13 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी/अरुणिमा शुक्ला
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‘संगीत ने मुझे पहचान दिलाई और बाद में इसी पहचान ने मुझे सलाखों के पीछे फेंक दिया। हमेशा से संघर्ष मेरी लाइफ का हिस्सा रहा है। हाल ही में मैं अनंत अंबानी की शादी में गया था। कमर में दर्द था, पैर में चोट लगी थी, फिर भी वहां परफॉर्म किया।
ठीक इसी तरह कबूतरबाजी केस में नाम सामने के आने के बाद भी खुद को संगीत से दूर नहीं कर पाया। जेल में रहते हुए भी लोगों को अपने गीतों से एंटरटेन करता रहा।’
ये कहते हुए दलेर मेहंदी शांत हो गए। फिर वे बचपन से लेकर अभी तक के सफर के उतार-चढ़ाव के बारे में विस्तार से बताते हैं।
स्ट्रगल स्टोरी में पढ़िए दलेर मेहंदी की संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी…
संगीत सीखने के लिए 11 साल की उम्र में घर से भागे थे
बचपन के दिनों के बारे में दलेर मेहंदी ने बताया, ‘बिहार में रहते वक्त मैं गुरुद्वारे में गुरुनानक साहब के शबद गाता था। कुछ समय बाद पिता की नौकरी की वजह से पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया था। यहां भी संगीत के प्रति मेरा रुझान कम नहीं हुआ।
एक किस्सा यह भी है कि मैं 11 साल की उम्र में संगीत सीखने के लिए घर छोड़कर भाग गया था। भागने के बाद मैंने गोरखपुर के उस्ताद राहत अली खान से संगीत की शिक्षा ली थी।’
अमेरिका में टैक्सी चलाने का काम किया
दलेर मेहंदी बड़े भाई के कहने पर अमेरिका चले गए थे। उनके भाई भी संगीत से जुड़े थे। विदेश में भजन करने के मकसद से वे दोस्तों के साथ अमेरिका चले गए थे, फिर उन्होंने दलेर समते तीनों भाईयों को भी अपने पास बुला लिया था।
अमेरिका में बिताए दिनोंं के बारे में दलेर मेहंदी कहते हैं, ‘भाई के बुलावे पर हम वहां चले गए थे। बड़े भाई वहां पर भजन-कीर्तन करते थे। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कुछ लोगों से भी उनकी जान-पहचान थी।
अमेरिका में कुछ दिन गुजर जाने के बाद मैंने भाई से कहा कि मुझे टैक्सी चलानी है क्योंकि मैं बाकी कोई दूसरा काम नहीं कर सकता था। गाने के अलावा यही काम था, जो मैं कर सकता था। भाई से परमिशन मिलने के बाद मैं टैक्सी चलाने लगा।’
सिख दंगे के बाद दलेर मेहंदी के भारत वापस लौटने के फैसले के खिलाफ थे दारा सिंह
1986 के आस-पास दलेर मेहंदी भारत वापस आना चाहते थे, लेकिन दिवंगत एक्टर दारा सिंह उनके इस फैसले के खिलाफ थे। इस घटना के बारे में दलेर मेहंदी ने बताया, ‘बड़े भाई की वजह से एक म्यूजिक इवेंट में मेरी मुलाकात दारा सिंह से हुई थी।
बातों-बातों में मैंने वहां मौजूद सभी लोगों को बता दिया कि मैं भारत वापस जाने का विचार कर रहा हूं। मेरे मात्र इतना कहने से सभी लोग हैरान हो गए। तब दारा सिंह ने कहा- तुम क्यों भारत जाना चाहते हो। वहां कोई अपना नहीं है। 1984 सिख दंगे में तुमने देखा कि हमारे साथ क्या हुआ। तुम अमेरिका में भी रहकर अपना भविष्य बना सकते हो।
वहां मौजूद एक दोस्त ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा- हां, बिल्कुल जाओ भारत। वहां आर.डी.बर्मन जैसे बड़े संगीतकार तुम्हारा ही तो इंतजार कर रहे हैं कि तुम जाओगे और वो तुम्हारे साथ परफॉर्म करेंगे।
