मुंबई3 मिनट पहले
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जिम क्रैमर फाइनेंशियल कॉमेंटेटर और सीएनबीसी के शो मैड मनी के होस्ट हैं। ये इमेज ग्रोक एआई से जनरेट की गई है।
फाइनेंशियल कॉमेंटेटर और सीएनबीसी के शो मैड मनी के होस्ट जिम क्रैमर की चेतावनी के बाद भारतीय बाजार 4% गिरकर कारोबार कर रहे हैं। क्रेमर ने दो दिन पहले कहा था कि अमेरिकी बाजार में 1987 जैसा ‘ब्लैक मंडे’ आ सकता है। क्रैमर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से दुनियाभर के देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को इसकी वजह बताया है।
क्रैमर ने कहा- अगर ट्रम्प नियमों का पालन करने वाले देशों को राहत नहीं देते हैं, तो 1987 का परिदृश्य- तीन दिन की गिरावट और फिर सोमवार को 22% की गिरावट- सबसे संभावित है। हमें यह जानने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सोमवार तक यह पता चल जाएगा।
आज भारतीय बाजार का इंडेक्स सेंसेक्स 3000 अंक (4%) गिरकर करीब 72,300 के स्तर पर है। निफ्टी में 900 अंक (4.50%) की गिरावट है। ये 22,000 से नीचे कारोबार कर रहा है।
एशियाई बाजारों में जापान के निक्केई में 6%, कोरिया के कोस्पी इंडेक्स में 4.50%, चीन का शंघाई इंडेक्स 6.50% नीचे है। हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग 10% नीचे हैं।

सीएनबीसी के शो मैड मनी में 1987 जैसा ‘ब्लैक मंडे’ आने की भविष्यवाणी की गई है।
जिम क्रैमर की 3 बड़ी भविष्यवाणी जो सही साबित हुई…
1. एनवीडिया पर बुलिश कॉल (2023): क्रैमर ने 2023 में एनवीडिया जैसी मेगा-कैप टेक कंपनियों पर बुलिश रुख अपनाया था। तब शेयर 15 डॉलर के करीब ट्रेड कर रहा था। जनवरी 2025 में ये 150 डॉलर के करीब पहुंच गया था। यानी, उनकी यह कॉल सही साबित हुई।
2. मार्केट वोलैटिलिटी (2022): 2022 की शुरुआत में, क्रैमर ने बाजार में अस्थिरता की भविष्यवाणी की थी, जो सच हुई। उस साल स्टॉक्स में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। एसएंडपी 500 इंडेक्स लगभग 19% गिरा। उनकी यह चेतावनी निवेशकों के लिए उपयोगी रही।
3. 2008 के बाद की रिकवरी (2009): 2008 के वित्तीय संकट के बाद क्रैमर ने 2009 में बाजार में सुधार की भविष्यवाणी की। उन्होंने निवेशकों से पिटे हुए शेयरों में अवसरों को तलाश करने की सलाह दी। उस साल एसएंडपी 500 इंडेक्स में 23.5% की तेजी आई।
जिम क्रैमर की 3 बड़ी भविष्यवाणी जो गलत साबित हुई…
1. हेवलेट-पैकार्ड (2012): 20 नवंबर, 2012 को, क्रैमर ने दर्शकों को “हेवलेट-पैकार्ड और बेस्ट बाय के शेयर को तुरंत बेचने की सलाह दी थी।
हालांकि अगले छह महीनों में हेवलेट के शेयर में 115% की तेजी आई। वहीं बेस्ट बाय के शेयर में 124% की तेजी आई। यानी, उनकी भविष्यवाणी गलत साबित हुई।
2. बियर स्टर्न्स (2008): 11 मार्च, 2008 को मैड मनी सेगमेंट के दौरान, क्रैमर ने बियर स्टर्न्स के बारे में एक दर्शक के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “नहीं, नहीं, नहीं! बियर स्टर्न्स ठीक है! अपना पैसा बाहर मत निकालो… यह बेवकूफी होगी।”
पांच दिन बाद, 16 मार्च को, बियर स्टर्न्स कोलैप्स हो गई और इसे 2 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से जेपी मॉर्गन चेस को बेच दिया गया। एक समय इसका भाव 133 डॉलर था।
3. डॉट-कॉम बबल (2000): जनवरी 2000 में, डॉट-कॉम बबल के चरम पर, क्रैमर ने टेक स्टॉक्स में निवेश की सलाह दी थी और कहा था कि 1999 जैसा प्रदर्शन दोहराया जा सकता है।
हालांकि इसके तुरंत बाद बुलबुला फटा और उनके द्वारा सुझाए गए स्टॉक्स जैसे अरीबा और इंफोस्पेस में भारी गिरावट आई। अरीबा का शेयर 168.75 डॉलर के पीक से घटकर 2 डॉलर पर आ गया था। वहीं इंफोस्पेस का स्टॉक 1,305 डॉलर से घटकर 2.67 डॉलर पर आ गया।
