Information about preparing the latest fashion collection was received in the workshop | कार्यशाला में लेटेस्ट फैशन कलेक्शन तैयार करने की मिली जानकारी: आर्च कॉलेज और एस्टोनियन यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स की साझेदारी में हुआ कार्यक्रम – Jaipur News

आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस ने एस्टोनिया की एस्टोनियन यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स के सहयोग से एक विशेष फैशन डिजाइन कार्यशाला का आयोजन किया।

आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस ने एस्टोनिया की एस्टोनियन यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स के सहयोग से एक विशेष फैशन डिजाइन कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला यूरोपीय संघ द्वारा सह-वित्तपोषित इरास्मस+ प्रोजेक्ट के तहत हुई, जिसमें आर्च कॉलेज की संस्थापक और नि

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इस कार्यक्रम में 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम में 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।

प्रोफेसरों ने सिखाईं नई डिजाइन तकनीक

कार्यशाला का नेतृत्व प्रोफेसर मार्टा कोनोवालोव और पिरेट वकल ने किया। उन्होंने बताया कि एस्टोनिया में उनके छात्र किस तरह से पारंपरिक और आधुनिक तत्वों को मिलाकर नए डिजाइन तैयार करते हैं। इस दौरान स्टेंसिल तकनीक और 3डी कोलाजिंग जैसी नई डिजाइन विधियों पर चर्चा की गई। कार्यशाला के दौरान छह एस्टोनियाई छात्रों ने अपने ETHNO संग्रह प्रस्तुत किए, जिससे भारतीय छात्रों को अंतरराष्ट्रीय फैशन दृष्टिकोण को समझने का अवसर मिला।

कार्यशाला का नेतृत्व प्रोफेसर मार्टा कोनोवालोव और पिरेट वकल ने किया।

कार्यशाला का नेतृत्व प्रोफेसर मार्टा कोनोवालोव और पिरेट वकल ने किया।

जिम्मेदार फैशन और स्थिरता पर जोर

आर्च कॉलेज की निदेशक अर्चना सुराना ने कहा कि हम अपने डिजाइन में स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) को प्राथमिकता देते हैं और छात्रों को पुनः उपयोग, पुनर्चक्रण और कम से कम कचरा उत्पन्न करने की सीख देते हैं। हमारा उद्देश्य जिम्मेदार फैशन को बढ़ावा देना है।

इसके बाद, प्रोफेसर मार्टा कोनोवालोव ने 50 से अधिक फैशन डिजाइन छात्रों के लिए एक व्यावहारिक कार्यशाला आयोजित की, जिसमें “सामुदायिक सुधार के माध्यम से स्थिरता और भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ावा देना” विषय पर सत्र हुआ। इस दौरान छात्रों को फैशन में स्थिरता और डिजाइन से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाने के तरीकों की जानकारी दी गई।

आर्च कॉलेज ने 15 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ छात्र विनिमय कार्यक्रमों के लिए समझौते किए हैं। यह यूरोपीय आयोग के इरास्मस+ कार्यक्रम की को-लाइफ परियोजना का भी हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सामाजिक समावेशन और सतत विकास को बढ़ावा देना है। इस परियोजना से भारतीय और यूरोपीय संघ के समुदायों में सकारात्मक सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव डालने की उम्मीद है।

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