रहता है।
टी-20 का गेम एक ही ओवर में बदल जाता है, ऐसे में कप्तान को गेम प्लान बनाने का टाइम कम मिलता है। इसलिए कोच टाइमआउट के साथ ड्रिंक्स ब्रेक और विकेट गिरने के दौरान एक्स्ट्रा प्लेयर की मदद से भी गाइड करते रहते हैं।’
इन खेलों में भी अहम है कोच की भूमिका
फुटबॉल के अलावा बास्केटबॉल, हॉकी, रग्बी, कबड्डी भी ऐसे खेल हैं जिसमें प्लानिंग और स्ट्रैटिजी का जिम्मा कप्तान से ज्यादा कोच पर होता है। इन खेलों में कोच टीम चुनने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। अकाउंटेबिलिटी भी कोच की ही ज्यादा होती है। इसलिए खराब प्रदर्शन पर कप्तान से पहले कोच बर्खास्त होता है।
इंग्लिश क्लब चेल्सी ने खराब परफॉर्मेंस के बाद मैनेजर को ही निकाला
फुटबॉल में कोच को मैनेजर कहते हैं, वहां उनका रोल इतना अहम है कि खराब परफॉर्मेंस के बाद मैनेजर को ही सबसे पहले निकाला जाता है। इसका बेस्ट एग्जाम्प्ल इंग्लिश क्लब चेल्सी है। टीम ने इसी मंगलवार को अपने कोच मौरिसियो पोचेटिनो को निकाल दिया, क्योंकि टीम EPL पॉइंट्स टेबल में छठे नंबर पर रही।
चेल्सी पिछले 5 साल में अपने 6 परमानेंट मैनेजर को निकाल चुकी है। जबकि 2018 से टीम का कप्तान एक ही बार बदला गया। इससे साबित होता है कि फुटबॉल में मैनेजर का रोल कप्तान से ज्यादा बड़ा है। यही अब क्रिकेट में धीरे-धीरे हो रहा है।
ग्राफिक्स: अंकलेश विश्वकर्मा
एक्सपर्ट इनपुट: राजकिशोर यादव