पाठ्य सामग्री तैयार करने के लिए डाइट की ओर से आयोजित कार्यशाला में मौजूद जिले भर के शिक्षक।
शिक्षा विभाग में प्राथमिक कक्षाओं यानी कि कक्षा 1 से 5वीं तक में जल्द ही मातृभाषा या स्थानीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत इसका प्रावधान किया गया है और आरएसईआरटी भी इसकी तैयारी में जुटा हुआ है।
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इसी के तहत डाइट ने भी प्रयोग के तौर पर स्थानीय भाषा में रोचक व ज्ञानवर्धक पाठ्य सामग्री तैयार की है। जिसे आगामी सत्र में बच्चों को पढ़ाया जा सकता है। ये पाठ्य सामग्री तैयार करने के लिए डाइट की ओर से गत गुरुवार से कार्यशाला शुरू की गई थी, जिसका समापन शनिवार को हुआ।
डाइट प्रधानाचार्य डीईओ चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि संस्थान के पाठ्यचर्या सामग्री निर्माण एवं मूल्यांकन प्रभाग के प्रभागाध्यक्ष तेजपाल जैन के निर्देशन में कार्यशाला हुई।
इसमें विषय विशेषज्ञ देवीलाल ठाकुर एवं संतोष गुप्ता के मार्गदर्शन में विभिन्न विषयों के शिक्षकों ने पाठ्यक्रम के आधार पर स्थानीय भाषा में विविध शैक्षिक सामग्री का निर्माण किया। कार्यशाला में कविता, कहानी, गणितीय संक्रिया तथा विज्ञान की अवधारणा को लोक भाषा में सरल करने का प्रयास किया।
किताबों में कई विषयों की भाषा होती है काफी कठिन, बच्चे इसे नहीं समझ पाते
डाइट प्रधानाचार्य डीईओ चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि किताबों में कई विषयों की जानकारी कठिन भाषा में होती है। इससे बच्चे इसे ठीक से समझ नहीं पाते हैं। इसी परेशानी को देखते हुए डाइट ने ऐसे विषयों को स्थानीय भाषा में सरल किया है।
इससे बच्चे विषय को अच्छे समझ पाएंगे और उन्हें इसका पूरा ज्ञान मिलेगा। प्रभाग प्रभारी रियाज अहमद ने सामग्री निर्माण कार्यशाला की योजना व उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में चेतन औदिच्य, धनवंतरी रानी, नीलेंद्र सिंह, लीला प्रजापत सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों से 20 शिक्षकों ने भाग लिया।
कार्यशाला: शिक्षकों के लिए तैयार किया प्रशिक्षण मॉड्यूल
राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद आरएससीईआरटी की ओर से 21 से 23 नवंबर तक द्वितीय शारीरिक साक्षरता कार्यशाला पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित की गई। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के लिए प्रभावी प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करना था, जिससे विद्यार्थियों में शारीरिक साक्षरता और समग्र विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
इस कार्यशाला में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए 10 शारीरिक शिक्षकों ने भाग लिया। इसमें विभिन्न खेल और गतिविधियों को पाठ्यक्रम में शामिल करने की रणनीति के साथ मॉड्यूल निर्माण पर चर्चा की गई। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ अंशुल अग्रवाल एवं राहुल शर्मा (प्रतिनिधि पीरामल फाउंडेशन) और संभागियों ने भागीदारी कर अपने अनुभव साझा किए।
समापन अवसर पर आरएससीईआरटी के प्रोफेसर कमलेंद्र सिंह राणावत एवं प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. आभा शर्मा ने बताया कि शारीरिक साक्षरता न केवल विद्यार्थियों के शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और नेतृत्व कौशल के विकास में भी सहायक होती है।