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- India’s Exports To US Drop 37.5% In Four Months After 50% Tariff: GTRI Report
नई दिल्ली36 मिनट पहले
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अमेरिका के भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत से अमेरिका सामन भेजना अब एक्सपोर्टर्स को महंगा पड़ रहा है। इसके चलते पिछले चार महीनों में अमेरिका को एक्सपोर्ट में 37.5 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, यह इस साल की सबसे बड़ी गिरावट है। मई 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात 8.8 बिलियन डॉलर था, जो सितंबर 2025 तक गिरकर 5.5 बिलियन डॉलर पर आ गया।
यानी, महज चार महीनों में भारत ने 3.3 बिलियन डॉलर (करीब ₹28,000 करोड़) से ज्यादा का एक्सपोर्ट कम हो गया है।

सितंबर में सबसे ज्यादा 20% गिरा एक्सपोर्ट
सितंबर पहला ऐसा महीना था, जब भारतीय सामानों पर पूरी 50% ड्यूटी लगी। इसी महीने निर्यात में सबसे बड़ी 20.3 फ़ीसदी की मासिक गिरावट आई। हालांकि यह गिरावट जून से शुरू हुई थी। जून में 5.7%, जुलाई में 3.6%, और अगस्त में 13.8% की कमी आई थी।
टेक्सटाइल्स और जेम्स एंड ज्वेलरी पर सबसे ज्यादा असर
रिपोर्ट के मुताबिक, टेक्सटाइल्स (कपड़े), रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और केमिकल्स जैसे बड़े उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।इन उद्योगों से शिपमेंट में भारी कमी आई, जो निर्यात गिरावट का सबसे बड़ा कारण बनी।
अब दो जरूरी सवालों के जवाब…
सवाल 1: टैरिफ क्या होता है और ट्रम्प ने भारत पर क्यों लगाया?
जवाब: टैरिफ यानी आयात शुल्क। जब कोई देश दूसरे देश से सामान खरीदता है, तो उस पर कुछ टैक्स लगाता है, उसे टैरिफ कहते हैं। ट्रम्प का कहना है कि भारत अमेरिकी सामानों पर बहुत ज्यादा टैरिफ वसूलता है, जबकि अमेरिका भारतीय सामानों पर कम टैक्स लगाता है।
ट्रम्प को लगता है कि ये नाइंसाफी है। इसलिए, उन्होंने अपनी ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ पॉलिसी यानी ‘जैसे को तैसा’ नीति के तहत भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था।
ट्रम्प ने भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर भी नाराजगी जताई थी। इसी वजह से 25% का एडिशनल टैरिफ भी लगाया गया। यानी, कुल 50% टैरिफ लगाया है।
सवाल 2: भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की क्या स्थिति है?
जवाब: भारत और अमेरिका लंबे समय से एक ट्रेड डील पर काम कर रहे हैं। 25 अगस्त को अमेरिकी टीम छठे दौर की बातचीत के लिए आने वाली थी, लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया। एग्रीकल्च सेक्टर जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही थी।
इसके बाद सितंबर में बातचीत फिर से शुरू हुई। भारतीय अधिकारी इस साल के अंत तक एक बड़ा समझौता करने की उम्मीद कर रहे हैं।
