स्पोर्ट्स डेस्क5 मिनट पहले
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भारत के ये इंडिविजुअल एथलीट्स अपने-अपने इवेंट्स में चौथे स्थान पर रहे।
पेरिस ओलिंपिक खत्म हो चुके हैं। अमेरिका फिर एक बार टॉप पर रहा, देश ने 40 गोल्ड समेत 126 मेडल अपने नाम किया। अमेरिका ने जितने मेडल जीते, भारत उतने एथलीट्स भी ओलिंपिक में नहीं उतार सका। भारत ने ओलिंपिक में 117 एथलीट्स भेजे, जिन्होंने 1 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल दिलाए।
भारत मेडल टैली में पाकिस्तान से भी नीचे 71वें स्थान पर रहा। हालांकि, इंडियन एथलीट्स की किस्मत और खेल का लेवल थोड़ा भी बेहतर रहता तो भारत 16 मेडल तक जीत सकता था। ऐसा कैसे होता, जानेंगे स्टोरी में…
6 इवेंट में चौथे स्थान ने किया मेडल से दूर
भारत ने पेरिस ओलिंपिक में सबसे ज्यादा 3 मेडल शूटिंग में जीते, लेकिन इसी खेल के 3 इवेंट में भारत चौथे स्थान पर भी रहा और मेडल जीतने से चूक गया। बैडमिंटन में भारत 2012 से लगातार मेडल जीत रहा था, लेकिन इस बार मेंस सिंगल्स में देश को चौथा स्थान ही मिल सका। वेटलिफ्टिंग और आर्चरी के भी एक-एक इवेंट में चौथे स्थान पर रहने के कारण देश मेडल नहीं जीत सका।

2 प्लेयर्स रहे मेडल से महज एक जीत दूर रहे
ओलिंपिक बॉक्सिंग में सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई करने वाले बॉक्सर्स का भी मेडल कन्फर्म हो जाता है। भारत के 2 बॉक्सर्स इस बार सेमीफाइनल में पहुंचने के करीब पहुंचे लेकिन, क्वार्टर फाइनल हारकर बाहर हो गए।

रेसलिंग में हाथ से फिसले 2 मेडल
भारत से इस बार 6 रेसलर्स ने क्वालिफाई किया, सभी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन मेडल सिर्फ एक मिला। रेसलिंग में विनेश फोगाट का फाइनल से ठीक से पहले डिसक्वालिफाई होना सबसे बड़ा सदमा रहा। विमेंस रेसलिंग में ही निशा दहिया का क्वार्टर फाइनल में इंजर्ड हो जाना भी दिल तोड़ने वाला रहा।
1. विनेश फोगाट, रेसलिंग
विमेंस रेसलिंग के 50 किग्रा इवेंट में विनेश फोगाट ने पहला ही मैच वर्ल्ड नंबर-1 जापान की यूई सुसाकी के खिलाफ खेला। विनेश ने बेहतरीन डिफेंस से मुकाबला 3-2 के अंतर से जीत लिया। विनेश ने फिर क्वार्टर फाइनल 7-5 और सेमीफाइनल 5-0 से जीत लिया और फाइनल में जगह बनाई। विनेश ने कम से कम सिल्वर मेडल पक्का कर लिया था।

विनेश फोगाट ओलिंपिक के रेसलिंग विमेंस इवेंट में फाइनल तक पहुंचने वालीं भारत की पहली महिला रेसलर हैं।
फॉर्म को देखते हुए विनेश से गोल्ड जीतने की भी उम्मीदें थीं। लेकिन फाइनल के दिन दोपहर 12 बजे खबर आई कि विनेश वेट-इन के दौरान 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के कारण डिसक्वालिफाई कर दी गई हैं। इस कारण उन्हें कोई मेडल नहीं मिलेगा। विनेश ओलिंपिक रेसलिंग के फाइनल में पहुंचने वालीं पहली ही भारतीय महिला थीं, लेकिन डिसक्वालिफिकेशन ने देश का मेडल छीन लिया। विनेश इस फैसले इतनी दुखी हुईं कि उन्होंने संन्यास ही ले लिया।

डिसक्वालिफाई होने के बाद विनेश फोगाट को हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा। उन्होंने 8 अगस्त को संन्यास भी ले लिया।
2. निशा दहिया, रेसलिंग
रेसलिंग के ही 68 किग्रा विमेंस इवेंट में उतरीं निशा दहिया ने सभी को चौंकाकर पहला मैच 6-4 से जीत लिया। क्वार्टर फाइनल में भी उन्होंने दबदबा दिखाया, 5 मिनट तक वह 8-0 से आगे थीं। तभी उनकी कोहनी में चोट लग गईं। चोट इतनी गहरी थी कि उनकी आंखों से आंसू बहने लगे, मेडिकल टीम ने उन्हें चेक किया, लेकिन निशा दर्द से तड़पे ही जा रही थीं।

निशा दहिया इंजरी के बाद दर्द से तड़पते हुए नजर आईं। 5 मिनट के बाद वह 8-0 से आगे थीं।
निशा ने कुछ देर बाद बाउट जारी रखी, लेकिन नॉर्थ कोरियन रेसलर ने उनकी चोट का फायदा उठाना शुरू कर दिया। उन्होंने निशा के हाथ पर ही अटैक किया और स्कोर 8-8 से बराबर कर दिया। आखिरी 12 सेकेंड में कोरियन रेसलर ने बढ़त बनाई और 10-8 से जीत दर्ज कर ली। निशा अगर फिट रहतीं तो कन्फर्म ही सेमीफाइनल में पहुंच जातीं। पूरी तरह संभव था कि वह फाइनल में भी जगह बना लेतीं, लेकिन इंजरी के कारण ऐसा हो नहीं सका।

इंजरी के कारण बाउट हारने का बाद निशा की आंखों से आंसू रुक ही नहीं रहे थे।