जिम क्रैमर का एक्युरेसी रेट लगभग 47%
क्रैमर की भविष्यवाणियों पर की गई स्टडी में उनकी सटीकता को लगभग 47% पर आंका गया है। CXO एडवाइजरी ने 2005-2012 के दौरान उनके द्वारा चुने गए 62 स्टॉक का विश्लेषण किया था, जिसमें 46.8% सक्सेस रेट पाया गया।
रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान के बाद दो दिन में डाउ जोन्स 9% से ज्यादा गिरा…
- 4 अप्रैल को डाउ जोन्स इंडेक्स 2,231.07 पॉइंट या 5.50% गिरकर 38,314 के स्तर पर बंद हुआ। 3 अप्रैल को भी ये 3.98% गिरा था।
- 4 अप्रैल को S&P 500 इंडेक्स 322.44 पॉइंट या 5.97% गिरकर 5,074 के स्तर पर आ गया। 3 अप्रैल को भी ये 4.84% गिरा था।
- 4 अप्रैल को नैस्डेक कंपोजिट 1,050 अंक या 5.97% गिरकर बंद हुआ। एक दिन पहले 3 अप्रैल को भी ये 5.82% गिरकर बंद हुआ था।
दो दिन में मार्केट कैप करीब 5 ट्रिलियन डॉलर घटा
S&P 500 इंडेक्स का मार्केट कैप 3 अप्रैल को 45.388 ट्रिलियन डॉलर था, जो 4 अप्रैल को घटकर करीब 42.678 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया। वहीं 2 अप्रैल को मार्केट कैप 47.681 ट्रिलियन डॉलर था। यानी, दो दिन में मार्केट कैप करीब 5 ट्रिलियन डॉलर घट चुका है।

अमेरिकी बाजार में गिरावट के 4 कारण
- चीन ने भी अमेरिका पर 34% टैरिफ लगाया: चीन ने शुक्रवार को अमेरिका पर 34% जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। नया टैरिफ 10 अप्रैल से लागू होगा। दो दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने दुनियाभर में जैसे को तैसा टैरिफ लगाया था। इसमें चीन पर 34% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया था। अब चीन ने उतना ही टैरिफ अमेरिका पर लगा दिया है।
- कंपनियों को मुनाफा कम होने का डर: अमेरिका ने सभी आयातित सामानों पर 10% न्यूनतम टैरिफ और कुछ देशों (जैसे चीन पर 34%, वियतनाम पर 46%) पर इससे भी ज्यादा शुल्क लगाने का ऐलान किया है। इससे वहां से आने वाले सामानों की कीमत बढ़ जाएगी। इससे कंपनियों की लागत बढ़ेगी, जिसका असर उनके मुनाफे पर पड़ेगा। मुनाफा कम होने की आशंका से निवेशकों ने शेयर बेचना शुरू कर दिया है, जिससे बाजार में गिरावट है।
- ग्लोबल ट्रेड वॉर का डर: अमेरिकी की ओर से टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद दूसरे देश भी जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं। मिसाल के तौर पर, अगर भारत पर 26% टैरिफ लगा है, तो भारत भी अमेरिकी सामानों पर शुल्क बढ़ा सकता है। इससे ग्लोबल ट्रेड में रुकावट आ सकती है, जिससे सप्लाई चेन प्रभावित होगी। इस अनिश्चितता से निवेशक घबरा गए हैं और उन्होंने शेयर बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया है।
- इकोनॉमिक स्लोडाउन की चिंता: टैरिफ से सामान महंगा होने पर लोग कम खरीदारी करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो सकती है। साथ ही, मांग कम होने से कच्चे तेल की कीमतें भी गिरी हैं (अमेरिकी क्रूड $69.63 प्रति बैरल)। ये कमजोर इकोनॉमिक एक्टिविटी का संकेत है। इससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया है और बाजार में गिरावट तेज हुई है।
9 अप्रैल से लागू होंगे रेसिप्रोकल टैरिफ
अमेरिका में आने वाले सभी सामानों पर 10% बेसलाइन (न्यूनतम) टैरिफ लगेगा। बेसलाइन टैरिफ 5 अप्रैल को और रेसिप्रोकल टैरिफ 9 अप्रैल को रात 12 बजे के बाद लागू होंगे। बेसलाइन टैरिफ व्यापार के सामान्य नियमों के तहत आयात पर लगाया जाता है, जबकि रेसिप्रोकल टैरिफ किसी अन्य देश के टैरिफ के जवाब में लगाया जाता है।