दलेर मेहंदी ने आगे बताया कि अपनों का साथ नहीं मिलने के बावजूद वे वन वे टिकट करा कर भारत वापस आ गए। इसके बाद उन्होंने किसी दोस्त की मदद से एक म्यूजिकल परफॉर्मेंस दी, जिसकी बदौलत उन्हें आगे काम मिलता गया।’
बिग बी ने कॉल कर साथ काम करने की इच्छा जताई
अमिताभ बच्चन ने खुद दलेर मेहंदी को कॉल कर साथ काम करने की इच्छा जताई थी। इस बारे में दलेर मेहंदी कहते हैं, ‘1986 की बात है। मैं स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान ‘ना ना ना ना ना’ रे गाना गुनगुना देता था। हालांकि तब ये गाना रिलीज नहीं हुआ था।
एक दिन एक कॉल आई। मैंने जैसे कॉल उठाई, सामने से आवाज आई- मैं अमिताभ बच्चन बोल रहा हूं। यह सुन कर मुझे विश्वास नहीं हुआ कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने मुझे कॉल किया है। उनका नाम सुनते ही मानो मुझे चक्कर आ गया हो।
फिर उन्होंने कहा- क्या मैं आपसे 2 मिनट बात कर सकता हूं।
जवाब में मैंने कहा- बिल्कुल कर सकते हैं।
इसके बाद उन्होंने साथ में काम करने का प्रस्ताव दिया। इतना सुनते ही मैं खुशी से उछल गया। आज भी उस पल को सोच कर खुश हो जाता हूं।’
बता दें कि इसके बाद ‘ना ना ना ना ना रे’ गाने को अमिताभ बच्चन की फिल्म मृत्युदाता में फिल्माया गया था, जिसे दलेर मेहंदी ने अपनी आवाज दी थी।
जेल में फर्श पर सोया, पुलिस वाले ने बदसलूकी की
2003 में दलेर मेहंदी और उनके भाई शमशेर सिंह का नाम कबूतरबाजी केस में सामने आया था। दलेर पर आरोप था कि शो के लिए जाते वक्त वे 1998-99 में अवैध तरीके से 10 लोगों को अपने साथ अमेरिका ले गए।
सबसे पहले पटियाला के रहने वाले बख्शीश सिंह ने दोनों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसके बाद 35 और लोगों ने दलेर और उनके भाई पर इल्जाम लगाए थे। इस आरोप के चलते दलेर मेहंदी को 2 साल जेल में भी रहना पड़ा था, जहां उनके साथ बहुत बदसलूकी हुई थी। फिलहाल वे बेल पर जेल से बाहर हैं।
बातचीत के दौरान दलेर मेहंदी ने इस मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘सबसे खराब दौर वो था जब मैं इस झूठे केस में फंसा। उससे बुरा यह था कि लोग कहते थे कि हम आपके साथ हैं, लेकिन असल में वे होते नहीं थे। तब बहुत गुस्सा भी आता था। ऊपर गद्दियों पर भी बैठे लोग मेरे हालातों का मजा ले रहे थे, इससे भी बहुत दुख होता था।
इस केस में सबसे पहले भाई शमशेर सिंह की गिरफ्तारी की गई थी, पर मुझे लगा था कि उन्हें किडनैप कर लिया गया है। उन्हें छुड़ाने के लिए पटियाला पुलिस ने 1.5 करोड़ रुपए की मांग की। हालांकि मैंने देने से मना कर दिया। फिर अगले दिन अखबार में खबर छपी- दलेर मेहंदी भगोड़ा है।
मैं दिल्ली में था और मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता था। इसके बाद एक साजिश के तहत मुझे इस केस में फंसा दिया गया।
मैं 2 साल पटियाला जेल में रहा। वहां पर एक पुलिस ऑफिसर ने मेरे साथ बदसलूकी भी की थी। मुझे कोई VIP ट्रीटमेंट नहीं मिला। फर्श पर सोना पड़ा। इस वजह से पीठ में दर्द रहने लगा। ब्लड प्रेशर भी हर वक्त 150-200 रहता था। हालत खराब होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा था। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से मेरी आंखों का रेटिना भी आउट हो गया था।
इस केस का निगेटिव असर करियर पर भी पड़ा। कितने सारे विज्ञापनों और म्यूजिक इवेंट्स के ऑफर भी मेरे हाथ से निकल गए। इस केस में आगे क्या होगा, कुछ भी नहीं पता।