गोरखपुर के सुथनी में स्वच्छता की एक नई मिसाल कायम करने की तैयारी जोरों पर है। 40 एकड़ में प्रस्तावित ‘इंट्रीग्रेटेड गारबेज सिटी’ के तहत, 7 करोड़ रुपये की लागत से एक हाई-टेक डोमेस्टिक हेजर्ड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का फैसला किया गया है।
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यह प्लांट प्लाज्मा तकनीक पर आधारित होगा और इसकी क्षमता प्रतिदिन 5 टन कचरे का निपटान करने की होगी। इसके निर्माण के लिए महाराष्ट्र की वीडीके फैसिलिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को चुना गया है।
शहर को मिलेगा कचरा-मुक्त का तमगा गोरखपुर नगर निगम की इस पहल का उद्देश्य न सिर्फ स्वच्छता को बढ़ावा देना है, बल्कि खतरनाक घरेलू कचरे का सुरक्षित निपटान करना भी है। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने मंगलवार को वीडीके कंपनी की डिप्टी सीईओ नीतिका पांडे को वर्क ऑर्डर सौंपते हुए मार्च 2025 तक प्लांट का निर्माण पूरा करने का निर्देश दिया। इस मौके पर मुख्य अभियंता संजय चौहान भी मौजूद रहे।
खतरनाक कचरे का होगा सुरक्षित निपटान इस प्लांट का उद्देश्य खतरनाक घरेलू कचरे जैसे पेंट, थिनर, कीटनाशक, बैटरी, मोटर ऑयल आदि का सुरक्षित निपटान करना है। इनका अनुचित निपटान पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता है। इस प्लांट के जरिए नगर निगम लैंडफिल साइट्स, भूजल और नदी-तालाबों को प्रदूषण से बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है।
मुख्यमंत्री करेंगे शिलान्यास, 6 महीने में शुरू होगा संचालन परियोजना का शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे, और 6 महीनों के भीतर इस प्लांट का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इस प्लांट से गोरखपुर को गारबेज फ्री सिटी का दर्जा मिलने की उम्मीद है, जिससे यह स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक प्रमुख शहर बन सकेगा।
खतरनाक उत्पादों के इस्तेमाल में बरतें सावधानी हेरिटेज फाउंडेशन के मनीष चौबे का कहना है कि खतरनाक उत्पादों के लेबल को ध्यान से पढ़ने और सही तरीके से निपटान करने की जरूरत है। ऐसे उत्पाद जो ज्वलनशील या विषाक्त हों, उन्हें सावधानी से संभालें और बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
गोरखपुर की सफाई में आएगा बड़ा बदलाव इस परियोजना से गोरखपुर शहर को स्वच्छता के क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी। भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए यह कदम गोरखपुर को कचरा-मुक्त और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार शहर बनाने में मदद करेगा।